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श्री देवेन्द्र दीपक जी को प्रो. संजय द्विवेदी पर एकाग्र पुस्तक 'लोगों का काम है कहना' भेंट करते लोकेन्द्र सिंह |
वरिष्ठ साहित्यकार श्रद्धेय देवेंद्र दीपक जी का सुखद सान्निध्य प्राप्त हुआ। निमित्त बने युवा पत्रकार आयुष पंडाग्रे। आयुष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गीतों की पुस्तक देवेंद्र दीपक जी को भेंट करने के लिए जाने वाले थे, तब मैंने उनसे कहा कि "साथ चलते हैं। मुझे भी जाना है।" लगभग डेढ़ घंटे हम श्रद्धेय दीपक जी के पास रहे। घड़ी की सुइयों पर कौन ध्यान देता, हम तो बस उनको सुनते जा रहे थे। बाहर सावन की रिमझिम थी और भीतर नेह की बारिश। हम एक विरले साहित्यकार की बौद्धिक यात्रा में गोते लगा रहे थे। राष्ट्रीय विचार की पगडंडी पर उनके जीवन में जो संघर्ष आए, उनके समाधान कैसे निकाले, वह सब हमारे सामने आ रहा था। डॉ. दीपक जी ने काव्य विधा में अद्भुत काम किया है। हमें आठ पंक्ति की कविता लिखने में जोर लगाना पड़ना है, आपने कई काव्य नाटक लिखे हैं। नि:संदेह आप पर माँ सरस्वती की विशेष कृपा है। आपने अपनी मेधा राष्ट्रीय चेतना के जागरण में समर्पित की है। आप राष्ट्रीय धारा के यशस्वी साहित्यकारों की माला के चमकते मोती हैं।