मंगलवार, 22 जुलाई 2025

विपक्ष को चर्चा नहीं… हंगामा चाहिए

जैसा कि अपेक्षित था कि संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में विपक्ष हंगामा करेगा, वही हुआ। विपक्ष का आरोप है कि सरकार चर्चा से भागती है, जबकि सरकार का कहना है कि वह हर प्रकार से चर्चा के लिए तैयार है। इसका क्या अर्थ निकाला जाए? मानसून सत्र की शुरुआत होने से पहले ही हंगामा करना, यही संकेत देता है कि विपक्ष को चर्चा नहीं अपितु हंगामा चाहिए। दरअसल, विपक्ष की कोशिश है कि वह यह वातावरण बना दे कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर जवाब देने में असमर्थ है। इसलिए विपक्षी नेता अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के युद्ध विराम कराने के दावों की गिनती भी करते रहते हैं। उन्हें अपने देश की सेना और जिम्मेदार अधिकारियों पर विश्वास नहीं है। याद हो, भारतीय सेना स्पष्ट कह चुकी है कि पाकिस्तान की सेना की ओर से युद्ध विराम का प्रस्ताव आया था, जिसे भारतीय सेना ने इसलिए भी मान लिया क्योंकि हम जो चाहते थे, वह प्राप्त कर लिया था। लेकिन विपक्ष के नेताओं को ट्रंप के दावों पर विश्वास है, जो स्वयं ही अपनी बातों से कई बार पलट जाते हैं। 

सरकार ने साफ कर दिया है कि वह विपक्ष की मंशा पूरी नहीं होने देगी। इस दौरान केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने भी कहा है कि “देश में ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि सरकार पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करना नहीं चाहती। हम चर्चा करेंगे और हर तरीके से करेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के सभी बिन्दुओं को देश के सामने रखा जाएगा”। केंद्रीय मंत्री के बयान में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को लेकर एक आत्मविश्वास झलकता है। विपक्ष को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भारत की सरकार ने वैश्विक पटल पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बात की है, फिर अपनी संसद में बात करने से उसे क्या हिचक होगी? लेकिन सत्र शुरु होने से पहले ही यह आरोप लगाना कि सरकार चर्चा नहीं करेगी, विपक्ष की नीयत को कठघरे में खड़ा करता है। सत्र चलने तो दीजिए, फिर यह तय किया जाएगा कि कौन-किस मुद्दे पर चर्चा नहीं कर रहा है। 

सरकार तो ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर गर्वित है। वह तो पाकिस्तान पर इस विजय को ऐतिहासिक बता रही है। सत्र की शुरुआत से पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के बाहर से देश को संबोधित करते हुए गर्वित भाव से कहा है कि “पूरी दुनिया ने भारत की सैन्य शक्ति का लोहा माना है। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना द्वारा निर्धारित लक्ष्य को शत-प्रतिशत प्राप्त किया गया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत, आतंकवादियों के आकाओं के घरों को 22 मिनट के भीतर जमींदोज कर दिया गया”। उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से स्वदेशी हथियारों को लेकर दुनियाभर में उत्सुकता एवं माँग बढ़ गई है। 

विपक्ष को चाहिए कि वह हंगामा खड़ा करने के अपने मकसद को छोड़ कर चर्चा की ओर रुख करे। क्योंकि सरकार पहलगाम आतंकी हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक, चर्चा के लिए तैयार है। आनेवाले सप्ताह में लोकसभा में 16 और राज्यसभा में 9 घंटे इस मुद्दे पर बहस होगी। कहना होगा कि सदन में सार्थक चर्चा होगी तो देश-समाज का भला होगा। इसलिए संसद को बाधित करने में अपनी ऊर्जा नष्ट करने की अपेक्षा संसद के संचालन में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share