उदासी और निराशा से मुक्त करती कविता
हालांकि परिस्थितियां नहीं हैं मुस्कुराने की।
तुमने कहा मुस्कुराने को, सो मैं हँस दिया।।
मेरे दर्द को समझने की कोशिश में नहीं जो
उसके सामने रोना क्या, सो मैं हँस दिया।।
बिछड़ने का रत्ती भर गम नहीं था उसको
उदास हो विदा देता कैसे, सो मैं हँस दिया।
उसे कैसे समझता तकलीफ अपने दिल की
वो हँस के कर रहा बातें, सो मैं भी हंस दिया।
उसे पता नहीं मुक्कदर मेरा लिखा है राम ने
और वो मांग रहा मेरी बर्बादी, सो मैं हँस दिया।
शानदार प्रस्तुति
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