दुनिया के कई देशों में कोरोना का दूसरा चरण देखने में आ रहा है। भारत को हम कोरोना संक्रमण के दूसरे चरण से बचा सकें, इसके लिए नागरिकों में जागरूकता और प्रतिबद्धता आवश्यक है। इसलिए प्रधानमंत्री ने कोविड-19 अनुरूप व्यवहार हेतु लोगों से शपथ लेने का आह्वान किया है। जब पूरा देश सामान्यीकरण की प्रक्रिया में जा रहा है, तब प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सुझाव, संदेश और उनका नेतृत्व प्रशंसनीय है। प्रधानमंत्री के इस अभियान का उद्देश्य एक बार फिर से लोगों को रोकथाम एवं बचाव के उपायों की तरफ ले जाना हैं, ताकि वे आपदा से बचे रहें। जहाँ तक इस अभियान के प्रभाव की बात है, तो प्रधानमंत्री ने जब-जब राष्ट्र को संबोधित किया है, भले ही उनका माध्यम कोई भी रहा हो, पूरे देश ने उनकी बात सुनी है और उसे माना है। यह एक तरह से जागरूकता अभियान ही है। प्रधानमंत्री मोदी जैसे व्यक्तित्व द्वारा जब कोई बात कही जाती है, तो समाज के तमाम लोग उससे प्रभावित होते हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि यदि लोगों ने थोड़ी ढिलाई बरतनी शुरू की है, तो वे वापस संभल जाएंगे। संक्रमण से बचाव को लेकर जिनके ध्यान में थोड़ी कमी आयी थी, वो पुन: ध्यान रखना शुरू कर देंगे।
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया यह अभियान समाज हित में है। देशवासियों के स्वास्थ्य एवं जीवन से जुड़ा है। इसलिए सब लोगों को मिल कर इस ‘जन आंदोलन’ को सफल बनाना चाहिए। इस अभियान के माध्यम से प्रधानमंत्री ने हमें यह याद दिलाया है कि इस बदलते मौसम में तमाम वायरस सक्रिय हो जाते हैं, ऐसे में यह वायरस भी ज्यादा सक्रिय हो सकता है, इसलिए रोकथाम के उपायों को लेकर किसी तरह की कोताही ना बरती जाए। शोधार्थियों ने भी सर्दियों में संक्रमण के बढऩे को लेकर संभावना जतायी है। इसलिए यह बात स्मरण रखना जरूरी है कि जब तक हमारे पास इस बीमारी का कोई उपचार उपलब्ध नहीं हो जाता है, तब तक सावधानी और जागरूकता ही एकमात्र बचाव है।
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