भा रतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की 85वीं वार्षिक आम सभा (एजीएम) की बैठक में क्रिकेट को साफ-सुथरा बनाने के लिए कुछ अहम फैसले लिए गए। आर्थिक अनियमितता और स्पॉट फिक्सिंग जैसे गंभीर आरोप झेल रहे एन. श्रीनिवासन को बीसीसीआई ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड (आईसीसी) के अध्यक्ष पद से हटा दिया है। अब बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर श्रीनिवासन की जगह वर्ष 2016 तक आईसीसी का अध्यक्ष पद संभालेंगे। आईपीएल की टीम चैन्नई सुपर किंग के मालिक रहे श्रीनिवासन के कारण पिछले कुछ समय में भारतीय क्रिकेट नकारात्मक खबरों में रही है। श्रीनिवासन प्रकरण के कारण क्रिकेट और खिलाडिय़ों के प्रति खेल प्रेमियों का भरोसा कम हुआ है। जिसे संभावनाओं का खेल माना जाता था, उसमें लोगों को आशंकाएं अधिक नजर आने लगीं। किसी मैच में अप्रत्याशित तरीके से उलट-फेर हो जाए तो उसमें 'फिक्सिंग' के सूत्र तलाशे जाने लगते हैं। हम कह सकते हैं कि क्रिकेट के प्रत्येक मैच को संदिग्ध नजर से देखा जाने लगा है। यह भारतीय क्रिकेट के लिए खतरनाक संकेत हैं।
जब बोर्ड की कमान ईमानदार और साफ-सुथरी छवि के लिए ख्यात शशांक मनोहर के हाथ में आई तो माना जाने लगा था कि बीसीसीआई में स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा। क्रिकेट के प्रति कम होते भरोसे को फिर से मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा। सोमवार को हुई एजीएम की बैठक से इसी बात के संकेत मिलते हैं कि आने वाले दिनों में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और उसके फैसले अधिक पारदर्शी होंगे। अध्यक्ष शशांक मनोहर ने भी मीडिया से बात करने के दौरान बीसीसीआई में पारदर्शिता लाने की बात का जिक्र किया है। इसके साथ ही बोर्ड ने 'हितों के टकराव' के मामले पर रोजर बिन्नी को चयन समिति से हटा दिया है। दरअसल, उनका बेटा स्टुअर्ट बिन्नी भारतीय टीम के लिए खेलता है। ऐसे में चयन समिति में रोजर बिन्नी के बने रहने पर हितों का टकराव स्वाभाविक ही था। यह फैसला बहुत बड़ा संदेश देता है। कम अनुभव के बाद भी वल्र्ड कप टीम के लिए जब स्टुअर्ट बिन्नी का चयन किया गया था, तब कहीं न कहीं उनके पिता के प्रभाव को प्रमुख कारण माना जा रहा था।
बहरहाल, बोर्ड की एजीएम बैठक में कुछ और महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए हैं। बोर्ड ने यह भी तय किया है कि विवादास्पद मामलों की जांच वह भी अपने स्तर पर कराएगा। हितों के टकराव पर निगरानी के लिए एक लोकपाल रखने का फैसला भी किया है, ताकि टीम के चयन में किसी भी प्रकार का पक्षपात खिलाडिय़ों के साथ न हो सके। यदि ऐसा होता है तो मेहनत और प्रदर्शन के आधार पर खिलाडिय़ों के चुनकर आने की संभावना बढ़ जाएगी। इसका सीधा फायदा ऐसे खिलाडिय़ों को पहुंचेगा, जिनके बोर्ड में किसी से प्रत्यक्ष और अच्छे संबंध नहीं हैं। यानी काफी हद तक यह कहा जा सकता है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में 'स्वच्छता अभियान' की शुरुआत हो गई है। अब देखना होगा कि भारतीय क्रिकेट की तस्वीर कितनी साफ-सुथरी हो पाती है।
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