कां ग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान में भारतीय जनता का अपमान किया है। पाकिस्तानी टीवी चैनल से बातचीत करते हुए मणिशंकर अपनी जुबान पर काबू खो बैठे। एंकर ने उनसे पूछा कि भारत-पाकिस्तान के बीच फिर से दोतरफा बातचीत कैसे शुरू की जा सकती है? मणिशंकर ने बहुत उतावले होते हुए जवाब दिया- 'मोदी को हटाइये, हमको लाइये।' क्या मणिशंकर इस देश की जनता को बता सकते हैं कि पाकिस्तान कांग्रेस को कैसे सत्ता में ला सकता है? चुनावों में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस पाकिस्तान से क्या सांठगांठ कर रही है? कांग्रेस के एक और बड़े नेता सलमान खुर्शीद ने भी पाकिस्तान जाकर हाल में विवादित बयानबाजी की थी। उनके बयानों के कारण भी भारतीय कूटनीति को नुकसान पहुंचा है। दोनों नेताओं ने भारत के सामने असहज स्थितियां खड़ी कर दी हैं। पाकिस्तान दोनों नेताओं के बयानों का भारत के खिलाफ कूटनीतिक उपयोग करेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के विचारों से गंभीर प्रश्न खड़े हुए हैं। ये प्रश्न कांग्रेस को भी असहज कर रहे हैं। ये 'व्यक्तिगत बयान' हैं, ऐसा कहकर कांग्रेस आरोपों के बादलों को हटा नहीं सकती। क्योंकि, मणिशंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद कोई छोटे-मोटे नेता नहीं हैं। ये कांग्रेस के शासनकाल में लम्बे समय तक बड़े मंत्रालय संभाल चुके हैं। कांग्रेस के रणनीतिकारों में दोनों नेता शुमार किए जाते हैं। दोनों नेताओं ने अपनी बयानबाजी से भारतीय समाज को अचम्भित कर दिया है। भारतीय मानस स्वीकार नहीं कर पा रहा है कि ये हमारे नेता हैं। भारत की जनता ने पूर्ण बहुमत से भारतीय जनता पार्टी और नरेन्द्र मोदी को चुना है। पाकिस्तान में जाकर अपनी सरकार और प्रधानमंत्री का विरोध करना जनादेश का अपमान है। नेताओं को समझना चाहिए कि भाजपा और मोदी का विरोध करने के लिए देश की प्रतिष्ठा को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। आखिर भाजपा और मोदी की छवि खराब करने के लिए विरोधी नेता कितना नीचे गिरेंगे?
कांग्रेस को सरकार में आना है तो भारतीय समाज का विश्वास जीतने की कोशिश करे। सत्ता में वापसी के लिए पाकिस्तान के सामने गिड़गिड़ाने से क्या हासिल होगा? कांग्रेस को यह भी समझना होगा कि आम चुनाव में उसकी दुर्गति ऐसी ही भारत और भारतीय बहुसंख्यक समाज के प्रति की गई नकारात्मक टिप्पणियों के कारण हुई थी। लेकिन, दिख रहा है कि कांग्रेस ने अब तक कोई सबक नहीं लिया है। मणिशंकर अय्यर ने तो पिछले कुछ दिनों में निर्लज्ज बयानबाजी के कई उदाहरण प्रस्तुत कर दिए हैं। पेरिस हमले में जब दुनिया आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट का विरोध कर रही थी तब अय्यर हमले को सही सिद्ध करने का प्रयास करते हुए फ्रांस के जले पर नमक छिड़क रहे थे। उनका कहना है- 'फ्रांस ने बुर्के पर प्रतिबंध लगाया है इसलिए इस्लामिक स्टेट ने पेरिस पर हमला किया है।' इस बयान की चौतरफा निंदा हुई तो मणिशंकर माफी मांगने की जगह ऐंठ दिखाते हुए कहते हैं- 'आईएसआईएस पर दिए गए उनके बयान से लोग दु:खी क्यों हैं? लोग उनके बयान पर आश्चर्य क्यों व्यक्त कर रहे हैं? वो हमसे इससे ज्यादा क्या उम्मीद करते हैं?'
मणिशंकर साहब जनता आपसे सकारात्मक राजनीति की उम्मीद करती है। जनता उम्मीद करती है आप आतंकवाद का कठोर शब्दों में विरोध करें, भारत की छवि को धक्का नहीं पहुंचाएं, कम से कम पाकिस्तान में जाकर भारत का विरोध नहीं करें और जुबान पर काबू नहीं तो चुप रहकर ही कुछ तो इज्जत करो देश की। देर से ही सही शायद आपको समझ आ जाए और अपनी बदजुबानी के लिए आप देश की जनता से माफी मांग लें। फिलहाल तो कुछ चुभने वाले सवाल हैं। आतंकवाद पर कांग्रेस की नीति क्या है? पाकिस्तान में जाकर भारत की सरकार की बुराई करना, चुनाव में जीत के लिए पाकिस्तान से मदद मांगना और आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के मानवता पर हमले को सही ठहराना, आखिर कांग्रेसी नेता क्या सिद्ध करना चाह रहे हैं? मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं को समझना चाहिए कि सुर्खियों में रहने के लिए देश का अपमान करना जरूरी नहीं है।
ऐसे लोगों को सत्ता तो दूर , देश में रहने लायक भी नही हैं .पाकिस्तान भी मन ही मन इस सत्ता लोलुपता पर हँसता होगा .तरस खाता होगा .
जवाब देंहटाएंऐसे लोगों को सत्ता तो दूर , देश में रहने लायक भी नही हैं .पाकिस्तान भी मन ही मन इस सत्ता लोलुपता पर हँसता होगा .तरस खाता होगा .
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