बुधवार, 13 अक्तूबर 2021

अंतरिक्ष विज्ञान में भारत के बढ़ते कदम


भारतीय अंतरिक्ष संघ (इंडियन स्पेस एसोसिएशन) की स्थापना के साथ भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में अपनी स्थिति को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। अंतरिक्ष विज्ञान में भारत को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अपना एक दृष्टिकोण है। विज्ञान के क्षेत्र में भारत नवोन्मेष का केंद्र बने, इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के साथ न केवल उन्होंने संवाद बढ़ाया है बल्कि वैज्ञानिकों को नवोन्मेष के लिए प्रोत्साहित भी किया है। पिछले कुछ वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक साथ सौ से अधिक उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजकर इतिहास रचा है। हमने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंचकर इतनी लंबी छलांग लगाई कि दुनिया देखती रह गई। 'शक्ति अभियान' के अंतर्गत अंतरिक्ष में ही उपग्रह को नष्ट करने की क्षमता अर्जित करके भी भारत ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। यदि सबकुछ सही रहता है तब स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर वर्ष 2022 के आखिर में या फिर 2023 में भारत अपना पहले मानवयुक्त अभियान 'गगनयान' अंतरिक्ष में भेज सकता है। दरअसल, कोरोना की वजह से कुछ अंतरिक्ष अभियानों में देरी आई है। देश के पहले सौर मिशन के 2022 की तीसरी तिमाही में लॉन्च होने की संभावना है। अगले वर्ष भारत की दूसरी अंतरिक्ष वेधशाला एक्सपोसैट भी लॉन्च होगी। 

यह सब उपलब्धियां पिछले पाँच-छह वर्ष की हैं। इसलिए ध्यान आता है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है। हालाँकि, अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत किसी होड़ में शामिल नहीं है। महाशक्तियों ने जिस तरह अपनी तकनीक का उपयोग वर्चस्व के लिए किया है, वैसा स्वभाव भारत का नहीं है। भारत, जिस भी क्षेत्र में प्रगति करेगा, वहाँ उसकी प्राथमिकता मानवता की सेवा करना होगा। कोरोनारोधी टीका विकसित करके और उसे कमजोर देशों को नि:शुल्क उपलब्ध कराके हमने अपनी सोच को दुनिया के सामने अभी हाल में रखा है। 

भारतीय अंतरिक्ष संघ का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी कि हमने देखा है कि 20वीं सदी में अंतरिक्ष पर राज करने की प्रवृत्ति ने दुनिया के देशों को किस तरह विभाजित किया। अब 21वीं सदी में अंतरिक्ष दुनिया को जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए, यह भारत को सुनिश्चित करना होगा। हमारे लिए अंतरिक्ष विज्ञान देशवासियों की प्रगति का एक बड़ा माध्यम है। हमारे लिए अंतरिक्ष विज्ञान सामान्य मानवी के लिए बेहतर मैपिंग, इमेजिंग और कनेक्टिविटी की सुविधा है। विज्ञान को लेकर यह दृष्टि हमारी प्रारंभ से रही है। विश्वास है कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष संघ की स्थापना के साथ हम और सशक्त होकर उभरेंगे। 

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