शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

सर्जिकल स्ट्राइक : शक्ति की उपासना का प्रकटीकरण

 आज  से नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। शक्ति की उपासना का पर्व। भारत के पर्व उसकी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक पर्व अपने साथ सामाजिक संदेश लेकर आता है। यह सुयोग ही है कि शक्ति पर्व के प्रारंभ से पहले पाकिस्तान में पनाह लिए आतंकवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करके भारत ने दुनिया को बता दिया कि वह शास्त्र के साथ शस्त्र का भी धारण करता है। हम देखें तो पाएंगे कि हमारे प्रत्येक देवी-देवता शस्त्र और शास्त्र दोनों धारण करते हैं। स्पष्ट संदेश है कि अकेला शस्त्र खतरनाक है और शास्त्र निरर्थक। जैसे पाकिस्तान और आतंकवादी संगठनों के पास शस्त्र तो हैं, लेकिन शास्त्र नहीं हैं। इसलिए दुनिया में भय है कि यह पागल देश परमाणु बम का उपयोग न कर बैठे। इसी तरह उन महान संस्कृतियों का शास्त्र (संदेश) भी कोई नहीं सुनता, जिनके पास शस्त्र नहीं है। शस्त्र और शास्त्र में संतुलन का संदेश भारतीय संस्कृति में है। इसलिए भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है और पाकिस्तान एक गैर जिम्मेदार देश। भारत शास्त्र का महत्त्व समझता है, इसलिए इतना संयम और धैर्य दिखा पाता है।
          इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत युद्ध से पहले बुद्ध का उपासक है। भारतीय संस्कृति का मूल संदेश ही यही है कि विश्व में शांति की स्थापना हो। विश्व का कल्याण हो। समूचा विश्व एक कुटुम्ब है, एक परिवार है। यह विचार देने वाला भारत के अलावा कौन देश है भला? लेकिन, इसका यह मतलब कतई नहीं निकाला जाना चाहिए कि भारत को युद्ध से भय है और भारत कायरता की हद तक सहनशील देश है। इतिहास गवाह है कि हमने घोर शत्रु को भी सुधरने के अनेक अवसर दिए हैं। भगवान श्रीराम ने रावण का शांति का संदेश भेजा था। भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का सिर धड़ से अलग करने से पूर्व उसे सुधरने के 100 अवसर प्रदान किए। पांडवों ने कौरवों का भरपूर मौका दिया, सुलह और शांति का। लेकिन, जो युद्ध पिपासु हैं, उन्हें शांति के उपदेश समझ नहीं आते। इसी तरह पाकिस्तान को भी बोली की भाषा समझ नहीं आती। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ गोली का उपयोग, पानी सिर से ऊपर निकलने के बाद ही किया है। इससे पूर्व भारत की पूर्ववर्ती सरकारों और वर्तमान सरकार ने भी पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का ही हाथ बढ़ाया था। पाकिस्तान को आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए भरपूर चेतावनी भी दी। लेकिन, पाकिस्तान अपने चरित्र से बाज नहीं आया। 
          एक सीमा तक धैर्य का प्रदर्शन साहस है, लेकिन चोट पर चोट सहते जाना बहादुरी का काम नहीं और इस प्रकार की प्रवृत्ति से शांति की स्थापना भी नहीं हो सकती। बल्कि, इससे से आतंकवादी प्रवृत्ति का हौसला और अधिक मजबूत होता है। वह और अधिक सीमा तक जाकर अशांति के उपक्रम रचने लगता है। इसलिए कहा गया है कि भय बिनु होत न प्रीति। शांति व्यवस्था कायम करने के लिए कभी-कभी युद्ध आवश्यक हो जाते हैं। बहरहाल, इस अवसर पर सभी राजनीतिक दलों की सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने एकजुटता दिखाई है। सभी देश भारत सरकार के साथ खड़े हैं। सबने यही कहा है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार और सेना का कदम एकदम सही है। 
          देश में कुछ बौद्धिक खरपतवार ऐसी है, जो अब तक भारतीय सेना के पराक्रम और सरकार के साहसी निर्णय पर भरोसा नहीं कर पा रही है। भारत की आधिकारिक घोषणा से अधिक इन्हें पाकिस्तान की झूठी मीडिया अधिक विश्वसनीय नजर आ रही है। सेना इनके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई नहीं कर सकती, लेकिन राष्ट्रभक्त नागरिकों को इनका बहिष्कार अवश्य करना चाहिए। जैसे भारत का नेतृत्व पाकिस्तान को दुनिया में अलग-थलग करने का प्रयास कर रहा है, वैसे ही भारतीय नागरिकों को इन बौद्धिक बीमारों को अलग-थलग कर देना चाहिए। नवरात्र के पावन अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि शांति के साथ-साथ शक्ति उपासना के महत्त्व को भी हम आगे बढ़ाएंगे। वैसे, भारत ने इसके स्पष्ट संदेश दे दिए हैं।

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