भा रत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ’असहिष्णुता’ का सामना इंग्लैंड में भी करना पड़ गया। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ संयुक्त प्रेसवार्ता को संबोधित करने के दौरान बीबीसी के पत्रकार ने मोदी से सवाल किया था कि भारत क्यों लगातार असहिष्णुता बनता जा रहा है? प्रधानमंत्री मोदी ने इसका बड़ा ही खूबसूरत और सटीक जवाब दिया। उन्होंने कहा- ‘भारत बुद्ध की धरती है, गांधी की धरती है और हमारी संस्कृति समाज के मूलभूत मूल्यों के खिलाफ किसी भी बात को स्वीकार नहीं करती है।’ गांधी और बुद्ध शांति और सहिष्णुता के वैश्विक प्रतीक हैं। इनके माध्यम से दुनिया को भारत का चरित्र बताना अधिक आसान है। भारत में जो बुद्धिजीवी ‘कथित बढ़ती असहिष्णुता’ को मुद्दा बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरने की योजना बना रहे हैं, उन्हें भी दुनिया को यह संदेश देना चाहिए था। लेकिन, अपने स्वार्थ के कारण उन्होंने भारत की छवि का ध्यान नहीं रखा। अपने बाहरी संपर्कों का उपयोग करते हुए उन्होंने ‘असहिष्णुता’ को आधार बनाकर दुनिया में भारत की छवि को नकारात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है।
इंग्लैड में बसे भारतीय प्रवासी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि भारतीय साहित्यकारों, कलाकारों और फिल्मकारों की ‘असहिष्णु मुहिम’ के कारण वहां के समाचार माध्यमों में भारत के खिलाफ अचानक नकारात्मक समाचार-सामग्री प्रकाशित/प्रसारित होने लगी। बहरहाल, भारतीय प्रधानमंत्री ने देश की परंपरा के अनुरूप बीबीसी के पत्रकार के माध्यम से देश-दुनिया को भारत के संबंध में सटीक जवाब दे दिया है। उन्होंने यह भी कहा- ‘ हिन्दुस्तान के किसी कोने में कोई घटना घटे, एक हो, दो हो या तीन हो... सवा सौ करोड़ की आबादी में एक घटना का महत्व है या नहीं, यह प्रश्न नहीं है। हमारे लिए तो प्रत्येक घटना गंभीर है। हम किसी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। कानून कड़ाई से कार्रवाई करता है और करेगा।‘ उनके इस कथन के साथ ही इस मसले को यहीं समाप्त कर देना चाहिए।
भारत के लिए यह गौरव का विषय है कि इंग्लैंड में भारतीय प्रधानमंत्री को अभूतपूर्व सम्मान मिला है। यह पहली बार है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री को इंग्लैंड में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ का सम्मान दिया गया। डेविड कैमरन ने अपने निवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत किया। दोनों के बीच में विविध मसलों पर लम्बी बातचीत हुई है। भारत और इंग्लैंड के रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपनी बात कही। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सीट के लिए अब इंग्लैंड भी अपना समर्थन देगा। आर्थिक सहयोग के साथ-साथ सुरक्षा परिषद में स्थाइ सीट के लिए इंग्लैंड का साथ हासिल कर लेना भारतीय प्रधानमंत्री के इस दौरे की बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं को माखौल उड़ाने वालों को समझना होगा कि विश्व शक्ति बनने के लिए इस तरह के प्रयास और प्रवास जरूरी हैं। बहरहाल, मोदी का यह दौरा तीन दिवसीय है। इस दौरे का भारत को क्या-क्या फायदा मिलने वाला है, यह जल्द ही सबके सामने जाहिर हो जाएगा।
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