पाँच सौ और हजार रुपये के नोट बंद करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर अपने भाषण से भ्रष्टाचारी और बेईमान लोगों की नींद उड़ा दी है। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का भरोसा दिलाते हुए जनता से कुछ वक्त और मांगा है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि 'मुझे सिर्फ 50 दिन दीजिए। यदि उसके बाद मैं सफल नहीं हो सका तो जो सजा आप देंगे वह मुझे मंजूर होगी।' प्रधानमंत्री ने अपने इस भाषण में बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई के संकेत देकर भ्रष्टाचारियों को तनाव दे दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वह ३० दिसंबर के बाद भी चुप नहीं बैठेंगे। यह बात कहने में कोई गुरेज नहीं कि बाजार से लेकर सत्ता में घुसपैठ करके बैठे भ्रष्टाचारियों की नींद छीनने के लिए वाकई बड़े जिगर की जरूरत थी।
प्रधानमंत्री मोदी के पाँच सौ और हजार रुपये के नोट बंद करने के फैसले से जनता में प्रसन्नता है, भले ही वह परेशानी का सामना कर रही है। लेकिन, अब तक बड़े स्तर पर आम समाज ने इस निर्णय का विरोध नहीं जताया है। एटीएम और बैंक में कतार में खड़ी भीड़ यह बताती है कि उसे नरेन्द्र मोदी पर भरोसा है। इसलिए प्रधानमंत्री जब जनता से समय मांग रहे हैं, तब वह आश्वस्त हैं कि सामान्य जन उनके साथ खड़ा होगा। इस सामान्य जन की ताकत के आधार पर ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इतना बड़ा निर्णय ले सके हैं। प्रधानमंत्री मोदी को भी मालूम है कि उन्हें जनता ने देश की सबसे बड़ी पंचायत में भेजा ही इसलिए है ताकि व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन आएं। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के समय में बेलगाम हो चुके भ्रष्टाचार पर सब लगाम देखना चाहते थे। इस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध कर रहे वास्तव में अंधविरोध की बीमारी से पीडि़त हैं। क्योंकि आर्थिक जगत के जानकार लोग तो यही कह रहे हैं कि सरकार के इस निर्णय से भ्रष्टाचार, कालाधन और आतंकियों की फंडिंग पर गहरा असर होगा। वहीं, फर्जी मुद्रा के संकट से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को ताकत मिलेगी। महंगाई के कम होने के भी आसार हैं।
बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कह दिया है कि वह बेईमानों के खिलाफ और आगे जाएंगे। अब उनके निशाने पर बेनाम संपत्तियां हैं। यह बेनाम संपत्तियां भ्रष्टाचार और कालेधन से ही खड़ी की गईं। भ्रष्टाचार की कमर तोडऩे के लिए इस दिशा में भी कड़ी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। एक ही व्यक्ति के अलग-अलग शहरों में मकान हैं, जिसके कारण से आवास का संकट खड़ा है। बेनामी संपत्ति में कालेधन के निवेश के कारण जमीन-जायदाद और मकान-प्रकोष्ठ खरीदने का सपना सामान्य आदमी की नजरों से दूर चला गया है। यदि बेनामी संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई होती है, उसके लिए कोई कानून आता है, या फिर अन्य प्रकार के ठोस कदम उठाए जाते हैं, तब एक बार फिर सामान्य जनता को प्रसन्न होने का अवसर प्रधानमंत्री उपलब्ध कराएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उन लोगों से घबराने की जरूरत नहीं है, जो नोट बंद के निर्णय के लिखाफ खड़े होने का प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि, यह वह लोग हैं, जिन्होंने पिछले ७० साल तक धन एकत्र ही किया था, अब उस धन को लेकर यह लोग कहाँ जाएं? इस संबंध में बड़ी महत्त्व की बात प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आपके पास जो काला धन है, वह कागज के टुकड़ों से ज्यादा कुछ नहीं है, इसलिए ज्यादा दिमाग न लगाएं। इस देश में ईमानदार लोगों की कमी नहीं है। आइए, ईमानदारी के इस काम में मेरा साथ दीजिए। देखना होगा कि ३० दिसम्बर तक बेईमानों और भ्रष्टाचारियों का समय कैसे व्यतीत होगा?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share