भारत सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए कि उसके पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं को लक्षित करके हमले किए जा रहे हैं। बांग्लादेश में बढ़ रही जेहादी मानसिकता और कट्टरवाद को रोकने के लिए भारत को हर संभव प्रयास करना चाहिए। यदि बांग्लादेश में इस्लामिक जेहादी मानसिकता हावी हो गई, तब भारत के लिए अनेक चुनौतियाँ उत्पन्न हो जाएंगी। विकराल हो चुके कट्टरवाद से तब शायद निपटना आसान भी न होगा। इसलिए भारत सरकार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पर दबाव बनाएं कि इन हमलों को रोकने के ठोस प्रबंध किए जाएं और हिंदुओं की सुरक्षा की चिंता भी गंभीरता से करें। पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में चरमपंथी गुटों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुनियोजित ढंग से निशाना बनाया, ताकि उनके मन में खौफ पैदा किया जा सके। अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला भी इसी कड़ी का हिस्सा है, जिसके तहत स्वतंत्र सोच रखने वाले लेखकों, पत्रकारों, ब्लॉगरों और सामान्य लोगों की हत्याएँ की जा रही हैं।
बांग्लादेश में पनप चुकी इस कट्टर सोच को आईएस और अन्य आतंकवादी संगठन अपने लिए खाद-पानी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी साल जुलाई में राजधानी ढाका में हुआ आतंकी हमला इसका उदाहरण है। बहरहाल, बांग्लादेश में न केवल तेजी से बढ़ रही, बल्कि मजबूत हो रही इस्लामिक कट्टरता हिंदुओं के लिए सबसे अधिक चिंता का कारण बन गई है। बांग्लादेश में हिंदुओं का जीना मुहाल हो गया है। हिंदू समाज अपने त्यौहार भी आनंद के साथ नहीं मना पाता है। हिंदुओं के बड़े त्यौहार दीपावली पर जेहादी तत्वों ने ब्राह्मणबरिया के नसीरनगर में सैकड़ों घरों में लूटपाट, मारपीट और आगजनी की। दीपावली पूजन की तैयारी कर रहे हिंदुओं पर हमले की घोर निंदा की जानी चाहिए थी, लेकिन इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ न तो बांग्लादेश में कोई जोरदार विरोध किया गया और न ही भारत की तरफ से उस पर कठोर प्रतिक्रिया दी गई है। उसी दिन अतिवादी तत्वों ने हिंदुओं के अनेक मंदिरों को भी नष्ट किया। हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने के पीछे कट्टरपंथी संगठन जमात-शिबिर, हिफाजत-ए-इस्लाम और अहले सुन्नतवाल जमात का हाथ है। यहाँ हमले का कारण जान लेना जरूरी होगा। जेहादियों का यह गुस्सा कुछ दिन पूर्व की एक फेसबुक पोस्ट के कारण फूटा, जिसमें ढाका का काबा कहे जाने वाली मस्जिद अल हरम के साथ भगवान शिव को दर्शाया गया था। फेसबुक पोस्ट के विरोध में कट्टरपंथी मुस्लिमों ने ठीक दीपावली के दिन नसीरनगर में दो अलग-अलग प्रदर्शनों का आयोजन किया। प्रदर्शनकारी इतने असहिष्णु थे कि फेसबुक पोस्ट डालने के आरोपी रसराजदास को फांसी देने की मांग कर रहे थे। जबकि पुलिस रसराजदास को गिरफ्तार कर चुकी थी।
बहरहाल, यह कोई अकेली घटना नहीं है कि इसकी अनदेखी की जाए। यदि भारत सरकार ने बांग्लादेश पर दबाव नहीं बनाया तब इस तरह की घटनाएँ न केवल बढ़ेंगी, बल्कि और अधिक विकराल होंगी। चिंता का विषय इसलिए भी है, क्योंकि जब 150-200 लोगों की भीड़ हिंदुओं के मंदिर और उनके घरों पर हमला कर रही थी, हिंदुओं की जान लेने की कोशिश कर रही थी, तब वहाँ मौजूद बांग्लादेशी पुलिस मूक दर्शक बनकर सब देखती रही। इस समय केंद्र में एक मजबूत सरकार है, राष्ट्रीय विचार की सरकार है, प्रभावशाली सरकार है, इसलिए उससे अपेक्षा है कि वह हिंदू हित में ही नहीं, बल्कि भारत और मानवता के हित में बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाए।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’रंगमंच के मुगलेआज़म को याद करते हुए - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंSahi kaha aapne, ye ek zaruri karya hai,
जवाब देंहटाएंAasha hai ye bhi aapko pasand aayenge- Kallar soil , Green revolution in india advantages and disadvantages
hindu ekta zindabaad
जवाब देंहटाएंYou may like - Paywall to Make Money, Time to Forget about Adblocker