बुधवार, 16 नवंबर 2016

कालेधन के खिलाफ सर्जीकल स्ट्राइक

 प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को देश के नाम संबोधन में कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा निर्णय लेकर जता दिया है कि उनकी सरकार जनहित में बड़े से बड़ा निर्णय बेहिचक ले सकती है। प्रधानमंत्री को यह भी भरोसा था कि देशहित के इस निर्णय में परेशानी उठाकर भी जनता उनके साथ आएगी। सामान्य जन से जो रुझान आ रहा है, वह इस भरोसे की हामी भरता है। जनता ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के साहसी निर्णय का स्वागत किया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि पिछले 70 वर्षों में कालेधन के खिलाफ यह पहला लक्षित हमला (सर्जीकल स्ट्राइक) है। भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ जारी लड़ाई में यह निर्णय सरकार को प्रभावी जीत दिलाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचारियों और कालाधन दबाकर बैठे लोगों को संभलने का कोई मौका नहीं दिया। इतना बड़ा फैसला और किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई, यह इस बात का भी प्रमाण है कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रशासन पर गहरी पकड़ है।
 
          बहरहाल, 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने से भ्रष्टाचारियों में हड़कंप है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि कालेधन का क्या करें? उसे कैसे सफेद धन में परिवर्तित करवाएं। क्योंकि, सरकार ने कालेधन को घोषित करने के जितने अवसर उपलब्ध कराए थे, उन्हें भ्रष्टाचारियों ने यह सोचकर अनदेखा कर दिया कि अब तक कुछ नहीं हुआ तो आगे क्या होगा? यह सोचते समय संभवत: वह भूल गए होंगे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चौंकाने वाले निर्णय लेने में माहिर हैं। बीते मंगलवार को देश को संबोधित करने के लिए वह तीनों सेनाओं के प्रमुखों से मिलकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ आए थे। ऐसे में सब यही सोच रहे होंगे कि राष्ट्र की सुरक्षा, पाकिस्तान या फिर आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री बोलेंगे, लेकिन मोदी ने आर्थिक आतंकवाद के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। निश्चित ही सरकार के इस निर्णय से भारत को सुरक्षा के मसलों पर लाभ मिलेगा। आतंकवाद को नुकसान पहुँचेगा। पाकिस्तान के जरिए भारत में चल रहे फर्जी नोटों का कारोबार टूटेगा। इसीलिए कहा जा रहा है कि सरकार का यह निर्णय अनेक क्षेत्रों में अपना असर दिखाएगा। 
          मोदी विरोध के धंधे में लगे लोग कह रहे हैं कि सरकार के इस अप्रत्याशित निर्णय से आम आदमी परेशान होगा। हाँ, यह होगा कि घर में बचत करने की आदत के कारण जमा 500 और 1000 रुपये के नोट बदलने में उसे मशक्कत का सामना करना पड़ेगा। लेकिन, वह भी जानता है कि अंतत: यह निर्णय उसी के हित में है। वह अर्से से चाहता था कि कैसे भी सरकार कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाए। सरकार के इस निर्णय से न केवल कालाधन खत्म होगा, बल्कि भ्रष्टाचार रुकेगा और महंगाई भी कम होगी। नोट बदलने के लिए आम आदमी को परेशान होने और हड़बड़ाने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भरोसा दिलाया है कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई का पूरा मूल्य मिलेगा। ईमानदार नागरिकों को नोट बदलने के लिए पर्याप्त अवसर और समय उपलब्ध कराया जाएगा। 
          फिलहाल 30 दिसंबर तक बैंक और डाकघर में नोट बदले जा सकते हैं। यदि 50 दिन की इस समय सीमा के बाद भी कोई व्यक्ति नोट नहीं बदल पाता है, तब उसके लिए भी 31 मार्च, 2017 तक का समय है। इसलिए मोदी विरोधी यह भ्रम फैलाने में सफल नहीं हो सकेंगे कि आम आदमी के पसीने की कमाई का क्या होगा? अतार्किक बहस में न पड़कर हमें यह केंद्र सरकार के साहस और सूझबूझ की प्रशंसा करनी चाहिए। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी सरकार के इस निर्णय की सराहना की है।

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