भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंतरराष्ट्रीय मंच से मात्र 10 मिनट में पाकिस्तान को दुनिया के सामने एक बार फिर बेनकाब कर दिया। अपने उद्बोधन में श्रीमती स्वराज ने बड़ी स्पष्टता के साथ पाकिस्तान और भारत में अंतर स्थापित कर दिया। उनके भाषण की खासियत रही कि उन्होंने पहले भारत के वर्तमान और भविष्य को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। सबको बताया कि भारत किस प्रकार विश्व कल्याण के मार्ग पर अग्रसर है। उसके बाद उन्होंने बताया कि विश्व शांति में एक देश (पाकिस्तान) किस प्रकार खतरनाक सिद्ध हो रहा है। यह देश आतंक ही बोता है, आतंक ही उगाता है और आतंक ही बेचता है। आतंक को पालना इसका शौक हो गया है। भारत के साथ ही पेरिस, न्यूयोर्क, ढाका, इंस्ताबुल, ब्रूसेल और काबुल में हुए आतंकी धमाकों जिक्र करके विदेश मंत्री ने दुनिया को बताने की कोशिश की कि पाकिस्तान सिर्फ भारत के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि पाकिस्तान में पैदा हो रहा आतंकवाद दुनिया को बर्बाद कर देगा।
श्रीमती स्वराज ने आतंकवादियों की आर्थिक सहायता के स्रोतों पर भी सवाल उठाया और पूछा कि आखिर आतंकियों को आर्थिक मदद कौन पहुँचा रहा है? उनके इस प्रश्न के पीछे का भाव यह रहा होगा कि आतंकियों के मददगार देश को अलग-थलग करके उसका आर्थिक बहिष्कार भी करने की आवश्यकता है। क्योंकि, यह देश नागरिक कल्याण के नाम पर दुनिया के विकसित देशों से आर्थिक मदद प्राप्त करता है, लेकिन उसका उपयोग आतंकियों का पोषण करने में किया जाता है। इस देश को आर्थिक मदद देना यदि बंद कर दिया जाए तो निश्चित ही आतंकवादियों की फंडिंग पर बड़ी चोट होगी।
अपने इस उद्बोधन में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के 'भाषण' का बिंदुवार करारा जवाब भी दिया है। उन्होंने ठीक ही कहा कि जिनके घर शीशे के होते हैं, उन्हें दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए। जम्मू-कश्मीर में रटा-रटाया राग अलापने की जगह पाकिस्तान को अपने ही गिरेबां में झांकने की जरूरत है। बलूचिस्तान में किस प्रकार पाकिस्तान की सेना निर्दोष नागरिकों पर अमानवीय अत्याचार कर रही है। विदेश मंत्री ने एक बार फिर बताया कि भारत ने सदैव ही अपने पड़ोसी के प्रति सद्भावना का प्रदर्शन किया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी छवि से उलट प्रारंभ से ही पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के लिए प्रयास किए। अपने शपथ ग्रहण समारोह में नवाज शरीफ को बुलाया। मोदी काबुल से लौटते हुए बड़ी सहजता के भाव में पाकिस्तान उतर गए और नवाज के घर पहुँचे। लेकिन, इन सब प्रयासों का पाकिस्तान की ओर से क्रूर जवाब आया, पहले पठानकोट के रूप में और अब उड़ी हमला।
सुषमा स्वराज ने अपने भाषण से यह सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान 'आतंकी' देश है। उन्होंने दुनिया को बताया कि एक आतंकी देश में ही यह संभव हो सकता है कि वहाँ संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी न केवल खुलेआम घूमे बल्कि जनसभाएं भी आयोजित करे। आतंकवादी संगठन हिजबुल के कमांडर बुरहान वानी को शहीद घोषित करने वाला देश आतंकी ही होता है। भारत के इस कड़े जवाब से पाकिस्तान तिलमिला गया है। उसने तत्काल 'उत्तर देने के अधिकार' का उपयोग करते हुए श्रीमती स्वराज के भाषण को 'झूठ का पुलिंदा' बता दिया। हालांकि उनके प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाषण की तरह यह उत्तर भी कमजोर और अप्रभावी था। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत द्वारा बलूचिस्तान का जिक्र करने से पाकिस्तान बिलबिला गया है। उसकी ओर से कहा गया है कि भारत ने बलूचिस्तान का मामला उठाकर उसके आंतरिक मामले में दखलंदाजी की है। क्या पाकिस्तान के हुक्मरान बताएंगे कि वह वर्षों से जम्मू-कश्मीर पर चिल्ला-चौंट करके क्या कर रहे थे? भारत को बलूचिस्तान ही नहीं, बल्कि सिंध और पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर में हो रही अमानवीय अत्याचार के मामले भी उठाने चाहिए।
पाकिस्तान को जल्द समझ लेना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, उसे कश्मीर को उजाडऩे का ख्वाब छोड़ देना चाहिए। बहरहाल, यह सही है कि भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को करारा जवाब दे दिया है, लेकिन सिर्फ जवाब देने से काम नहीं चलेगा। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। युद्ध न सही, लेकिन पाकिस्तान का बहिष्कार करने के लिए दुनिया के शक्तिशाली देशों पर भारत को लगातार दबाव बनाना चाहिए।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-09-2016) के चर्चा मंच "उत्तराखण्ड की महिमा" (चर्चा अंक-2481) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'