अब यह साबित हो चुका है कि उत्तरप्रदेश में कानून व्यवस्था संभालने में समाजवादी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव असफल रहे हैं। लगभग साढ़े तीन महीने पहले उत्तर प्रदेश के कैराना में हिंदू समुदाय की पलायन की खबरें सामने आई थीं। यह पलायन चर्चा के केंद्र में लंबे समय तक रहा। इस गंभीर राष्ट्रीय मुद्दे पर तथाकथित सेकुलर जमात ने न केवल आँखें बंद कर ली थीं, बल्कि हिंदू पलायन को पूरी तरह खारिज कर दिया था। हिंदुओं के पलायन को खारिज करने के लिए इस सेकुलर जमात ने एक से बढ़कर एक कुतर्क गढ़े थे। यहाँ तक की कैराना जाकर फर्जी तथ्यों या अपवाद के आधार पर यह साबित करने का पूरा प्रयास किया कि कैराना से पलायन स्वाभाविक है। यह पलायन रोजगार और बेहतर जीवन के लिए हुआ है। मीडिया के एक धड़े ने भी इस जमात को भरपूर सहयोग दिया था। लेकिन, मानवाधिकार आयोग ने इन ढ़ोंगी सेकुलरों का मुँह नोंच लिया है। इनके झूठ को उजागर कर दिया है। मानवाधिकार आयोग ने अपनी जाँच में पाया है कि हिंदू परिवारों का पलायन सत्य है, कोई झूठ नहीं। पलायन की मुख्य वजह भी मुस्लिम समाज के दबंगों की गुंडागर्दी है।
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट आने के बाद सब मानवाधिकारों की चिंता करने वाले सब छद्म सेकुलर खामोशी की चादर ओढ़ कर बैठ गए हैं। सोचिए, यदि मानवाधिकार आयोग अपनी जाँच में यह पाता कि पलायन स्वाभाविक हुआ है, हिंदू पलायन के पीछ मुस्लिम संप्रदाय का भय नहीं है, तब यह सेकुलर जमात किस तरह भोंपू बजा रही होगी? इनके इस दोहरे चरित्र ने ही सेकुलर जैसे शब्द को सबसे अधिक विकृत कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कोझीकोड से अपने भाषण में सच ही कहा कि सेकुलरिज्म की इस विकृत परिभाषा ने भारतीय समाज का सबसे अधिक नुकसान किया है। मुसलमानों को सुधार के रास्ते पर आगे बढऩे में सेकुलरों की यह फौज सबसे बड़ी बाधा है। मुसलमानों और इस्लाम की विकृतियों पर चर्चा करने की बजाय सेकुलर उन पर पर्दा डालकर सामाजिक अपराध करते हैं। कैराना प्रकरण में भी छद्म सेकुलरों का यही दुराचरण देखने में आया। उन्होंने एक संप्रदाय के आतंक और उस आतंक के कारण दूसरे समुदाय के पलायन के गंभीर खतरे को नकारने का कुत्सित प्रयास किया।
उत्तरप्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार को भी इन सेकुलरों ने झूठ बोलने का हौसला दे दिया था। बड़ी बेशर्मी ने वोटबैंक की खातिर सपा सरकार ने यह दावा किया था कि पलायन की वजह मुस्लिम नहीं हैं और न वहाँ भय का माहौल है। लेकिन, कहते हैं कि सच छिपाने से नहीं छिपता। मानवाधिकार आयोग ने स्पष्ट किया है कि हिंदुओं के पलायन की मुख्य वजह कैराना में व्याप्त मुस्लिम समुदाय गुंडाराज ही है। हम यह भी जानते हैं कि इस गुण्डाराज को सपा सरकार से आश्रय मिला हुआ है। सपा सरकार ने एक मुस्लिम नेता और कैबिनेट मंत्री खुलकर मुसलमानों की आपराधिक गतिविधियों का पक्ष लेते हैं। गौरतलब है कि हिंदुओं के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को उजागर करने का श्रेय भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय सांसद हुकुम सिंह को है। भाजपा विरोधी नेताओं, बुद्धिजीवियों और मीडिया ने पूरा जोर इस बात पर लगाया कि हुकुम सिंह द्वारा जारी सूची को किस प्रकार भ्रामक साबित किया जाए। उन्होंने मूल समस्या का सच पता लगाने की कोशिश नहीं की। क्योंकि, उनका उद्देश्य समाज हित नहीं था। यह खेमा मनुष्य को मनुष्य के रूप में नहीं देखता। वरना, क्या कारण है कि मानवाधिकारों के हनन पर हाय-तौबा मचाने वाले लोग हिंदुओं के मानवाधिकार पर खामोश बैठे हैं। समूचे समाज के हित में इस दोहरे आचरण को ठीक करने की जरूरत है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share