शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

सहजता है पहचान

 प त्रकारिता की एक व्याख्या यह भी है कि पत्रकारिता व्यक्ति को कुछ दे या न दे लेकिन घमण्ड इतना देती है कि पैर जमीन पर टिकते नहीं, अचानक ही 'आम लोगों' के बीच का आदमी 'बेहद खास' हो जाता है। सोचिए, यहां सहज और सरल रहना कितना मुश्किल होगा। पत्रकारिता में शानदार 35 साल गुजारकर और पांच साल से भी अधिक समय तक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में नवदुनिया जैसे प्रतिष्ठित अखबार के सम्पादक रहकर भी गिरीश उपाध्याय बेहद सहज और सरल ही नहीं बल्कि सर्वसुलभ और मिलनसार भी हैं। नई पीढ़ी के पत्रकारों से संवाद को वे सदैव तैयार रहते हैं, हर मसले पर उनके साथ खुलकर बात की जा सकती है। वे प्रेरक और मार्गदर्शक हैं। 
साहित्य और वैचारिकी उन्हें विरासत में मिली। मालवा के लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार और हिन्दी की ख्यातनाम साहित्यिक पत्रिका 'वीणा' के सम्पादक रहे मोहनलाल उपाध्याय 'निर्मोही' उनके पिता थे। अपने पिता से गिरीश उपाध्याय ने माटी से जुड़ाव, सामाजिक सरोकार और देशहित में कलम साधना सीखा। वर्ष 1981 में दैनिक स्वदेश, इंदौर से उन्होंने अपने पत्रकारीय सफर की विधिवत शुरुआत की। वर्ष 1983 से 2001 तक समाचार एजेंसी यूनीवार्ता के लिए विभिन्न पदों पर रहते हुए मध्यप्रदेश के भोपाल, ग्वालियर, इंदौर-उज्जैन और राजस्थान की राजधानी जयपुर में एजेंसी पत्रकारिता को नए आयाम दिए। देश के सबसे बड़े रीजनल चैनल ईटीवी की हिन्दी सेवा से 2001 के अंत में जुड़े। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में ईटीवी न्यूज चैनल का नेटवर्क खड़ा करने की अहम जिम्मेदारी सफलतापूर्वक पूरी की। यही नहीं हैदराबाद स्थिति ईटीवी के मुख्यालय में भी हिन्दी रीजनल चैनल का सेटअप तैयार कराने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन किया। इसके बाद अमर उजाला अखबार के चंडीगढ़ संस्करण में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ स्टेट ब्यूरो प्रमुख के नाते काम किया। देश बड़े समाचार-पत्र समूहों में शामिल राजस्थान पत्रिका में 2005 से 2008 तक बतौर डिप्टी एडिटर अखबार के कंटेन्ट पर काम किया। वर्ष 2008 संपादक होकर नवदुनिया, भोपाल चले आए। फिलहाल माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की स्वामी विवेकानन्द पीठ पर रिसर्च फैलो हैं। 
24 सितम्बर, 1958 को इंदौर में जन्मे गिरीश उपाध्याय लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित हैं। माधवराव सप्रे संग्रहालय भोपाल द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान और राष्ट्रीय पत्रकार न्यास द्वारा बापूराव लेले सम्मान उन्हें प्रदान किया जा चुका है। वर्ष 2011 में राज्य स्तरीय श्रेष्ठ पत्रकारिता सम्मान और 2012 में बेस्ट एडिटर सम्मान, भोपाल भी उन्हें मिल चुके हैं। चीन, जापान, हांगकांग और मलेशिया की यात्रा कर चुके गिरीश उपाध्याय सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता के हामी हैं। वर्तमान में वे इंडियन मीडिया सेंटर के मध्यप्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष हैं और अपने स्तर पर पत्रकारिता में शुचिता और पत्रकारों की बेहतरी के लिए प्रयत्नशील हैं।  
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"गिरीश उपाध्याय हिन्दी पत्रकारिता के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। उनकी पत्रकारिता सनसनीखेज नहीं है। उनकी पत्रकारिता में देश और समाज सबसे पहले हैं। सकारात्मक पत्रकारिता के गुरुकुल हैं गिरीशजी।" 
- लोकेन्द्र पाराशर, संपादक, स्वदेश ग्वालियर 
-  जनसंचार के सरोकारों पर केन्द्रित त्रैमासिक पत्रिका "मीडिया विमर्श" में प्रकाशित आलेख

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