केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने दिए सनातन विरोध बयान
तथाकथित सेकुलर राजनीतिक दल और नेताओं ने हिन्दू धर्म को पंचिंग बैग समझ लिया है। अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने और एक खास वोटबैंक को खुश करने के लिए अकसर तथाकथित सेकुलर नेता हिन्दू धर्म को लक्षित करके विवादित बयानबाजी करते रहते हैं। कोई सनातन धर्म की तुलना डेंगू से करता है तो कभी सनातन के समूल नाश पर सेमिनार कराए जाते हैं। कभी संसद में जोश में आकर कह दिया जाता है कि “जो लोग अपने आपको हिन्दू कहते हैं, वो चौबीस घंटे हिंसा, हिंसा, हिंसा; नफरत, नफरत, नफरत; असत्य, असत्य, असत्य कहते हैं”। अब केरल के मुख्यमंत्री एवं कम्युनिस्ट नेता पिनराई विजयन ने सनातन धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करके हिन्दू विरोध की मानसिकता को प्रकट किया है। उनकी टिप्पणी बताती हैं कि सनातन धर्म के संबंध में उनकी समझ बहुत उथली है और उन्होंने जानबूझकर हिन्दू धर्म को निशाना बनाने का प्रयास किया है। यही कारण है कि कि मुख्यमंत्री विजयन की टिप्पणियों का विरोध न केवल भारतीय जनता पार्टी कर रही है अपितु कांग्रेस ने भी विरोध किया है। हालांकि, विश्व हिन्दू परिषद ने विपक्षी दल में शामिल सभी राजनीतिक दलों की सोच पर सवाल उठाए हैं। क्योंकि कांग्रेस के नेताओं की ओर से जो विरोध दर्ज कराया जा रहा है, वह गोल-मोल है।
केरल के मुख्यमंत्री ने दो टिप्पणियां की हैं। पहली टिप्पणी में मुख्यमंत्री विजयन ने यह स्थापित करने का प्रयास किया है कि संत और समाज सुधारक श्री नारायण गुरु का सनातन धर्म से कोई लेना-देना नहीं था। अपितु उन्होंने तो सनातन में सुधार करके नये धर्म की घोषणा की। विजयन की इस सोच से देखेंगे तो स्वामी दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद से लेकर महात्मा गांधी तक कोई भी सनातनी नहीं कहलाएगा क्योंकि इन सबने भी काल के प्रवाह में हिन्दू समाज में आए कई दोषों को दूर करने का कार्य किया। विजयन को समझना चाहिए कि सनातन ही है, जो यह स्वतंत्रता देता है कि उसके अनुयायी सुधार की बात कर सकें और अपना नया रास्ता भी प्रस्तुत कर सकें।
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मुख्यमंत्री विजयन ने अपनी दूसरी टिप्पणी में कहा है कि राज्य के मंदिरों में प्रवेश करने से पहले पुरुष श्रद्धालुओं को कमर से ऊपर के कपड़े उतारने की आवश्यकता संबंधी लंबे समय से जारी प्रथा को देवस्वम बोर्ड समाप्त करने की योजना बना रहा है। उन्होंने इस प्रथा को एक सामाजिक बुराई बताया तथा इसके उन्मूलन का आह्वान किया है। विजयन बताएं कि इससे पहले उन्होंने किसी अन्य धर्म-संप्रदाय की किस प्रथा को सामाजिक बुराई बताया हो और उसके उन्मूलन की दिशा में कदम बढ़ाया हो। महिलाओं को बुर्का जैसे बंधन से मुक्ति दिलाने की बात होती है तब यही कम्युनिस्ट बिरादरी उस कबीलाई व्यवस्था को आधुनिक समय में भी बनाए रखने की वकालत करते हैं।
मुख्यमंत्री विजयन की सनातन धर्म विरोधी टिप्पणियों को लेकर समाज की ओर से भी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं लेकिन वे अब भी अपनी टिप्पणियों पर कायम हैं। यह दर्शाता है कि केरल के मुख्यमंत्री को हिन्दू समाज की भावनाओं की कोई चिंता नहीं है। तथाकथित सेकुलर नेताओं को यह समझना चाहिए कि यदि वे अन्य संप्रदायों के बारे में कोई प्रतिकूल टिप्पणी देने का सामर्थ्य नहीं रखते हैं, तब उन्हें हिन्दू धर्म के संबंध में भी ऊटपटांग बोलने का कोई अधिकार नहीं है।
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