गुरुवार, 22 जून 2023

‘गीता प्रेस’ के सम्मान का विरोध करके क्या प्राप्त होगा?

Gita Press Controversy को Exposed करनेवाला यह वीडियो देखिए-


भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को प्रतिष्ठित ‘गांधी शांति पुरस्कार’ देने का निर्णय करके बहुत अच्छा काम किया है। इसी वर्ष गीता प्रेस ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण किये हैं। अपनी इस 100 वर्ष की यात्रा में इस प्रकाशन ने भारतीय संस्कृति की खूब सेवा की है। भारतीयता के विचार को जन-जन तक पहुँचाने में गीता प्रेस का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस आज विश्व के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक मानी जाती है। इस प्रेस ने अब तक 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित कर नया कीर्तिमान बनाया है। इनमें से श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं। गीता प्रेस की नीति के कारण श्रीमद्भगवतगीता, श्री रामायण, श्री महाभारत सहित अनेक भारतीय ग्रंथ घर-घर तक पहुँच सके।

मंगलवार, 20 जून 2023

भारतीय मूल्यों की संवाहक बन रही हैं जी-20 की बैठकें

संयोग देखिए कि जब भारत अपनी स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है, उसी समय उसे विश्व के प्रभावशाली देशों के संगठन ‘जी-20’ की अध्यक्षता का अवसर प्राप्त हुआ है। भारत को एक वर्ष के लिए जी-20 की अध्यक्षता का यह अवसर मिला है, जिसमें भारत 200 से अधिक जी-20 बैठकों का आयोजन करेगा। विभिन्न मुद्दों को लेकर होनेवाली इन बैठकों में दुनियाभर से विद्वान एवं राजनयिक आएंगे। निश्चित ही भारत अपने आतिथ्य के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति उनके मन को आकर्षित करने में सफल रहेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने बीते वर्षों में निरंतर संपर्क-संवाद से जी-20 समूह में शामिल देशों के साथ जो संबंध विकसित किए हैं, उन्हें मित्रता का और गहरा रंग देने का भी यह अवसर है। व्यापक आर्थिक मुद्दों के साथ ही व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर आयोजित होनेवाली बैठकों में जब जी-20 के प्रतिनिधि एवं विषय विशेषज्ञ आएंगे, तब वे भारत से इन मुद्दों पर सम्यक दृष्टिकोण लेकर भी जाएंगे। ये ऐसे विषय हैं, जिन पर दुनिया बात तो कर रही है, लेकिन ठोस समाधानमूलक पहल इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि समाधान की दृष्टि में सार्वभौमिक मूल्यों का अभाव है। जैसे पर्यावरण के मुद्दे पर सामर्थ्यशाली देश स्वयं तो भोगवादी प्रवृत्ति को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है परंतु विकासशील देशों से वे अपेक्षा कर रहे हैं कि कार्बन उत्सर्जन इत्यादि में कमी लाने के लिए प्रयास करें। भारत अपनी परंपरा के आलोक में उक्त विषयों पर जी-20 की बैठकों के दौरान विश्व का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। भारत ने जिस जोश एवं उत्साह के साथ जी-20 की अध्यक्षता का स्वागत किया है, उसे स्वीकारा है, उसे देखकर यह समझा जा सकता है कि वर्तमान नेतृत्व ने पहले से कोई भावभूमि तैयार कर रखी है, जिस पर खड़े होकर वह भारतीय मूल्यों के आधार पर विश्व के प्रभावशाली देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करेगा। कहना होगा कि भारत के पास यह ऐसा स्वर्णिम अवसर है, जो विश्वपटल पर भारत के कल्याणकारी विचार एवं मूल्यों की पुनर्स्थापना में सहायक सिद्ध होगा।

सोमवार, 19 जून 2023

मानवता हो विज्ञान का आधार

जी-20 के अंतर्गत ‘कनेक्टिंग साइंस टू सोसाइटी एंड कल्चर’ विषय पर आयोजित विज्ञान-20 सेमिनार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का महत्वपूर्ण वक्तव्य


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जी-20 के अंतर्गत ‘कनेक्टिंग साइंस टू सोसाइटी एंड कल्चर’ विषय पर आयोजित विज्ञान-20 सेमिनार में महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया, जो हमें विज्ञान के प्रति भारतीय दृष्टिकोण से परिचित कराता है। आज विज्ञान के क्षेत्र में जिस गति से प्रगति हो रही है, उसे देखकर दुनियाभर के मानवतावादी उत्साहित तो हैं परंतु उनके मनों में गहरी आशंकाएं भी हैं। यह आशंकाएं इसलिए भी स्वाभाविक हैं क्योंकि आज जिनके हाथों में विज्ञान की ताकत है, उनके पास मानवतावादी दृष्टि नहीं है। वैज्ञानिक खोजों में सक्रिय ताकतों का प्राथमिक उद्देश्य व्यवसाय है। उनकी दृष्टि में लोक कल्याण की भावना बहुत पीछे है। इसकी अनुभूति कोविड-19 से जनित वैश्विक महामारी के दौरान दुनिया ने भली प्रकार कर ली है। जबकि भारत की विज्ञान परंपरा में लोक कल्याण ही विज्ञान का प्राथमिक लक्ष्य है। हमारे ऋषि वैज्ञानिकों ने विज्ञान को मानवता का आधार दिया था। दुनियाभर में घटी अनेक घटनाएं इस बात की साक्षी हैं कि विज्ञान जब भी मानवता से हटा है, वह विध्वंस ही लाया है। आज हम उस दौर में पहुँच चुके हैं, जब यह आवश्यक हो गया है कि विज्ञान को समाज एवं संस्कृति से जोड़ने की दिशा में ठोस पहल करें और विज्ञान के लिए कुछ अनिवार्य वैश्विक सिद्धांत स्वीकार किए जाएं। विज्ञान को मानवता के आधार पर केंद्रित नहीं किया तो आनेवाले समय में यह हमारी समस्याओं का समाधान देने की जगह नई चुनौतियां पैदा कर देगा। विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रही वैश्विक संस्थाओं के वैज्ञानिकों एवं प्रतिनिधियों के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विज्ञान की भारतीय दृष्टि’ को प्रस्तुत करके सबको एक संदेश देने का प्रयास किया है। अच्छा होगा कि ‘विज्ञान-20’ में शामिल होने आए दुनियाभर के वैज्ञानिक अपने साथ भारतीय विचार को लेकर जाएं।

रविवार, 18 जून 2023

रोजगार को लेकर सरकार बना रही है विश्वास का वातावरण, स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सौंप रहे युवाओं को नियुक्ति पत्र

रोजगार ऐसा मुद्दा है, जो देश की आर्थिक प्रगति का सूचक तो है ही, यह देश के सामान्य लोगों से भी सीधे जुड़ता है। रोजगार के मुद्दे को लेकर अकसर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर रहते हैं। देश की जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है और साक्षरता का प्रतिशत भी बढ़ गया है, ऐसे में सबको शासकीय नौकरी देना, अत्यंत चुनौतीपूर्ण काम है। इसके बावजूद केंद्र की मोदी सरकार ने देश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के साथ ही शासकीय नौकरी देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। देश में यह पहली बार हो रहा है कि स्वयं प्रधानमंत्री युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंप रहे हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए यह गौरव की बात होगी कि उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से नियुक्ति पत्र मिला है। चूँकि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्वास का पर्याय बन गए हैं, इसलिए सरकार युवाओं को संदेश देना चाहती है कि मोदी सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध है।

शुक्रवार, 16 जून 2023

संदिग्ध शिक्षा संस्थाओं की व्यापक जाँच हो

शिक्षा की आड़ में जिस प्रकार से ईसाई और मुस्लिम संस्थाओं द्वारा कन्वर्जन को अंजाम दिया जा रहा है, यह चिंताजनक है। एक के बाद एक मामले सामने आने से स्थितियों के और भयावह होने की आशंका है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह संदिग्ध शैक्षिक संस्थाओं की व्यापक जाँच-पड़ताल करे और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने की साजिश में लगी सभी संस्थाओं के प्रमुखों पर कड़ी कार्रवाई हो और उन संस्थाओं पर हमेशा के लिए ताला लगाया जाए।

बुधवार, 14 जून 2023

किसान कल्याण महाकुंभ में शिवराज सरकार ने किसानों को दी सौगातें

खेती-किसानी और उससे जुड़े व्यवसाय मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था एवं विकास की धुरी हैं। यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी सरकार बखूबी समझती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के हाथ में जब से प्रदेश की कमान है, तब से उन्होंने लगातार किसानों की बेहतरी के लिए प्रयास किए हैं। केंद्र में मोदी सरकार और राज्य में शिवराज सरकार, दोनों ने अपनी प्राथमिकता में किसानों को रखा है। मध्यप्रदेश के राजगढ़ में आयोजित ‘किसान-कल्याण महाकुंभ’ के आयोजन से सरकार ने यही संदेश देने का प्रयास किया है कि वह किसानों के हितों की चिंता करने में सदैव की तरह अग्रणी रहेगी। देश में मध्यप्रदेश इकलौता राज्य है जहाँ किसानों को ‘किसान सम्मान निधि’ के अंतर्गत 12 हजार रुपये वार्षिक मिलेंगे। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने पर शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के किसानों को 4000 रुपये की राशि देने का निर्णय किया था, महाकुंभ में जिसे बढ़ाकर अब 6000 रुपये कर दिया गया है। इस तरह अब प्रदेश के किसानों को केंद्र की मोदी सरकार से 6000 रुपये और प्रदेश की शिवराज सरकार से 6000 रुपये मिलेंगे, अर्थात् 12 हजार रुपये वार्षिक। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस निर्णय कमजोर आय वर्ग एवं छोटी जोत के किसानों को बहुत बड़ी सहायता मिलेगी। किसान कल्याण महाकुंभ में लिए गए निर्णय बताते हैं कि मध्यप्रदेश की सरकार किसानों को लेकर अत्यंत संवेदनशील है और किसानों को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

शनिवार, 10 जून 2023

महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है शिवराज सरकार

 प्रदेश की महिलाओं के बैंक खातों में 10 जून को आएगी ‘लाड़ली बहना योजना’ की पहली किस्त


महिला सशक्तिकरण की दिशा में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी ‘लाड़ली बहना योजना’ को लेकर जिस प्रकार का उत्साहजनक वातावरण मातृशक्ति के बीच में बना हुआ है, उससे इस योजना की आवश्यकता एवं महत्व ध्यान में आ रहा है। अभी हाल में ग्वालियर प्रवास के दौरान विभिन्न वर्गों की माताओं-बहनों से बातचीत के बाद दो बातें अनुभव में जुड़ी हैं। एक, महिलाओं के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता गजब की है। यह मामला केवल लोकप्रियता तक सीमित नहीं है, अपितु उन्हें मुख्यमंत्री पर अटूट विश्वास भी है। दो, उनका मानना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के लिए जितनी योजनाएं शुरू कीं, उतनी किसी और ने कभी नहीं की हैं। बेटी के जन्म से लेकर उसके विवाह और उसके बाद के जीवन की भी चिंता सरकार ने की है। शिवराज सरकार बेटी के साथ माँ का ध्यान भी रखती है। नि:संदेह, शिवराज सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही स्त्री सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत दिखी है। मध्यप्रदेश सरकार की महिला नीति को देखने से ध्यान आता है कि यह सरकार सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक रूप से महिलाओं को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। बेटी बचाओ अभियान, लाड़ली लक्ष्मी योजना, स्वागतम् लक्ष्मी योजना, गाँव की बेटी योजना, जननी सुरक्षा कार्यक्रम, कन्या अभिभावक पेंशन योजना, उषा किरण योजना और मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अतिरिक्त कई अन्य कार्यक्रम एवं योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से सरकार हर कदम पर महिलाओं के साथ खड़ी नजर आती है। स्त्री सशक्तिकरण की इसी शृंखला में ‘लाड़ली बहना योजना’ भी जुड़ गई है।

बुधवार, 7 जून 2023

मध्यप्रदेश में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहलकदमी पर सरकार ने ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’ की नींव रखी है। सरकार का उद्देश्य है कि इस योजना के आधार पर ‘आत्मनिर्भर युवा-आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ की सुंदर इमारत खड़ी हो। नि:संदेह, युवाओं के हाथ में हुनर होगा, तो वे राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में आगे बढ़कर आहुति देंगे। आज प्रदेश ही नहीं, अपितु देश की सबसे बड़ी ताकत हमारी युवा जनसंख्या है। भारत दुनिया का सबसे अधिक युवा जनसंख्या का देश है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट-2023’ के अनुसार, भारत में 26 प्रतिशत जनसंख्या का आयुवर्ग 10 से 24 साल है। वहीं, सबसे ज्यादा 68 प्रतिशत आबादी 15 से 64 वर्ष के आयुवर्ग में है। एक ओर यह सुखद तथ्य है, तो दूसरी ओर इस युवा शक्ति का सही दिशा में उपयोग करने की कठिन चुनौती भी हमारे सामने है। कोई युवाओं को ‘बेरोजगारी भत्ता’ देने की बात कह रहा है, तो कोई अन्य प्रकार से बहलाने की कोशिश कर रहा है, ऐसे सभी प्रकार के विमर्शों के बीच मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’ के रूप में सराहनीय एवं अनुकरणीय पहल की है। यह मानने के अनेक कारण उपलब्ध हैं कि ‘बेरोजगारी भत्ता’ युवा शक्ति की धार को कुंद कर सकता था। युवाओं के हाथ में केवल चार-पाँच हजार रुपये देने से स्थायी समाधान नहीं निकल सकता था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार ने अच्छा निर्णय लिया कि युवाओं को उनकी रुचि का काम सिखाकर, उनके हाथों को सदा के लिए सशक्त कर दिया जाए। युवाओं को प्रशिक्षण के दौरान उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर 8 हजार से 10 हजार रुपये तक का आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाएगा। अर्थात् युवा हुनर सीखने के साथ भी कमाएगा और सीखने के बाद तो उसकी कमाई के अनेक रास्ते खुल ही जाने हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह कहना उचित ही है- “बेरोजगारी भत्ता बेमानी है। नई योजना, युवाओं में क्षमता संवर्धन कर उन्हें पंख देने की योजना है, जिससे वे खुले आसमान में ऊँची उड़ान भर सकें और उन्हें रोजगार, प्रगति और विकास के नित नए अवसर मिलें”।

रविवार, 4 जून 2023

सुराज संकल्प का ‘अमृतकाल’

मोदी सरकार के 9 वर्षों का मूल्यांकन करती पुस्तक ‘अमृतकाल में भारत’



भारतीय संस्कृति में कहा जाता है, 'नयति इति नायक:', अर्थात् जो हमें आगे ले जाए, वही नायक है। आगे लेकर जाना ही नेतृत्‍व की वास्‍तविक परिभाषा है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार वर्ष 2021 में 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान 'अमृतकाल' शब्द का इस्तेमाल किया था, जब उन्होंने अगले 25 वर्षों के लिए देश के लिए एक अद्वितीय रोडमैप को प्रस्तुत किया। अमृतकाल का उद्देश्य भारत के नागरिकों के जीवनशैली में गुणात्मक वृद्धि करना, गांवों और शहरों के बीच विकास में विभाजन को कम करना, लोगों के जीवन में सरकार के हस्तक्षेप को कम करना और नवीनतम तकनीक को अपनाना है।

शुक्रवार, 2 जून 2023

‘भारत के स्वराज्य’ का उद्घोष था श्रीशिवराज्याभिषेक

स्वराज्य 350 : आज से प्रारंभ हो रहा है छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक एवं हिन्दू साम्राज्य की स्थापना का 350वाँ वर्ष



आज का दिन बहुत पावन है। आज से ‘हिन्दवी स्वराज्य’ की स्थापना का 350वां वर्ष प्रारंभ हो रहा है। विक्रम संवत 1731, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी (6 जून, 1674) को स्वराज्य के प्रणेता एवं महान हिन्दू राजा श्रीशिव छत्रपति के राज्याभिषेक और हिन्दू पद पादशाही की स्थापना से भारतीय इतिहास को नयी दिशा मिली। कहते हैं कि यदि छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म न होता और उन्होंने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना न की होती, तब भारत अंधकार की दिशा में बहुत आगे चला जाता। महान विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय समाज का आत्मविश्वास निचले तल पर चला गया। अपने ही देश में फिर कभी हमारा अपना शासन होगा, जो भारतीय मूल्यों से संचालित हो, लोगों ने यह कल्पना करना ही छोड़ दिया। तब शिवाजी महाराज ने कुछ वीर पराक्रमी मित्रों के साथ ‘स्वराज्य’ की स्थापना का संकल्प लिया और अपने कृतित्व एवं विचारों से जनमानस के भीतर भी आत्मविश्वास जगाया। विषबेल की तरह फैलते मुगल शासन को रोकने और उखाड़ फेंकने का साहस शिवाजी महाराज ने दिखाया। गोविन्द सखाराम सरदेसाई अपनी पुस्तक ‘द हिस्ट्री ऑफ द मराठाज-शिवाजी एंड हिज टाइम’ के वॉल्यूम-1 के पृष्ठ 97-98 पर लिखते हैं कि ‘मुस्लिम शासन में घोर अन्धकार व्याप्त था। कोई पूछताछ नहीं, कोई न्याय नहीं। अधिकारी जो मर्जी करते थे। महिलाओं के सम्मान का उल्लंघन, हिंदुओं की हत्याएं और धर्मांतरण, उनके मंदिरों को तोड़ना, गोहत्या और इसी तरह के घृणित अत्याचार उस सरकार के अधीन हो रहे थे।। निज़ाम शाह ने जिजाऊ माँ साहेब के पिता, उनके भाइयों और पुत्रों की खुलेआम हत्या कर दी। बजाजी निंबालकर को जबरन इस्लाम कबूल कराया गया। अनगिनत उदाहरण उद्धृत किए जा सकते हैं। हिन्दू सम्मानित जीवन नहीं जी सकते थे’। ऐसे दौर में मुगलों के अत्याचारी शासन के विरुद्ध शिवाजी महाराज ने ऐसे साम्राज्य की स्थापना की जो भारत के ‘स्व’ पर आधारित था। उनके शासन में प्रजा सुखी और समृद्ध हुई। धर्म-संस्कृति फिर से पुलकित हो उठी।