मंगलवार, 21 जून 2016

योगमय दुनिया

 अंतरराष्ट्रीय  योग दिवस के अवसर पर दुनिया में भारत के ज्ञान-विज्ञान का परचम फहरेगा। एक बार फिर दुनिया भारतीय संस्कृति के रंग में रंगी दिखाई देगी। 21 जून को विश्व योगमय हो जाएगा। आनंद के साथ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में तैयारियां चल रही हैं। प्रत्येक भारतीय को गर्व होना चाहिए कि योग और आयुर्वेद भारत की ओर से समूचे मानव समाज के लिए श्रेष्ठ उपहार हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा कि विशेषता है कि चर-अचर के हित के किसी भी प्रकार ज्ञान को हमने रोककर नहीं रखा, उसको बांधकर नहीं रखा, उसे दुनिया से छिपाया नहीं, बल्कि दुनिया उसे दुनिया में फैलाया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका यात्रा के दौरान इस बात को कहा भी कि भारत ने कभी योग के पेटेंट के लिए प्रयास नहीं किया है। दरअसल, भारत के मनीषी समूची सृष्टि को ध्यान में रखकर चिंतन और सृजन करते थे। भारतीय चिंतन परंपरा ने सदैव विश्व को एक परिवार की तरह देखा है। अपने इसी व्यापक दृष्टिकोण के कारण हमने कभी मानव कल्याण के ज्ञान-विज्ञान पर अपना एकाधिकार नहीं थोपा।
        गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों के कारण ही 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिली है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को 193 देशों के समर्थन के बाद मात्र 90 दिन में स्वीकृति दे दी गई। भारत की प्राचीन विद्या की इस वैश्विक मान्यता से स्पष्ट होता है कि दुनियाभर में योग के प्रति जागरूकता बढ़ती जा रही है। लगातार सामने आ रहे शोध और अनुभव योग के प्रति विश्वास को और अधिक पुष्ट कर रहे हैं। हम जानते हैं कि आज विज्ञान का युग है। विज्ञान की मान्यता अधिक है। विज्ञान की कसौटी पर खरे उतरने वाले ज्ञान को ही आमजन स्वीकार करता है। योग ने भी अपनी वैज्ञानिकता को सिद्ध किया है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के भारत के प्रस्ताव का समर्थन करने वालों में अच्छी संख्या में मुस्लिम देश भी शामिल थे। यानी योग से शुद्ध मुस्लिम मुल्कों को भी कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि समय की माँग है कि योग को धार्मिक नजरिए से नहीं बल्कि विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए। जब हम योग को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखते हैं तब यह प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी जान पड़ता है। और फिर, वर्ष 2015 में पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मुस्लिम देशों में लोगों को योग करते हुए देखकर भी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि धार्मिक विश्वास योग करने में बाधक नहीं है। 
        दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भी दुनियाभर में उत्साह का माहौल है। योग दिवस से पूर्व दुबई के वल्र्ड ट्रेड सेंटर में 10 हजार मुस्लिम महिलाओं और 30 हजार अन्य सम्प्रदाय के लोगों को ख्यातनाम योगगुरु बाबा रामदेव ने योग कराया। ब्रिटेन में टॉवर ब्रिज के नजदीक पॉटर्स फील्ड में करीब 10 हजार लोगों ने योग और ध्यान किया। दक्षिण अफ्रीका में योग अभ्यास के लिए डरबन, कैपटाउन, जोहांसवर्ग में हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान और चीन सहित अनेक देशों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की लहर दिखाई दे रही है। भारत में भी राजपथ आज योगपथ में तब्दील हो जाएगा। 57 मंत्रियों को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तारतम्य में होने वाले कार्यक्रमों का नेतृत्व सौंपा गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चंडीगढ़ में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे और उनके मंत्री देशभर में होने वाले योग कार्यक्रमों में सूर्य नमस्कार, आसन और प्राणायाम करेंगे।

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-06-2016) को ""वर्तमान परिपेक्ष्य में योग की आवश्यकता" (चर्चा अंक-2381) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. योग के विज्ञान को देश दुनिया अपना रही है, यह हमारे लिए बड़े गौरव का विषय है ...
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'योग आभा से आलोकित वैश्विक समुदाय : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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