सं सद में मंगलवार को वही सब हुआ, जिसका अंदेशा देश को पहले से था। हंगामा और सिर्फ हंगामा। मानो हंगामा खड़ा करना ही हमारा मकसद हो गया हो। किसी भी मुद्दे पर संसद को ठप किया जा सकता है। इस बार विशेषाधिकार पर हंगामा काटा जाना लगभग तय लग रहा है। गौरतलब है कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मुद्दे पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा संसद में की गयी टिप्पणियों पर एकजुट विपक्ष ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया था। विपक्षी दलों का कहना था कि स्मृति ईरानी ने संसद में पांच जगह गलत तथ्य पेश किए और उन्होंने जानबूझकर सदन को गुमराह किया। जबकि भाजपा की ओर से कहा गया है कि मंत्री ने जो भी तथ्य रखे वह आधिकारिक हैं। मंत्री ने हैदराबाद पुलिस की कार्रवाई के आधार पर तथ्य प्रस्तुत किए थे। लेकिन, विपक्ष भाजपा के तर्क से संतुष्ट और सहमत नहीं हुआ। जेडीयू सांसद केसी त्यागी और केटीएस तुलसी ने शनिवार को ही नोटिस दे दिया था। बाद में, लेफ्ट और कांग्रेस की ओर से भी नोटिस दिया गया।
ध्यान देने की बात यह है कि संसद ठप करने के लिए प्रतिपक्ष इतना आतुर था कि सोमवार को जब लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने वित्तमंत्री अरुण जेटल को बजट पेश करने के लिए कहा तब ही विपक्षी दलों के नेता विशेषाधिकार का झंडा लेकर खड़े हो गए। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने लोकसभा अध्यक्ष से यह बताने को कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव का क्या हुआ? उनके समर्थन में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े सहित अन्य सदस्य भी खड़े हो गए और नोटिस पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग करने लगे थे। जबकि लोकसभा अध्यक्ष को 26 और 29 फरवरी को विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव मिला। बसपा ने तो मंगलवार को ही प्रस्ताव दिया है। लेकिन, प्रतिपक्ष अपने प्रस्ताव पर विचार करने का अवसर भी देना नहीं चाहता। यह किस तरह का संसदीय व्यवहार है? मंगलवार को संसद में उपसभापति पीजे कुरियन भी उस समय भड़क गए जब गुलाम नबी आजाद उन्हें विशेषाधिकार हनन से संबंधित नियम पढ़कर सुनाने लगे। उपसभापति ने उन्हें समझाया कि नियम हमें मालूम है। विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है। लोकसभा अध्यक्ष उस पर फैसला लेंगी।
इस पूरे मसले में मंगलवार को नया मोड़ आ गया है। अब केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने रोहित वेमुला के मसले पर ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया है। मंत्री ने कहा है कि वे स्वयं दलित समुदाय से आते हैं। उन्होंने मंत्रालय को लिखे पत्र में एक बार भी छात्र के नाम का उल्लेख नहीं किया है। कांग्रेस सांसद ने उनके 30 साल के सार्वजनिक जीवन को धूमिल करने का प्रयास किया है। बहरहाल, दोनों पक्षों का रुख देखकर लगता है कि आने वाले दिनों में विशेषाधिकार पर जमकर हंगामा होना तय है। संसद में मंगलवार को विशेषाधिकार हनन के मसले पर बात नहीं हो पाई तो विपक्षी दलों ने सुबह से ही मानव संसाधन विकास, राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया के बयान पर ही हंगामा खड़ा करना शुरू कर दिया। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी। उसके बाद एआईएएमडीके सांसद भी पी. चिंदबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम की संपत्ति मामले की जांच की मांग और कार्रवाई की मांग करने हुए हंगामा करने लगे। अपने प्रमुख नेता से जुड़े मसले पर घिरी कांग्रेस ने इसे सत्तापक्ष के इशारे पर किया गया हंगामा बता दिया। कांग्रेस का आरोप है कि स्मृति ईरानी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के मामले पर चर्चा से बचने के लिए सरकार के इशारे पर यह हंगामा किया जा रहा है। बहरहाल, अब देखना होगा कि आगे क्या-क्या होता है। क्या सांसद यह साबित करेंगे कि संसद में हंगामा उनका विशेषाधिकार हो गया है।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बच्चों का नैसर्गिक विकास होने दें - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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