शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

अराजक भीड़ ने 'बेंगलुरु' को किया अपमानित

 बें गलुरु से खबर है कि उग्र भीड़ ने तंजानिया की एक छात्रा के साथ बदसलूकी की है। उसकी पिटाई की है। इतना ही नहीं, भीड़ ने छात्रा के कपड़े भी नोंच लिए। उसे अर्धनग्न अवस्था में सड़क पर दौड़ाया। एक युवक ने जब छात्रा की मदद करने की कोशिश की, उसे अपनी टी-शर्ट पहनने के लिए दी तो भीड़ ने उस युवक को भी जमकर पीटा। बुरी तरह जख्मी लड़की ने भीड़ से बचने के लिए जब वहां से गुजर रही बस में चढऩे की कोशिश की तो यात्रियों ने उसे धकेलकर वापस भीड़ के हवाले कर दिया। यह किस तरह का व्यवहार है। एक लड़की की रक्षा करने की जगह बस यात्रियों ने कायराना व्यवहार किया। उफ! हमारी संवेदनाएं। भीड़ ने छात्रा के तीन दोस्तों को भी बुरी तरह पीटा है। बताते हैं कि पुलिस भी मूक दर्शक की तरह यह वीभत्स घटना को देखती रही। अस्पताल स्टाफ ने भी उन्हें इलाज के लिए भर्ती नहीं किया। बेंगलुरु की पहचान एक हाईटेक और उच्च शिक्षित शहर के नाते है। वहां इस तरह की घटना होना चिंता का विषय है। उग्र भीड़ ने अपने इस कृत्य से समूचे बेंगलुरु को अपमानित किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बदनामी का कारण यह घटना बन सकती है।
        मामला कुछ यह है कि एक सूडानी नागरिक मोहम्मद इस्माइल ने शराब के नशे में तेज कार चलाते हुए पीडि़त सनाउल्ला की कार में टक्कर मार दी। इस हादसे में सनाउल्ला की पत्नी की मौत हो गई। इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों की भीड़ ने उग्र रुख अख्तियार कर लिया। भीड़ ने सूडानी युवक की कार को आग के हवाले कर दिया। भीड़ का गुस्सा यहीं शांत नहीं हुआ बल्कि वहां से अपने दोस्तों के साथ गुजर रही तंजानिया की छात्रा को अपनी हिंसक मानसिकता का शिकार बना लिया। भीड़ ने मर्यादा की हदें लांघ दीं। किसी की गलती के लिए एक निर्दोष लड़की की अस्मिता को तार-तार करने का प्रयास किया। अत्यंत निंदनीय बात यह है कि इस घटना को दबाने का प्रयास किया गया। तंजानिया के हाईकमिश्नर इस मामले को विदेश मंत्रालय के संज्ञान में लाए तब मीडिया में इस संबंध में खबरें आना शुरू हुई हैं। 
        तंजानिया हाईकमिश्नर ने मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस घटना को शर्मनाक बताया है। उन्होंने कर्नाटक सरकार को इस मामले में ठोस कार्रवाई के लिए कहा है। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या से इस मामले की पूरी रिपोर्ट मंगाई है। हालांकि, इस तरह की अन्य घटनाओं पर राहुल गांधी बयान देने में देरी नहीं करते। चूँकि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए अब तक उन्होंने चुप्पी साध रखी है। वहीं, नारीवादी आंदोलन के पैरोकार गूंगे बनकर बैठे हैं। बुद्धिवादियों को यहां कोई असहिष्णुता दिखाई नहीं दे रही। क्यों दिखाई नहीं दी, यह बताना संभवत: जरूरी नहीं है। सब जानते हैं। 
         बहरहाल, इस तरह की घटनाओं पर राजनीति होनी भी नहीं चाहिए। कुछ होना चाहिए तो सिर्फ दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई। कर्नाटक सरकार को बिना देरी किए भीड़ में शामिल अराजक तत्वों की पहचान कराकर, उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए। ताकि यह संदेश जाए कि देश में भीड़ तंत्र सहन नहीं किया जाएगा। इस तरह की घटनाओं में भीड़ की आड़ में दोषी बच जाते हैं। अपनी करनी का दण्ड नहीं मिलने से उनके हौसले और ऊंचे हो जाते हैं। भविष्य में यह अराजक तत्व फिर किसी के साथ अनाचार करते हैं। भीड़ के रूप में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए। ताकि एक ठोस संदेश समाज में चला जाए कि अपराधी बच नहीं सकता। केन्द्र और राज्य सरकार को जल्द से जल्द इस मामले में छात्रा को न्याय दिलाने का प्रयास करना चाहिए। चूंकि यह मामला विदेशी मूल की छात्रा और उसके दोस्तों से जुड़ा है, इसलिए अधिक एतिहात बरतने की जरूरत होगी। 

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