कोरोना महामारी से निबटना एवं उसे रोकना केवल सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है, यह कार्य नागरिक समूहों के सहयोग एवं जागरूकता के बिना संभव नहीं हो सकता। यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समय रहते ही राज्य सरकारों को चेताना, राज्यों की स्थितियों का आकलन करना और उन्हें अपेक्षित सहयोग उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। जिन राज्यों में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है उनके मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद करते हुए कहा है- "बढ़ते संक्रमण के मामलों को ध्यान में रखते हुए इसे गंभीरता से लें। हम इस समय एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां तीसरी लहर की आशंका लगातार जतायी जा रही है। देश के अधिकांश राज्यों में कोरोना संक्रमण की संख्या कम हुई थी, राहत महसूस हुई थी। व्यापार के क्षेत्र में भी लोग उम्मीद कर रहे थे कि स्थिति सुधरेगी। आज छह राज्य हमारे साथ हैं जहां पिछले सप्ताह 80 प्रतिशत मामले इन राज्यों से हैं। 84 प्रतिशत मौत भी इन राज्यों से हुई है"।
यह आंकड़े चिंताजनक हैं। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने चिंता जताते हुए प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की है। जिन राज्यों में संक्रमण के मामले कम हैं, वहाँ टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और टीका की नीति को भली प्रकार अपनाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए यह अभी तक का सफलतम सूत्र है। इसलिए राज्य सरकारों को जाँच, निगरानी और उपचार की प्रक्रिया को तेज रखना चाहिए। साथ ही टीकाकरण अभियान पर भी निगरानी रखना जरूरी है। इसके साथ ही तीसरी आवृत्ति की आशंका को ध्यान में रखकर राज्य में आवश्यक चिकित्सकीय प्रबंध भी समय रहते कर लेना चाहिए। पूर्व तैयारी ही भविष्य के खतरे को टालेगी और उसके प्रभाव को कम करेगी। उम्मीद है कि केंद्र के साथ मिलकर राज्य सरकारें कोरोना महामारी को रोकने के लिए उचित कदम समय रहते उठाएंगी।
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