रविवार, 11 जुलाई 2021

अपना शहर-अपने लोग

देखें वीडियो : ग्वालियर तू बहुत याद आता है | Gwalior


गोपाचल पर्वत पर शान से खड़ा

आसमान का मुख चूमता 'दुर्ग'

नदीद्वार, ज्येन्द्रगंज, दौलतगंज

नया बाजार से कम्पू को आता रास्ता

वहां बसा है मेरा प्यारा घर

मुझे बहुत भाता है 

ग्वालियर तू मुझे बहुत याद आता है। 


सात भांति के वास्तु ने संवारा

सबको गोल घुमाता 'बाड़ा' 

दही मार्केट में कपड़ा, टोपी बाजार में जूता

गांधी मार्केट में नहीं खादी का तिनका

पोस्ट ऑफिस के पीछे नजर बाग मार्केट में 

मेरा दोस्त कभी नहीं जाता है

ग्वालियर तू मुझे बहुत याद आता है। 


सन् 1857 के वीरों की विजय का गवाह

शहर की राजनीति का बगीचा 'फूलबाग'

बाजू से निकला स्वर्णरेखा नाला

कईयों को कर गया मालामाल

नए-नए बने चौपाटी की चाट खाने

शाम को सारा शहर जाता है

ग्वालियर तू मुझे बहुत याद आता है। 


चाय की दुकान, कॉलोनी का चौराहा

यहां सजती हैं दोस्तों की महफिल

देश की, विदेश की, आस की, पड़ोस की

बातें होती दुनिया जहांन की

मां की ममता, पिता का आश्रय 

बहन का दुलार, पत्नी का प्यार बुलाता है

ग्वालियर तू मुझे बहुत याद आता है। 


- लोकेन्द्र सिंह -

(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)

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