चलिए शीर्षक से जुड़े विषय पर आते हैं। कैमरन ने एक अंग्रेजी खबरिया चैनल को साक्षात्कार दिया है। साक्षात्कार में डेविड कैमरन उस वक्त सोच में पड़ गए, जब साक्षात्कारकर्ता ने उनसे प्रश्न किया - 'भारत सरकार यदि ब्रिटेन से कोहिनूर मांगता है तो क्या ब्रिटिश सरकार कोहिनूर दे सकेगी?' प्रश्न सुनते ही जेम्स टेंशन में आ गए और सोच-विचारने वाली मुद्रा में बैठ गए। थोड़ी देर बाद बोले - 'यह तो संभव नहीं है, क्योंकि एक के लिए हां बोला तो ब्रिटेन का सारा म्यूजियम खाली हो जाएंगा।' उन्होंने ठीक ही कहा था, कहने से पहले सोचा भी था न। वैसे तो यह मुद्दे से इतर जाने का अच्छा जवाब था, लेकिन बहुत कुछ सच तो इसमें भी छुपा था। वो यूं कि, कैमरन का कहना था, यदि वह एक कोहिनूर को वापस करने के लिए हां बोलते है तो हो सकता है कि एक-एक कर सारी लूटी हुई वस्तुओं की मांग भारत करने लगे, फिर तो ब्रिटेन के सारे म्यूजियम खाली होने ही हैं। क्योंकि ब्रिटेन के म्यूजियम लूटी हुई चीजों से ही भरे और सजे पड़े हैं। दो सौ साल बहुत होते हैं किसी देश को लूटने के लिए। ब्रिटेन व्यापार का बहाना लेकर इस देश में घुसा और फिर धीमे-धीमे उसने लूटमार मचाना शुरू किया जो करीब दो सौ साल चला। उसी दो सौ साल में जो कुछ लूटा उसमें से आंशिक ही हिस्सा है जो ब्रिटेन के म्यूजियमों की शोभा बढ़ा रहा है। बाकी का बहुत सारा हिस्सा तो कहां, किस ब्रिटश कंपनी के अफसर के पेट में और अन्य जगह खप गया होगा पता नहीं।
इतना ही नहीं सवाल और जवाब के बीच उन्होंने यह भी सोच लिया होगा कि अगर ब्रिटेन भारत के लिए हां करता है तो बाकि के वे देश भी तो अपनी चीजें वापस मांग सकते हैं, जो कभी अत्याचारी ब्रिटिश उपनिवेश के गुलाम हुआ करते थे। इस तंगहाली के दौर में अगर सबने अपनी-अपनी चीजें मांगनी शुरू कर दीं तो ब्रिटेन नंगा हो जाएगा।
इससे शायद महोदय पी. चिदंबरम की आंखे खुलें
इस मामले से मुझे याद आया कि अक्टूबर 2007 में पी. चिदंबरम ने कहा था कि भारत तो कभी सोने की चिडिय़ा रहा ही नहीं। वे उस समय वित्त मंत्री हुआ करते थे। मुझे उस समय चिदंबरम की बुद्धि पर बड़ा आश्चर्य हुआ था कि पता नहीं इतना बड़ा सच पी. चिदंबरम साहब कहां से खोज लाए हैं? बचपन से तो हम यही पढ़ते आ रहे थे कि इस देश में अकूत संपदा थी जिसे समय-समय पर लुटेरों ने लूट लिया। हाथी, घोड़ों और ऊंटों पर लादकर ले गए। इतना ही नहीं कई आक्रांताओं ने तो बार-बार लूट मचाई। चिदंबरम द्वारा उद्घाटित यह सच तो उन वामपंथियों बुद्धिजीवियों और इतिहासकारों की नजरों से भी औझल रहा, जो समय-बेसमय भारत को दीन-हीन और असभ्य बताते रहे हैं। चिदंबरम साहब को उस वक्त मैंने अपने शहर के एक प्रतिष्ठित अखबार में पत्र संपादक के नाम पत्र लिखकर पूछा था कि .....- अगर भारत गरीब और कंगाल था तो क्यों विभिन्न आक्रांताओं ने इस देश पर बार-बार आक्रमण किया?
- क्यों बाबर (एक अत्याचारी जिसके तथाकथित मकबरे के लिए इस देश में खूब खून बहा है और राजनीति हुई है और हो री है। इतना ही नहीं इस देश के कई लोगों ने इस लुटेरे को अपना आदर्श बना रखा है।), तैमूर लंग और मुहम्मद गजनी, मुहम्मद गौरी आदि ने भारत में लूट मचाई?
- भारत गरीब था तो क्यों ईस्ट इंडिया कंपनी यहां व्यापार के लिए आई और नंगो-भिखारियों के देश में दो सौ साल तक क्या करती रही?
इन सवालों की गूंज पी. चिदंबरम के कानों तक तो उस समय न पहुंची होगी, लेकिन उम्मीद करता हूं कैमरन ने जो कहा उस पर तो उन्होंने गौर किया ही होगा। आखिर महाशय भारत के गृह मंत्री हैं।
एगो भिखारी चबूतरा पर बईठ के रोज भीख माँगता था...एक दिन मर गया.. लोग उसका अंतिम संस्कार कर दिया मिलकर. बाद में जब चबूतरा बराबर करने के लिए गड्ढा खोदा गया त उसके नीचे एगो बक्सा में हज़ारों साल का पुराना खजाना दबा हुआ था… आप समझ रहे हैं न हम का कहना चाह रहे हैं!
जवाब देंहटाएंवाह भाई बहोत ही बढ़िया लिखा है
जवाब देंहटाएंपंचू भैया,
जवाब देंहटाएंकैमरन साहब ने पता नहीं क्या सोच विचार किया। मुझे लगता है वे ठीक से सोच नहीं पाए। अगर सोचा होता तो सच नहीं बोलते। और इतना बड़ा सच। खैर अगर सोचकर बोला तो हमें उनकी तारीफ करनी चाहिए कि वे मान रहे हैं कि उनके यहां जो भी है वह सब लूट का ही है अपना कुछ नहीं। आपने अच्छा विषय उठाया है। आपको साधुवाद।
वैसे चिदम्बर साहब के विषय में मैं कुछ नहीं कहूंगा। उनकी तो बुद्धि पर मुझे तरस आता है। अब क्या कहूं?
बात तो सही है| लूट के माल से कब तक मौज करेंगे?
जवाब देंहटाएंलोकेन्द्र जी नमस्ते
जवाब देंहटाएंयह तो केवल भारत को बदनाम करने क़ा तरीका है जिसके घर में धन होगा वही डकैती पड़ेगी भारत पर जो हमल्र हुए वह सब धन लुटने क़े लिए क्यों की सभी जगह बिपन्नता थी दरिद्र थे हमारी कला संस्कृति उच्च कोटि की थी सम्पूर्ण दुनिया लालची दृष्टि से देखती थी लेकिन सोनिया,मनमोहन और सोनिया को यह सब दिखाई नहीं देता क्यों की सोनिया तो चर्च द्वारा प्रायोजित है मनमोहन ,चितंबरम उसके गुलाम.शोध पूर्ण लेख क़े लिए बधाई.
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!
very good.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा आपने....
जवाब देंहटाएंकभी 'डाकिया डाक लाया' पर भी आयें...
Yah to bahut badhiya hai...
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपको पढ़कर. बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखते हैं.
जवाब देंहटाएंMr.Pankaj Mishra Tum tou ek number ke chutia insaan ho......Na ghar ke ho Na ghat ke ho....Badi Badi Baten karte ho....Yadi aisi baat hai to Musalmaano ka Deemag theek karo...aur yahan apna time waste mat karo.....
जवाब देंहटाएंkisi ek musalman ko theek ker do aur phir yahan badi badi baate kerna.....varna Chutia ki upadhi tumhare upar theek lagti hai........