ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ दिया, जिसमें उन्होंने सबकी एकजुटता के लिए धन्यवाद दिया। जिस प्रकार की एकजुटता भारत के लोगों ने दिखायी, उसको रेखांकित करना आवश्यक भी था। जब किसी देश के नागरिक ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना से भर जाते हैं, तब वह देश किसी भी क्षेत्र में सबसे श्रेष्ठ प्रदर्शन करता है। एकजुटता से बड़ा कोई संदेश नहीं होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत ही नपे-तुले शब्दों में भारत का अभिमत रखा है। उनका यह संबोधन भले ही देश के नागरिकों के लिए था, लेकिन इसमें समूची दुनिया के लिए संदेश था। इसलिए उम्मीद है कि पाकिस्तान और दुनिया के चौधरी के रूप में खुद का प्रस्तुत करनेवाले देश के बड़बोले नेताओं ने भी भारत की बात को ध्यान से सुना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान को दुनियाभर में गुहार लगाने के लिए मजबूर कर दिया। इसलिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सीजफायर के बाद अमेरिका को कई बार धन्यवाद दिया। जबकि भारत ने एक बार भी अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम नहीं लिया। इस अंतर को समझना बहुत जरूरी है। यह भारत और पाकिस्तान की स्थिति के अंतर को भी बताता है। यह साफ संदेश है कि भारत ने किसी के दबाव में या किसी के कहने पर सीजफायर नहीं किया बल्कि पाकिस्तान की गुहार पर आतंकवाद पर अपनी कार्रवाई को स्थगित किया है। अगर ट्रंप अभी भी श्रेय लूटने की कोशिश करते हैं, तब इसे उनका बड़बोलापन ही कहा जाएगा, जिसका प्रदर्शन वे पहले भी कई अवसरों पर करते आए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में यह स्थापित कर दिया है कि अब आतंकी हमले के बाद भारत सबूत, दस्तावेज और डॉजियर देने की नीति को बहुत पीछे छोड़ चुका है, अब तो सीधे आतंकवाद की गर्दन दबोचने का काम किया जाता है। उरी और पुलवामा के प्रतिकार से भी अधिक बड़ी कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ था। प्रधानमंत्री और भारतीय सेना ने पाकिस्तान को साफ कहा है कि अगली कार्रवाई इससे भी अधिक व्यापक होगी। भारत ने पाकिस्तान को कहा है कि यदि उसकी ओर से अब कोई कार्रवाई हुई या आतंकवाद की घटना भी हुई, तो उसे खुले तौर पर युद्ध माना जाएगा। यह नया भारत है, आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
आतंकवाद पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब भारत की नीति बन गई है। सबको यह बात साफतौर पर समझनी चाहिए कि भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध शुरू नहीं किया था अपितु भारत ने तो आतंकवाद पर कार्रवाई की थी। भारत कभी भी युद्ध के पक्ष में नहीं रहा है। लेकिन जब पाकिस्तान ने आतंकवाद पर हुई चोट से खुद को जोड़कर भारत पर हमला करने का प्रयास किया, तब भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है और जब उसे अपनी भूल का अहसास हुआ, उसने कार्रवाई रोकने की गुहार की, तब व्यापक हित में भारत ने शांति की राह चुनी। इसलिए जो कोई भी इसे भारत की कमजोरी बताने का प्रयास कर रहे हैं, वे सही अर्थों में भारत विरोधी हैं। भारत के नागरिकों को ऐसे लोगों की पहचान सुनिश्चित करके, उनका बहिष्कार करना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share