मंगलवार, 14 जून 2022

विश्वपटल पर एकजुट हो सज्जनशक्ति

चित्र प्रतीकात्मक है. पाकिस्तान के ही किसी मंदिर पर हमले का यह चित्र है.

शिवलिंग पर की जा रहीं आपत्तिजनक टिप्पणियों के विरोध में किये गए एक बयान के आधार पर भारत के विरुद्ध नकारात्मक वातावरण बनानेवाला पाकिस्तान कभी अपने गिरेबान में झाँककर देखने की कोशिश नहीं करता। हिंदुओं सहित गैर-इस्लामिक मत के अनुयायियों पर होनेवाले अत्याचार पाकिस्तान के भीतर की कालिख को उसके मुंह पर मलने के लिए पर्याप्त हैं। कट्टरता और घोर सांप्रदायिक सोच में डूबा पाकिस्तान न जाने किस मुंह से दुनिया के सबसे बड़े और सफल लोकतंत्र पर सवाल उठाता है। पाकिस्तान में जो हाल हिन्दू समुदाय का है, वही स्थिति उनके पूजास्थलों के साथ भी है। अक्सर हिन्दू मंदिर कट्टरपंथियों की हिंसा का शिकार हो जाते हैं। विगत बुधवार को एक बार फिर कराची के कोरंगी इलाके में श्री मरी माता मंदिर में मूर्तियों पर हमला हुआ। श्री मरी माता मंदिर कोरंगी पुलिस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इसका अर्थ है कि पाकिस्तान में अतिवादियों के मन में पुलिस का भी भय नहीं है।

          पाकिस्तान में मंदिर पर हमले का यह पहला मामला नहीं है, बल्कि वहाँ लगातार हिन्दू मंदिरों पर जेहादियों की भीड़ हमले करती रहती है। इससे पहले अज्ञात लोगों ने लरकाना में मंदिर में तोड़फोड़ की थी। अक्टूबर में कोटरी में सिंधु नदी के किनारे स्थिति ऐतिहासिक मंदिर पर अज्ञात लोगों ने कथित तौर पर हमला कर दिया था। यह श्रृंखला बहुत लंबी है। पाकिस्तान ऐसा देश है, जहां गैर-मुस्लिम समुदायों की जनसंख्या लगातार कम होती गई है। इसके कारणों कि पड़ताल करेंगे तो ध्यान आएगा कि पाकिस्तान में शासन की शह पाकर कट्टरपंथी ताकतों ने गैर-मुस्लिमों का जबरन कंवर्जन किया है और जेहादियों के अत्याचारों से भयाक्रांत लोग पलायन को मजबूर हुए हैं। पाकिस्तान की सांप्रदायिक परिस्थितियों के जीवंत प्रमाण समूची दुनिया है बिखरे हुए हैं। 

          दु:ख की बात यह है कि किसी को हिंदुओं सहित अन्य समुदायों की यह दयनीय स्थिति दिखाई नहीं देती है। जबकि महज एक बयान, एक कार्टून और एक किताब के विरोध में दुनियाभर की इस्लामिक ताकतें एकजुट हो जाती हैं। कट्टरपंथ और सांप्रदायिकता से लड़ने के लिए इस प्रकार की एकजुटता, सद्भाव में विश्वास करने वाले ताकतों के बीच भी चाहिए। विश्वपटल पर सज्जनशक्ति की ताकत भी दिखनी चाहिए। अन्यथा इस प्रकार से इस्लामिक ताकतें न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतान्त्रिक मूल्यों एवं व्यवस्थाओं को प्रभावित करेंगी अपितु किसी भी देश के आंतरिक मुद्दों पर दखल देने कि प्रवृत्ति भी बढ़ जाएगी। ऐसी स्थिति में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के मध्य कटुता बढ़ेगी। संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि सज्जनशक्ति भी एकजुट हो और इस्लामिक देशों की अतिवादी सोच और सांप्रदायिकता के उपचार के लिए दबाव बनाए।

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2 टिप्‍पणियां:

  1. पाकिस्तान को क्या कोसना भाई लोकेन्द्र . कितने पाकिस्तान तो हमारे देश में ही बैठे हैं वह भी हिन्दू ..पाक तो शह ही ऐसे लोगों से पा रहा है वरना उसकी क्या औकात है .

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