सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

निशाने पर कश्मीरी हिन्दू

जम्मू-कश्मीर के घाटी और श्रीनगर के क्षेत्रों में इस्लामिक आतंकी जिस तरह चिह्नित करके हिन्दुओं की हत्याएं कर रहे हैं, उससे पता चलता है कि वह 1990 की तरह हिन्दुओं को भयाक्रांत करके बचे-खुचे हिन्दुओं को भी खदेडऩा चाहते हैं। विवादास्पद अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर अनेक हिन्दू घाटी में नौकरी एवं व्यवसाय करने गए हैं। 1990 में इस्लामिक आतंकवाद से पीडि़त होकर जिन हिन्दुओं को घर छोडऩे पड़े, सरकार उन्हें उनके घर एवं संपत्तियों वापस दिखाने के प्रयास भी कर रही है। मोदी सरकार के यह सब प्रयास इस्लामिक चरमपंथियों को पसंद नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि उन्होंने एक बार फिर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि कश्मीर घाटी में हिन्दुओं को जीवित नहीं रहने दिया जाएगा। सरकार को आतंकवादियों की इस चुनौती को गंभीरता से लेना चाहिए।

  यह बात सही है कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए विशेष अभियान चलाए हैं। भारतीय सेना ने कुख्यात आतंकियों को भी मार गिराया है। लेकिन इतना भर पर्याप्त नहीं है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कश्मीर लौट रहे हिन्दुओं को पर्याप्त सुरक्षा मिले और उनके मन में असुरक्षा की भावना घर न कर पाए। इसके लिए सिर्फ आतंकियों को खत्म करने से काम नहीं चलेगा बल्कि आतंकियों के समर्थकों को भी सबक सिखाना होगा। 

श्रीनगर के विद्यालय में जिस तरह आतंकियों ने नाम और पहचान-पत्र देखकर मुसलमानों को छोड़ते हुए हिन्दुओं की हत्या की है, उससे भय का वातावरण बन सकता है। हालाँकि इस बार सरकार का साथ होने से हिन्दुओं के मन में एक आत्मविश्वास है। इसलिए बलिदानी दवा व्यवसायी माखनलाल बिंद्रू की बेटी सिंहनी की तरह दहाड़ते हुए आतंकियों को ललकारी है। 

19 जनवरी, 1990 को कश्मीर की मस्जिदों से जो धमकी भरे नारे गूंजे थे, उन्हें किसी को भूलना नहीं चाहिए। इन नारों में कहा गया- "यहाँ क्या चलेगा, निजाम-ए-मुस्तफा, हमें पाकिस्तान चाहिए और हिन्दू औरतें भी मगर अपने मर्दों के बिना"। गली, मोहल्लों एवं मकानों पर भी पोस्टर चस्पा किए गए। इस्लामिक आतंक की क्रूरता के कारण 1990 में 70 हजार से अधिक हिन्दू परिवारों को घाटी छोडऩी पड़ गई थी। कुछ ही परिवार बहुत हिम्मत करके वहाँ रह गए थे। अब जबकि मोदी सरकार ने हिन्दुओं को फिर से कश्मीर घाटी में उनके अधिकार दिलाना प्रारंभ किया तो इस्लामिक आतंकी वैसा ही भय का वातावरण बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए विख्यात मोदी सरकार को ऐसी परिस्थितियों को बनने से रोकना होगा। 

यह भी संभव है कि आतंकी इस तरह की वारदात करके केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान भटकाना चाहते हों और इस बीच वे कुछ बड़ा करने की फिराक में हों। कुल मिलाकर बात इतनी है कि पिछले सात वर्षों में भारत ने जिस तरह आतंक को नियंत्रण में रखा है, वैसी ही स्थिति आगे भी बनी रहे और हिन्दुओं का विश्वास डिगे नहीं। हिन्दू समाज को भी माखनलाल बिंद्रू की बेटी की तरह साहस का प्रदर्शन करना होगा। यदि प्रत्येक हिन्दू ललकार कर कहेगा कि "हिम्मत है तो आ..." तब कायर एवं डरपोक आतंकी भाग खड़े होंगे और हिन्दुओं पर हमला करने की हिम्मत किसी की नहीं होगी।  

यह वीडियो भी देखें : कश्मीरी पंडितों की हत्या के पीछे जेहादी मानसिकता



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