अंतरिक्ष विज्ञान के
क्षेत्र में भारत नित-नयी सफलताएं प्राप्त कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ‘इसरो’ ने 22 जुलाई को
चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण करके अंतरिक्ष में सफलता की एक और
लंबी छलांग लगाई है। इस उपलब्धि से सभी भारतीयों का स्वाभिमान भी चंद्रमा पर पहुंच
गया है। भारत के वैज्ञानिकों ने अपनी मेधा से उस अभिजात्य सोच को जोरदार जवाब दिया
है, जो भारत को कमतर आंकती है। अमेरिका के प्रमुख
समाचार-पत्र ‘द न्यूयार्क टाइम्स’ ने 28 सितंबर, 2014 को एक कार्टून प्रकाशित किया था,
जिसमें दिखाया गया कि ‘एलिट स्पेस क्लब’
में प्रवेश के लिए भारतीय किसान अपनी गाय को लेकर पहुँचा है। वह
किसान दरवाजा खटखटा रहा है और भीतर एलिट स्पेस क्लब में बैठ कर दो अमेरिकन भारतीय
बजट में ‘मंगल अभियान’ की घोषणा को पढ़
रहे हैं। कार्टूनिस्ट महाशय हेंग किम सोंग ने अपनी अभिजात्य सोच को कार्टून में
प्रकट किया।
दरअसल, भारत के संबंध
में उनकी राय वही है, जो उन जैसे पश्चिम के अन्य लोगों के
दिमाग में बैठाई गई कि यह देश साँप-सपेरों और गो-पालकों का है। आश्चर्य है कि जब
वह भारत का उपहास उड़ाने के लिए यह कार्टून बना रहे थे, तब
उनके दिमाग में ‘इसरो की सफलताओं’ की गूँज
कैसे नहीं पहुंची थी? हम 24 सितंबर,
2014 में मंगलयान की सफलतम लॉन्चिंग कर चुके थे। भारत दुनिया का
एकमात्र देश है, जो मंगल पर पहुंचने के अपने पहले ही प्रयास
में सफल रहा। कहीं, महाशय हेंग इसी बात से आहत तो नहीं कि
भारत जैसे देश अंतरिक्ष में उनसे ऊंची छलांग कैसे लगा रहे हैं? देश-विदेश से भारत के स्वाभिमानी लोगों ने द न्यूयार्क टाइम्स के प्रबंधन
को अपनी आपत्तियां भेंजी और सोशल मीडिया पर अभियान भी चलाया। परिणाम यह हुआ कि द
न्यूयार्क टाइम्स के संपादकीय पृष्ठ के संपादक एंड्रयू रोसेंथल को इस कार्टून के
लिए माफी माँगनी पड़ी। उसने स्वीकार किया कि हजारों पाठकों ने प्रतिक्रिया देकर
कार्टून पर आपत्ति जताई थी। मंगलयान के बाद एंटी सैटेलाइट मिसाइल और अब चंद्रयान-2 ऐसी ही ओछी सोच को जोरदार उत्तर है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरिक्ष के
क्षेत्र में वह कर दिखाया, जो शेष विश्व अपेक्षा नहीं करता।
चंद्रयान-2 भारत की विशेष उपलब्धि है। चंद्रयान-1 की खोजों को आगे बढ़ाने के लिए चंद्रयान-2 को भेजा
गया है। चंद्रमा की सतह पर, उसके नीचे और अति विरल वातावरण
में पानी के अणुओं के वितरण का अध्ययन करना चंद्रयान-2 का
मुख्य उद्देश्य है। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा
पर पानी के अणुओं की खोज की थी। चंद्रयान-2 चंद्रमा के
दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। चंद्रमा का यह ऐसा क्षेत्र है, जिसकी
अब तक सीधे कोई जांच नहीं हुई है। अमेरिका, रूस और चीन जैसे
देशों ने भी अभी तक यहां कोई यान नहीं भेजा है।
चंद्रयान-2 की सफलता के
लिए इसरो के वैज्ञानिक निश्चय ही बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने
इसके लिए अथक परिश्रम किया और शुरुआती असफलताओं के बावजूद अपना धैर्य बनाए रखा।
हमें भरोसा है कि हमारे वैज्ञानिक वह कर दिखाएंगे, जो अब तक
कोई नहीं कर सका है। प्रत्येक नागरिक को अपने वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाना चाहिए।
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