शुक्रवार, 21 मई 2021

कोरोना की रोकथाम का मध्यप्रदेश मॉडल

कोरोना महामारी की दूसरी लहर अचानक तेजी से आई, जिसकी भयावहता ने सबको मूकदर्शक बना दिया। कैसे इस लहर को रोका जाए, यह बड़ा प्रश्न बन गया। प्रारंभिक दिनों में अफरा-तफरी के हालात बन गए। ऐसी कठिन परिस्थितियों को संभालने के लिए मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार और उसके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने युद्धस्तर पर प्रयास किए। मुख्यमंत्री श्री चौहान अत्यधिक सक्रिय नजर आए। पहले चरण में वे स्वयं सड़कों पर निकले और लोगों को कोरोना संबंधी दिशा-निर्देशों को पालन करने का आग्रह किया। लेकिन, परिस्थितियां तेजी से बिगड़ती जा रही थीं। तब उन्होंने प्रदेश में कोरोना संक्रमण का आकलन कर कोरोना कर्फ्यू जैसा कठोर निर्णय लेने में हिचक नहीं दिखाई। उधर, स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंध ठीक हो इस पर भी सरकार ने विशेष जोर दिया। सामाजिक संस्थाओं से इस संकट की घड़ी में सहयोग करने का आग्रह भी उन्होंने किया। किल कोरोना अभियान चलाया। बहुत ही कम समय में सीमित संसाधनों और सरकार की सक्रियता के कारण मध्यप्रदेश की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर हो गई है। 

आज की स्थिति में मध्यप्रदेश में स्वस्थ होने की दर 87 प्रतिशत है तो संक्रमित होने की दर 9 प्रतिशत पर आ गई है। अप्रैल मध्य में संक्रमित होने की दर 25 प्रतिशत तक पहुँच गई है। संक्रमण दर 25 प्रतिशत से 9 प्रतिशत पर आना एक शुभ संकेत है। आने वाले समय में स्थितियां और बेहतर होंगी, इस बात का विश्वास है। लेकिन, हमें एक बात अच्छी तरह गाँठ बांध लेनी चाहिए कि पिछले आठ-नौ माह में जिस तरह की लापरवाही हमने की है, कोरोना को नजरअंदाज कर सामान्य जीवन जीने की जो भूल की, उस गलती को अब दोहराना नहीं है। अन्यथा जिस तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है, उसे आने से कोई रोक नहीं सकेगा। 

मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोनाकाल में जिस संवेदनशीलता का परिचय दिया है, उसका अनुसरण बाकी के राज्यों को भी करना चाहिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहल करते हुए बेसहारा हुए परिवारों को मासिक पाँच हजार रुपये देने, बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, नि:शुल्क राशन और अब कोरोना संक्रमण के इस दौर में अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए जान गँवाने वाले शासकीय कर्मचारियों के परिजनों को उसी पद पर संविदा नियुक्ति देने का अच्छा निर्णय लिया है। ऐसे कर्मचारियों के परिवार को पाँच लाख रुपये की सहायता राशि भी देने का निर्णय लिया गया है। जब परिवार से कमाने वाला चला जाता है, तब परिवार के सामने आर्थिक ही नहीं अपितु अनेक संकट उत्पन्न हो जाते हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस बात को समझा है। यह उनकी गहरी संवेदनाओं का दिखाता है। 

आज देशभर में मध्यप्रदेश मॉडल की चर्चा है। इस मॉडल को सिर्फ कोरोना की रोकथाम तक सीमित करके नहीं देखना चाहिए, बल्कि उसमें उक्त निर्णयों को भी शामिल मानना चाहिए। मध्यप्रदेश की सरकार पोस्ट कोविड केयर सेंटर खोलने की ओर भी अपने कदम बढ़ा चुकी है। एक संवेदनशील एवं जनहितैषी सरकार से ऐसे ही प्रयासों की अपेक्षा रहती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मध्यप्रदेश मॉडल की प्रशंसा की है।

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