हम विकट संकट से गुजर रहे हैं। इस प्रकार के वैश्विक संकट का सामना सामूहिक प्रयासों, धैर्य एवं सकारात्मक मन के साथ ही किया जा सकता है। निराश और हतोत्साहित मन से हम इस मुसीबत से पार नहीं पा सकते। वैसे भी दुनिया में यह सामाजिक व्यवस्था है कि दु:ख एवं कष्ट की स्थिति में व्यक्ति के दु:ख को बढ़ाने का काम नहीं किया जाता, अपितु उसे सांत्वना दी जाती है, धैय दिया जाता है और उसके दु:ख में शामिल होकर उसको हिम्मत दी जाती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज में सेवा एवं राहत कार्यों को करने के साथ ही अपने इस दायित्व को भी स्वीकार किया। निराशा के गर्त में धकेले जा रहे अपने समाज के मन में जीत का विश्वास जगाने के उद्देश्य से संघ की प्रेरणा से ‘कोविड रिस्पॉन्स टीम’ ने पाँच दिवसीय ‘हम जीतेंगे - पाजिटीविटी अनलिमिटेड’ व्याख्यानमाला का आयोजन किया। इस व्याख्यानमाला में सामाजिक एवं धार्मिक नेतृत्व ने समाज में आत्मविश्वास जगाने का प्रयास किया।
‘हम जीतेंगे - पाजिटीविटी अनलिमिटेड’ व्याख्यानमाला में सद्गुरु जग्गी वासुदेव, मुनिश्री प्रमाणसागर, श्रीश्री रविशंकर, संत ज्ञान देव सिंह, साध्वी ऋंतभरा जी, पूज्य शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती, श्री अजीम प्रेमजी, पद्मश्री निवेदिता भिड़े एवं प्रख्यात कलाकार सोनल मानसिंह ने अपने विचार साझा किए। अंतिम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने बहुत ही तार्किक एवं प्रेरक मार्गदर्शन किया। उनके भाषण का अति संक्षेप सार है कि “हम परिस्थितियों से मुंह नहीं मोड़ सकते। कठिन समय है। लेकिन, हताश और निराश होकर हम यह लड़ाई नहीं जीत पाएंगे। हमें दृढ़ संकल्प, सतत एवं सामूहिक प्रयास और धैर्य के साथ कोरोना का सामना करना है। हम निश्चित ही विजय प्राप्त करेंगे”।
स्मरण हो कि पिछले वर्ष भी उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण उद्बोधन दिया था, जिसका सब ओर स्वागत हुआ था। संघ अपने कार्य, व्यवहार एवं वाणी से सदैव बड़ी लकीर खींचता है। सरसंघचालक जी ने एक राह दिखाई है कि दोषारोपण के लिए आगे समय मिलेगा, अभी तो एकजुट होकर महामारी का सामना करने का समय है। यह समूची मानवता पर आया संकट है। हम प्रश्नों एवं आरोप-प्रत्यारोप में उलझ कर महामारी को परास्त नहीं कर सकते। सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों/संस्थाओं एवं बौद्धिक जगत को आरएसएस से सीख लेनी चाहिए। संघ के स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण आपात स्थिति में सेवा कार्य संचालित करने का नहीं रहता है लेकिन इसके बाद भी किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में हमें संघ के स्वयंसेवक सबसे आगे खड़े दिखाई देते हैं। राष्ट्र और समाज के प्रति आत्मीय भाव ही संघ के स्वयंसेवकों को सेवाकार्यों की प्रेरणा देता है।
बाकी सब समाज के प्रमुख लोगों एवं संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का यह संदेश हम सबको आत्मसात करना चाहिए- “भारत एक प्राचीन राष्ट्र है तथा इस पर पूर्व में कई विपत्तियां आईं। लेकिन हर बार हमने उन पर विजय प्राप्त की है, इस बार भी हम विजय प्राप्त करेंगे। इसके लिए हमें अपने शरीर से कोरोना को बाहर रखना है तथा मन को सकारात्मक रखना है। इन कठिन परिस्थितियों में निराशा की नहीं, बल्कि इससे लड़कर जीतने का संकल्प लेने की जरूरत है”।
The pandemic is an issue for us all. Despite the pandemic affecting everyone, we have seen examples of people who have been helping others despite facing personal losses themselves#PositivityUnlimited #DefeatCorona pic.twitter.com/R0hvMlLY6T
— लोकेन्द्र सिंह (Lokendra Singh) (@lokendra_777) May 15, 2021
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