मंगलवार, 2 अगस्त 2016

विदेशों में फंसे भारतीयों की उम्मीद बनी सुषमा स्वराज

 विदेश  मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज बेहद संवेदनशील राजनेता हैं। पिछले दो वर्ष में उन्होंने विदेशों में संकटग्रस्त स्थितियों में फंसे अनेक भारतीयों की सुरक्षा की है। भारतीय नागरिकों को जिस तत्परता और राजनीतिक समझबूझ से उन्होंने मदद पहुंचाई है, उसकी जितनी सराहना की जाए कम है। सुषमा स्वराज को भविष्य में अपने इन राहत कार्यों के लिए याद किया जाएगा। बहरहाल, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक बार फिर सऊदी अरब के जेद्दा में  भूख से तड़प रहे 10 हजार भारतीय कामगारों की मदद करके उन्हें उम्मीद दी है। उनके भीतर एक भरोसा जगाया है कि उनका अपना देश संकट की घड़ी में उनके साथ खड़ा है। उनकी चिंता कर रहा है। गौरतलब है कि एक शख्स ने सुषमा स्वराज को ट्वीट कर कहा था कि जेद्दा में करीब 800 भारतीय भूखे हैं। उन्हें मदद की जरूरत है। विदेश मंत्री श्रीमती स्वराज ने एक क्षण भी गंवाए बिना उस शख्स को किए जवाबी ट्वीट के जरिए सऊदी अरब में बेरोजगारी और भूख से जूझ रहे भारतीय नागरिकों को भरोसा दिलाया कि भारत उनको परेशान नहीं होने देगा। विदेश मंत्री ने कहा- 'मैं आपको यकीन दिलाती हूं कि सऊदी अरब में नौकरी गंवाने वाले किसी भारतीय को भूखा नहीं रहना पड़ेगा। मैं पूरे मामले की निगरानी हर घंटे कर रही हूं।' इसके बाद उन्होंने रियाद में भारतीय दूतावास से कहा कि सऊदी अरब में बेरोजगार कामगारों को नि:शुल्क राशन मुहैया कराने की व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही उन्होंने वहाँ बसे सभी भारतीयों से भी अपील की है कि वे संकट में फंसे अपने भारतीय बंधुओं की मदद के लिए आगे आएं। विदेश मंत्री की यह अपील बहुत महत्त्वपूर्ण है। यदि भारत सरकार के साथ-साथ वहाँ बसा भारतीय समुदाय भी अपने बंधुओं की चिंता करेगा तब इस तरह की चुनौती से पार पाना बहुत आसान हो जाएगा। सऊदी अरब में फंसे भारतीयों के साथ ही अन्य देशों में बसे भारतीयों को भी विदेश मंत्री ने इस अपील के जरिए संदेश दिया है कि एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है। एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता, आपसी सहयोग की भावना और एक-दूजे के सुख-दुख में साथ खड़े होने की भावना ही विदेशों में बसे भारतीयों की ताकत है। एकजुटता ही छोटी-बड़ी समस्याओं से लडऩे का सबसे बड़ा विकल्प है।
          विदेश मंत्री के प्रयासों से अभी दस हजार लोगों के लिए सात से दस दिन के खाने का प्रबंध हो गया है। लेकिन, समस्या केवल दस दिन की नहीं है। इस बात को विदेश मंत्री श्रीमती स्वराज भी समझती हैं। इसलिए इस मसले पर निगरानी रखने और भारतीयों को मदद पहुंचाने के लिए उन्होंने विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह और एमजे अकबर को जिम्मेदारी सौंपी है। दरअसल, सऊदी अरब में भारतीय कामगारों के सामने यह संकट एक कंपनी 'सऊदी ओजर' के बंद हो जाने से खड़ा हुआ है। यह कंपनी निर्माण (कंस्ट्रक्शन) के क्षेत्र में काम करती है। निर्माण उद्योग खस्ताहाल के दौर से गुजर रहा है। सऊदी ओजर में काम करने वाले भारतीय कामगारों को कई महीनों से वेतन नहीं मिल रहा था। इसलिए संकट की आहट तो भारतीय कामगारों को पहले ही मिल गई थी। लेकिन, अब तक कंपनी उन्हें अपनी मेस में खाना उपलब्ध करा रही थी, इसलिए भुखमरी की नौबत नहीं आई थी। लेकिन, अचानक कंपनी ने मेस भी बंद कर दिया था। अब कंपनी में काम में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों के पास भूख से तड़पने के अलावा कोई चारा नहीं था। 
            विदेश मंत्री की तत्परता से उन्हें भुखमरी से फौरी राहत तो मिल गई है। लेकिन, संकट अब भी बना हुआ है। उनको भारत लाने के अलावा कोई विकल्प मौजूद नहीं है। लेकिन, सऊदी अरब का कानून कामगारों की स्वदेश वापसी में रुकावट बन रहा है। सऊदी अरब के कानून के मुताबिक जब तक नियोक्ता कंपनी की मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक कामगार स्वेदश नहीं लौट सकते। भारतीय कामगारों की स्वदेश वापसी को मंजूरी कौन देगा? सऊदी ओजर कंपनी के कर्ताधर्ताओं का फिलहाल कोई पता नहीं चल रहा है। इस स्थिति में विदेश मंत्री के निर्देश पर भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने स्थानीय श्रम विभाग से बातचीत शुरू की है। हम उम्मीद करते हैं कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 10 हजार भारतीयों के लिए मसीहा साबित होंगी। पूर्व में जिस तरह उन्होंने विकट स्थितियों से भारतीयों को बाहर निकाला है, उसी तरह वे यहाँ भी कामयाब होंगी। 
           बहरहाल, इन 10 हजार भारतीयों की मदद करते वक्त विदेश मंत्रालय को बाकि भारतीय कामगारों की स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए। दरअसल, सऊदी ओजर की तरह अन्य कंपनियों में काम कर रहे भारतीय कामगारों के सामने भी संकट मुंह बांये खड़ा है। यह समस्या सिर्फ सऊदी अरब में नहीं बल्कि खाड़ी के सभी देशों में है। स्वयं विदेश मंत्री ने माना है कि सऊदी अरब और कुवैत में भारतीय नागरिकों को अपने काम और वेतन से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुवैत में फिर भी हालात संभाले जा सकते हैं लेकिन सऊदी अरब में स्थितियां ज्यादा खराब हैं। सऊदी अरब में काम करने वाले 30 लाख भारतीयों में से तकरीबन 70 फीसदी निर्माण के उद्योग से जुड़े हैं। यह उद्योग वहाँ अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। सऊदी अरब में निर्माण उद्योग में 80 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस कारण निर्माण उद्योग से जुड़ी कंपनियां अचानक से बंद हो रही हैं। इसलिए विदेश मंत्री को निर्माण उद्योग में काम कर रहे अन्य भारतीय लोगों की सुध भी ले लेनी चाहिए। इसके साथ ही वहाँ बसे भारतीयों को भी सुषमा स्वराज की अपील पर ध्यान देना चाहिए। उनका कथन सही है कि भारतीय के रूप में सामूहिक इच्छा से ज्यादा कुछ भी शक्तिमान नहीं हो सकता।

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