अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भारत भेजे जाने पर विपक्षी दल जिस प्रकार से राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि नियम-कायदों एवं संविधान में उनका विश्वास है या नहीं? संविधान केवल चुनावी सभाओं में लहराने के लिए नहीं होता है, अपितु जीवन में उसका पालन करना होता है। किसी भी देश में रहने के लिए वहाँ के नियम-कानूनों का पालन करना चाहिए। अमेरिका से भारत के उन नागरिकों को वापस भेजा जा रहा है जो वहाँ अवैध रूप से रह रहे थे। अवैध अप्रवासियों के कारण किस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं, उसकी अनुभूति भारत को भली प्रकार से है। अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं के कारण भारत के कई हिस्सों में जनसांख्यकीय असंतुलन के साथ ही सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक खतरे पैदा हो गए हैं। सामाजिक संगठन और आम नागरिक कब से भारत सरकार से माँग कर रहे हैं कि अवैध बांग्लादेशियों एवं रोहिंग्या मुसलमानों को पहचान करके उन्हें वापस भेजा जाए।
याद रखें कि भारत ने कभी भी अवैध अप्रवास के पक्ष में नहीं रहा है। कांग्रेस के कार्यकाल में भी अमेरिका से भारत के ऐसे लोगों को वापस भेजा जाता रहा है, जो वहाँ नियम विरुद्ध रह रहे थे। इस संदर्भ में बीते दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने उचित टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि “यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका से अवैध प्रवासी भारतीय वापस भेजे गए हैं। अगर आप अवैध रूप से अमेरिका में हैं, तो अमेरिका को आपको बाहर निकालने का अधिकार है और अगर भारतीय के रूप में आपकी पहचान की पुष्टि हो जाती है, तो भारत का दायित्व है कि वह आपको स्वीकार करे। इसलिए, इसमें ज्यादा बहस नहीं होनी चाहिए”। यही उचित नीति है। कांग्रेस की सरकारों ने भी इसी नीति का पालन किया था।
अमेरिका से अवैध भारतीय अप्रवासियों की वापसी के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को संसद में जवाब दिया। जयशंकर ने राज्यसभा में कहा, "यदि कोई नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहा है तो उसे वापस (स्वदेश) बुलाना सभी देशों का दायित्व है"। विदेश मंत्री ने बताया, "अमेरिका से भारतीयों का डिपोर्टेशन पहली बार नहीं हुआ है। यह 2009 से हो रहा है। पिछले 16 सालों में अमेरिका से 15,652 भारतीयों को वापस भेजा गया है। सबसे ज्यादा 2019 में 2042 लोगों को भारत डिपोर्ट किया गया। हम कभी भी अवैध मूवमेंट के पक्ष में नहीं हैं। इससे किसी भी देश की सुरक्षा में खतरा पैदा हो सकता है"।
जब भारत सरकार यह नहीं चाहती कि उसके देश में कोई अवैध ढंग से आकर बस जाए तब हम अमेरिका को कैसे कह सकते हैं कि वह अवैध ढंग से अमेरिका में पहुँचे नागरिकों को निकाले नहीं? दरअसल, विपक्षी दलों की स्थिति ऐसी हो गई है कि वे प्रत्येक मुद्दे पर लोकप्रिय राजनीति करने की कोशिश करते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसे मुद्दे उठाने से उसे जनता की सहानुभूति मिल जाएगी। वास्तव में विपक्ष दल जनमानस से पूरी तरह कट चुके हैं। यदि विपक्षी दलों के नेता जनता के बीच जाकर अवैध प्रवासियों के संदर्भ में उनका मत जानने की कोशिश करेंगे तो उन्हें ज्ञात होगा कि भारत का आम नागरिक भी नियम-कायदों का पालन करने के पक्ष में होगा।
सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग यही कह रहे हैं कि इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है कि अमेरिका अपने यहाँ से अवैध अप्रवासियों को वापस भेज रहा है। वह तो यह भी कह रहे हैं कि अमेरिका से सीखकर भारत को भी अविलंब अपने यहाँ से अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालना चाहिए। याद रखें कि अवैध अप्रवासियों के कारण वहाँ नियमों के अनुसार रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत के नागरिकों की पहचान रही है कि दुनिया के जिस भी हिस्से में वे गए हैं, वहाँ की तरक्की में उन्होंने योगदान दिया है। सामाजिक एवं जीवन मूल्यों की सुगंध बिखेरी है। इसलिए भारत के लोगों के अपेक्षा रहती है कि वे दुनिया के किसी भी कोने में रहें, भारत का मान बढ़ाएं।
सटीक रचना
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