सोमवार, 9 अगस्त 2021

ओलिंपिक में भारत के लिए ‘स्वर्ण’ की शुरुआत


टोक्यो ओलिंपिक में भारत के सुनहरे सफर का समापन स्वर्ण पदक के साथ हुआ। भारतीय सेना के जवान एवं खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने 121 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक दिलाया है। भाला फेंक प्रतियोगिता में उन्होंने अपने परिश्रम से भारत के भाल को स्वर्ण से अलंकृत कर दिया। टोक्यो ओलिंपिक भारत के लिए अब तक का सबसे सफल ओलिंपिक रहा है। भारत ने एक स्वर्ण और दो रजत पदक सहित कुल 7 पदक जीते हैं। इससे पहले हमने लंदन ओलिंपिक में 6 पदक जीते थे। इस बार नीरज चोपड़ा के स्वर्ण के अलावा मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में रजत, कुश्ती में रवि दहिया ने रजत, कुश्ती में ही बजरंग पूनिया ने कांस्य, पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में कांस्य और लवलिना बोरगोहेन ने मुक्केबाजी में कांस्य पदक भारत के नाम किए। हालाँकि भारत से और अधिक बेहतर प्रदर्शन की अपेक्षा थी। टोक्यो ओलिंपिक भारत के लिए अब तक का सबसे सफल ओलिंपिक रहा, इसके पीछे मोदी सरकार की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।

  मोदी सरकार ने 2014 के बाद से ही ओलिंपिक खेलों को ध्यान में रखकर खिलाडिय़ों को तैयार करने की योजना पर काम किया है। मोदी सरकार ने सितंबर-2014 में एथलीटों की सहायता के लिए ‘टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम’ (Tops) की शुरुआत की थी। इस योजना का लक्ष्य है कि देशभर के ऐसे खिलाडिय़ों का चुनाव करना है, जो भारत को ओलिंपिक और पैरालंपिक में पदक दिला सकें। बात सिर्फ खिलाडिय़ों के चयन तक सीमित नहीं है बल्कि खिलाडिय़ों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना, आर्थिक सहायता देना और विश्व के श्रेष्ठ प्रशिक्षक उपलब्ध करना भी इस योजना का हिस्सा है। यही कारण है कि हमारे खिलाडिय़ों ने कई ऐसे खेलों में दुनिया को चकित कर दिया, जिनमें भारत का औसत प्रदर्शन भी नहीं रहता था। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा खिलाडिय़ों से बातचीत करना और उनका आत्मविश्वास बढ़ाना भी खेल नीति के प्रति सरकार की गंभीरता को इंगित करता है। केंद्रीय खेलमंत्री किरण रिजिजू ने खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित एवं उनको सहयोग करने के लिए आगे आकर काम किया है। उनके प्रयासों से भारत में खेल का वातावरण पहले की अपेक्षा अधिक अच्छा हुआ, जिसके कारण न केवल नयी प्रतिभाएं सामने आई हैं, बल्कि उन्होंने अवसर मिलने पर स्वयं को साबित भी किया है। धीरे-धीरे सभी खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व भी बढ़ रहा है। 

बहरहाल, टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय खिलाडिय़ों के दल ने लगभग सभी प्रतियोगिताओं में अपने प्रदर्शन एवं प्रतिभा से सबका ध्यान आकर्षित किया। कई प्रतियोगिताओं में तो हमारे खिलाड़ी पदक जीतने से बस एक कदम ही दूर रह गए। खिलाडिय़ों के प्रदर्शन एवं आत्मविश्वास से लगता है कि टोक्यो ओलिंपिक में भारत का सफर स्वर्ण पदक के साथ समाप्त नहीं हुआ है बल्कि यह स्वर्ण पदक जीतने की शुरुआत है। अगले ओलिंपिक खेलों में भारत के हिस्से में और अधिक स्वर्ण पदक आएंगे, देश में इस प्रकार की एक उम्मीद जागी है। टोक्यो ओलिंपिक में हॉकी में पुरुष दल ने कांस्य पदक जीता, तो महिला दल ने अपने प्रदर्शन से दुनिया का दिल जीत लिया। भारत के हॉकी के स्वर्णिम युग की एक झलक टोक्यो ओलिंपिक में दिखाई दी।  

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