चीन का उदाहरण देते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि सिर्फ चीनी माल के बहिष्कार से बात नहीं बनेगी। चीन के उत्पादों पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है। चीन पर बढ़ती यह निर्भरता हमारे लिए बहुत बड़ा खतरा है। चीन पर बढ़ती निर्भरता हमें चीन के सामने कमजोर करती है। भारत के उद्योगपतियों को यह चुनौति स्वीकार करनी चाहिए कि वह स्वदेशी उत्पादों का निर्माण कर चीन पर निर्भरता को समाप्त करें। हमें यह करना ही होगा। भारत में ही विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन होने से न केवल चीन पर निर्भरता कम होगी बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। रोजगार के अवसर भी बढेंगे। भारत के सामान्य नागरिक स्वदेशी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि देश को मजबूत बनाने में हम भी अपनी भूमिका का चयन करें। इस दिशा में संकल्पपूर्वक सबका प्रयास होगा तो स्वदेशी के मंत्र को हम अवश्य ही सिद्ध कर लेंगे।
सोमवार, 16 अगस्त 2021
स्वदेशी से स्वनिर्भर
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सबका ध्यान एक ओर लाल किले की प्राचीर से दिए जाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन पर था, तो वहीं दूसरी ओर सबकी उत्सुकता यह जानना भी थी कि इस महत्वपूर्ण प्रसंग पर विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत क्या मार्गदर्शन देंगे? प्रधानमंत्री मोदी ने अपना संबोधन पिछले छह-सात वर्ष के विकास पर केंद्रित किया। शुरुआत में उन्होंने स्वतंत्रता के नायकों का स्मरण किया। आखिर में उन्होंने नये भारत के निर्माण के लिए अपने ही दिए नारे को और विस्तार दिया- "सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास"। निश्चित ही कोई देश अपने सपनों को तब ही पूरा कर सकता है, जब वह सपना सबकी आँखों में बसे और सब उसको साकार करने के लिए मिलकर प्रयत्न करें। वहीं, सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने मुंबई के एक विद्यालय में ध्वजारोहण किया और इस अवसर पर उन्होंने जो कुछ कहा, उसे हमें गाँठ बांध लेना चाहिए। वही एक रास्ता है, जो हमें मजबूत बनाएगा और सामर्थ्यशाली भी। वह रास्ता है- स्वदेशी का। सरसंघचालक मोहन भागवत का यह कहना एकदम सटीक है कि स्वतंत्र देश को स्वनिर्भर रहना है और जितना स्वनिर्भर रहेंगे, उतना ही सुरक्षित रहेंगे। कोरोनाकाल में हमने इस बात की अनुभूति भली प्रकार कर ली है कि आत्मनिर्भरता हमें न केवल सुरक्षित रखती है बल्कि मजबूत भी बनाती है। आज भारत ने कोरोनारोधी टीका निर्मित कर लिया है इसलिए हम अपने नागरिकों का जीवन सुरक्षित रखने के लिए विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान संचालित कर पा रहे हैं। अन्यथा हमें याद है कि पोलिया की दवा भारत तक आने में कितने वर्ष का समय लग गया था। हम टीका बनाने में आत्मनिर्भर बने इसलिए कमजोर एवं साधन-सम्पन्न देशों की सहायता करके अपनी स्थिति को विश्वपटल पर प्रभावशाली बना सके।
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