प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 80वें संस्करण में देश की जनता से खेलों पर बात की। देश के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री द्वारा खेलों पर बात करने से निश्चित ही देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। उन परिवारों में भी खेल के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा होगा, जो अपने बच्चों को सिर्फ पढ़ाई तक सीमित करना चाहते हैं। पढ़ाई पर अत्यधिक जोर के कारण ज्यादातर परिवारों में बच्चों के खेलने पर एक तरह से अघोषित प्रतिबंध रहता है। खेलों का संबंध अच्छे करियर से तो है ही, उससे अधिक खेलों के माध्यम से संपूर्ण व्यक्तित्व विकास होता है। पढ़ाई के साथ खेलों में रुचि रखने वाले युवा शारीरिक और मानसिक स्तर पर अधिक मजबूत होते हैं। खेल हमारे भीतर निर्णय लेने, सामूहिक रूप से काम करने और नेतृत्व लेने की क्षमता का विकास करते हैं। खेल प्रत्येक परिस्थिति में धैर्य और उत्साह रखने का गुण पैदा करते हैं। खेल हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाने के साथ ही सकारात्मक दृष्टिकोण देते हैं।
मोदी सरकार ने सितंबर-2014 में एथलीटों की सहायता के लिए ‘टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम’ (टॉप्स) की शुरुआत की थी। इस योजना का लक्ष्य है कि देशभर के ऐसे खिलाड़ियों का चुनाव करना है, जो भारत को ओलिंपिक और पैरालंपिक में पदक दिला सकें। बात सिर्फ खिलाड़ियों के चयन तक सीमित नहीं है बल्कि खिलाड़ियों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना, आर्थिक सहायता देना और विश्व के श्रेष्ठ प्रशिक्षक उपलब्ध करना भी इस योजना का हिस्सा है। इस योजना के परिणाम हमने ओलिंपिक खेलों में देख लिए हैं।
‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने नया नारा दिया है- “सब खेलें, सब खिलें”। इस नारे का उद्देश्य है कि खेलों के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदले। सभी लोग कम से कम एक खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। खेलने से हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। विश्वास है कि भारत में खेल संस्कृति का विकास होगा और हम आने वाले समय में खेलों में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।
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