शनिवार, 19 जून 2021

झूठ के सहारे सांप्रदायिक तनाव की साजिश

गाजियाबाद में ‘जय श्रीराम’ नहीं कहने पर एक मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट की गई और उसकी दाढ़ी काट दी गई। इस आशय का एक वीडियो वायरल कर देश की तथाकथित सेकुलर बिरादरी ने एक बार फिर भारत और हिन्दू धर्म पर हमला बोल दिया। देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के उद्देश्य से फैलाए गए इस झूठ को उन तथाकथित पत्रकारों एवं वेबसाइट्स ने भी साझा किया, जो स्वयं को ‘फैक्ट-चेकर’ (Fact Checker) बताते हैं। ‘कौव्वा कान ले गया’ की तर्ज पर विपक्षी दलों के नेता लोग भी इस झूठ को ले उड़े। मानो कि हिन्दू समाज को कठघरे में खड़ा करने के लिए ये लोग तैयार बैठे रहते हैं। गाजियाबाद पुलिस ने तत्काल मामले की पड़ताल कर यह स्पष्ट कर दिया कि यह आपसी विवाद का मामला है और उसमें आरोपी सिर्फ हिन्दू नहीं है बल्कि तीन मुस्लिम (आरिफ, आदिल और मुशाहिद) भी पकड़े गए हैं, जिन्होंने बुजुर्ग के साथ मारपीट की और कथित तौर पर उसकी दाढ़ी काटी। अब भला मुस्लिम लोग ही मुस्लिम बुजुर्ग को ‘जय श्रीराम’ नहीं कहने पर क्यों पीटेंगे? हिन्दू ऐसा करेंगे, यह सवाल ही बेकार है। अब तक इस तरह के जितने भी मामले आये हैं, वे फर्जी निकले या उनका सच कुछ और था। 

पुलिस ने बताया कि यह बुजुर्ग लोगों को ताबीज बाँटता था। जिन मुस्लिमों ने बुजुर्ग को पीटा उनका कहना है कि उसके दिए ताबीज से हम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। अंधविश्वास और आपसी झगड़े को सांप्रदायिक रंग देने वाले लोग इसके बाद भी माने नहीं और समाज में सांप्रदायिक तनाव भड़काने के उद्देश्य से इस झूठे को फैलाते रहे। यहाँ तक कि पिछले दिनों स्वयं को ‘खुदा’ साबित करने का प्रयास करने वाला ट्विटर भी इसमें शामिल दिखा। ट्विटर पर अनेक वेरिफाई हैंडल्स से भी इस झूठे समाचार को प्रसारित किया गया, लेकिन ट्विटर ने इस तरह के कंटेंट को न तो हटाया और न ही उसे ‘मनिप्यलैट मीडिया’ (Manipulated Media) का टैग दिया। यह ध्यान में आया है कि ट्विटर कभी भी भारत और हिन्दू विरोधी झूठी खबरें प्रसारित करने वालों के ट्विटर हैंडल को निलंबित नहीं करता है। 

उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने ‘झूठों के समूह’, जिसमें कथित फैक्ट-चेकर, वेबसाइट, पत्रकार, नेता और ट्विटर शामिल है, पर झूठ प्रसारित करने और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का मामला दर्ज करा दिया है। सरकार यह अवश्य सुनिश्चित करे कि ये लोग माफी माँगकर न छूटें। इन्हें सजा अवश्य मिलनी चाहिए। अन्यथा ये लोग अपनी साजिशों से न केवल हिन्दू-मुस्लिम समुदाय को आपस में लड़ाते रहेंगे, बल्कि देश का वातावरण भी दूषित करेंगे। भारत विरोधी और हिन्दू विरोधी मानसिकता पर नकेल कसना अत्यंत आवश्यक हो गया है। 

उल्लेखनीय है कि मुस्लिमों द्वारा मुस्लिम के साथ मारपीट और उसकी दाड़ी काटने का यह पहला मामला नहीं है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी जून के पहले सप्ताह में वक्फ बोर्ड की जमीन पर संचालित अस्पताल में डायरेक्टर (मोहसिन खान) और उसके साथियों (मुदस्सिर और शहरोज) ने कर्मचारी (हाफिज अतीक) की ट्रिमर से दाढ़ी काट दी और उसे ऑपरेशन थिएटर में बंद करके पीटा भी। सोचिए, यदि अस्पताल का संबंध वक्फ बोर्ड की जगह किसी अन्य संस्था से होता, अस्पताल का डायरेक्टर और उसके साथी अन्य किसी धर्म से संबंध रखते, तब यह भारत एवं हिन्दू विरोधी गैंग किस हद तक जाकर दुष्प्रचार करती? 

ध्यान दें, स्वयं को सेकुलर और प्रगतिशील कहलाने वाले लोगों का समूह पिछले कुछ वर्षों से भारत और हिन्दू धर्म के प्रति दुष्प्रचार फैलाने में अत्यधिक सक्रिय है। हालाँकि, उनका यह कार्य पहले भी चलता था, लेकिन तब इसकी गति धीमी और अप्रत्यक्ष थी। असहिष्णुता (Intolerance), अवार्ड वापसी (Award Wapsi), नोट इन माय नेम (Not in My Name) और अन्य प्रकार के प्रोपेगंडा के माध्यम से भारत और हिन्दू धर्म को बदनाम करने की साजिशें सामने आ चुकी हैं। मुस्लिम व्यक्ति के साथ कहीं भी कोई भी घटना हो, यह वर्ग तत्काल उसे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार से जोड़ कर यह बताने का प्रयास करता है कि देश में असहिष्णुता बढ़ती जा रही है। यह कुटिल वर्ग ‘हिन्दू तालिबान’ की थ्योरी देने में भी शर्म महसूस नहीं करता है। जबकि दुनिया में सबसे उदार धर्म हिन्दू ही है, जहाँ सबके सम्मान की अवधारणा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share