बिहार के बांका जिले के मदरसे में हुए विस्फोट से अनेक प्रश्न उठने लगे हैं। यह स्वाभाविक ही है। क्योंकि उसके मूल में दो बातें हैं- एक, मदरसे संदिग्ध गतिविधियों को लेकर पहले भी सवालों के घेरे में आते रहे हैं। दो, यह बड़ा सवाल है कि शिक्षा संस्थान में विस्फोटक सामग्री का क्या उपयोग किया जा रहा था? बांका के मदरसे में विस्फोट के बाद जिस तरह की संदिग्ध गतिविधियों को अंजाम दिया गया, उनसे भी अनेक संदेह उत्पन्न हो रहे हैं। सांप्रदायिक शिक्षा के नाम पर देशभर में संचालित मदरसे केवल अपनी कट्टरवादी तालीम के लिए ही बदनाम नहीं है, बल्कि हिंसक गतिविधियों एवं विस्फोटक सामग्री के भंडारण केंद्र होने के आरोप पहले भी मदरसों पर लगते रहे हैं। पूर्व में भी मदरसों में बम विस्फोट की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खागरागढ़ के एक मदरसे में हुए बम विस्फोट में तो दो आतंकियों की मौत हुई थी और उस विस्फोट के तार बांग्लादेश के आतंकी गिरोह जमात-उल-मुजाहिदीन से जुड़े थे। बिहार के बांके जिले के मदरसे में हुए बम विस्फोट को भी उसी तरह की घटना माना जा रहा है।
अब तक सामने आई जानकारी के अनुसार अवैध ढंग से बने इस मदरसे में धमाका कंटेनर में रखे एक देसी बम के फटने से हुआ है। मौलाना के मौत की वजह दम घुटना बताया गया है। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि मदरसे का भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गया और इलाका धमाके से थर्रा गया था। मौके पर बम बाँधने में उपयोग की जाने वाली सुतली, कील और कंटेनर के प्रमाण मिले हैं। ये प्रमाण संकेत देते हैं कि मदरसे में बम बनाने का कार्य किया जा रहा था। विस्फोटक सामग्री भी भारी मात्रा में रही होगी, तभी इतना बड़ा धमाका संभव हो सका। सोचिए, यदि उस समय वहाँ बच्चे पढ़ रहे होते, तब क्या स्थिति बनती? ये मदरसे बच्चों का भविष्य संवारने के केंद्र हैं या फिर उनके जीवन को सब प्रकार के नष्ट करने के अड्डे?
कुछ स्थानीय लोगों के हवाले से बताया गया था कि मौलाना बम बनाता था और तीन युवक उसका सहयोग करते थे। क्षेत्र में छोटी-छोटी बात पर बमबारी होती थी। भागलपुर से बारूद लाकर काम किया जाता था। यह भी तथ्य सामने आ रहे हैं कि मौलाना का संबंध तबलीगी जमात से था और उसका बांग्लादेश आना-जाना भी था।
बहरहाल, इस घटना की जाँच राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी द्वारा कराई जानी चाहिए। यह छोटी और सामान्य घटना नहीं है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। बांका की घटना से सबक लेकर देश के अन्य राज्यों में संचालित मदरसों की जाँच भी समय रहते करनी चाहिए और उनकी निगरानी बढ़ानी चाहिए। अब समय आ गया है कि मदरसों के संचालन के लिए स्पष्ट और पारदर्शी व्यवस्था बने। मदरसों पर सरकार का पूरा नियंत्रण हो। वहाँ सरकार द्वारा तय पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाए। प्रशासन को लगातार मदरसों का औचक निरीक्षण करना चाहिए ताकि सांप्रदायिक तालीम की आड़ में वहाँ चलने वाली संदिग्ध एवं खतरनाक गतिविधियों को रोका जा सके।
बिल्कुल सही लिखा हैं आपने। वैसे भी ये कोई नई घटना तो है नही ऐसी बहुत सी प्रोयोगशालाए चल रही है जिसपर प्रतिबंध लगाना ही होगा सरकार को।
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