बुधवार, 26 मई 2021

शर्मनाक! आपदा में भी ‘कन्वर्जन का खेल’

मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में कोरोना महामारी की आड़ में ईसाई संप्रदाय के प्रचार का और कन्वर्जन (धर्मान्तरण) की प्रक्रिया का चौकाने वाला मामला सामने आया है। मध्यप्रदेश सरकार ने अच्छी पहल करते हुए कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ‘किल कोरोना’ अभियान शुरू किया, जिसके तहत घर-घर जाकर स्वास्थ्यकर्मी लोगों के स्वास्थ्य की जाँच कर हैं और उन्हें उचित परामर्श दे रहे हैं। महामारी से लोगों का जीवन बचाने के उद्देश्य से शुरू किए गए इस अभियान का उपयोग ईसाई संप्रदाय के प्रचार और कन्वर्जन के लिए प्रेरित करने हेतु किया जाएगा, इसकी कल्पना भी सरकार ने नहीं की होगी। सरकार क्या, कोई भी निर्मल मन का व्यक्ति यह कल्पना नहीं कर सकता। सोचिए, जो लोग शासकीय अभियान को भी ईसाई संप्रदाय के प्रचार एवं कन्वर्जन की प्रक्रिया के लिए उपयोग कर सकते हैं, वे अपने तथाकथित ‘सेवा प्रकल्पों’ के माध्यम से किस स्तर पर जाकर गरीब, पिछड़े एवं वनवासी बंधुओं को ईसाई बनाते होंगे? यह घटना इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है कि भारत में सेवा कार्यों के पीछे चर्च का एक ही एजेंडा है- कन्वर्जन। यह अत्यंत घृणित एवं निंदनीय कार्य है कि सेवा की आड़ में लोगों का धर्म परिवर्तित कर अपने संप्रदाय का विस्तार किया जाए।


मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में गाँव बाजना में जागरूक नागरिकों ने देखा कि ‘किल कोरोना’ अभियान की मेडिकल टीम में शामिल एक महिला डॉक्टर संध्या तिवारी (कन्वर्टेट ईसाई) लोगों को ‘डाइट प्लान’ बताने की जगह उन्हें ईसाई संप्रदाय के जुड़ी प्रचार सामग्री बाँट रही है और कह रही है कि “प्रभु यीशु (जीसस) की प्रार्थना करो तो तुम कोरोना से ठीक हो जाओगे”। लोगों को विश्वास दिलाने के लिए वह कहती है- “मैंने भी प्रार्थना की है। मुझे लाभ मिला है। तुम्हें भी मिलेगा”। यह एक तरह से भोले-भाले ग्रामीण लोगों के कन्वर्जन की प्रक्रिया है। जिसमें पहले सीधे और सरल हृदय के लोगों को, जो किसी प्रकार के कष्ट में हैं, उन्हें भ्रमित कर उनके मन में जीसस के प्रति विश्वास पैदा किया जाता है और आगे चलकर ईसाई संप्रदाय में उनका कन्वर्जन कर लिया जाता है। 

कन्वर्टेड ईसाई डॉ. संध्या के यह प्रयास चिकित्सकीय पेशे के सिद्धांतों के प्रतिकूल तो है हीं, मानवीय मूल्यों के विरुद्ध भी हैं। दरअसल, डॉ. संध्या अकेली नहीं है, जो आपदा के कठिन समय में ईसाई संप्रदाय के प्रचार का अवसर देख रही है। समूची ईसाई मिशनरीज लॉबी ही इस दृष्टि के साथ कार्य कर रही है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जेए जयालाल ने पिछले दिनों एक साक्षात्कार में यह दृष्टि सबके सामने रखी थी कि कोरोना महामारी का यह समय ईसाई डॉक्टरों, नर्सों एवं इस क्षेत्र से जुड़े अन्य लोगों के सामने अपने संप्रदाय के प्रचार-प्रसार के लिए एक अवसर की तरह आया है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का जो संगठन (आईएमए) एक आलोचना (व्हाट्सअप संदेश के पाठ) से चिढ़ गया, उसके अध्यक्ष डॉ. जयालाल चाहते हैं कि चिकित्सक जगत ‘जीसस क्राइस्ट के प्यार’ को साझा करे और सभी को भरोसा दिलाए कि जीसस ही व्यक्तिगत रूप से रक्षा करने वाले हैं। उनका मानना है कि चर्चों और ईसाई दयाभाव के कारण ही विश्व में पिछली कई महामारियों और रोगों का इलाज आया। 

जब चिकित्सा क्षेत्र की प्रमुख संस्था का अध्यक्ष ही अस्पतालों का उपयोग कन्वर्जन के लिए करने का विचार रखता हो, ऐसे में यह समझना आसान है कि ईसाई मत के लोग कहाँ और किस स्तर पर कन्वर्जन की आधारभूमि तैयार कर रहे होंगे। इस तरह की गतिविधियों पर कड़ाई से रोक लगाए जाने की आवश्यकता है। विश्वास है कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार अपने राज्य में इस प्रकार की मानवता विरोधी और भारतीयता के विरुद्ध चलने वाले षड्यंत्रों/प्रयासों पर कड़ी कार्रवाई करेगी। 

दैनिक भास्कर से साभार

2 टिप्‍पणियां:

  1. हर्षवर्धन जी को डॉ जयलाल पर करवाई करनी चाहिए लेकिन ये बाबा रामदेव से माफी मंगवाने में लगे हुए हैं।

    जवाब देंहटाएं

पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share