मैं भी जाऊंगी स्कूल
इक स्वप्न था
तुम्हारी आँखों में उस रात
सोते समय
कहानी नहीं सुनी तुमने
कंधे पर टिका कर सिर
सोने की ज़िद भी नहीं की तुमने
प्यार से बालों में
अंगुलियां फिराने की चाह भी
कहाँ की तुमने।
उस रात,
उस समय
नींद की गोद में जाने से पहले
इक भरोसा,
इक वायदा
चाहती थी तुम।
रख कर मेरी बड़ी हथेली पर
अपना नन्हा-सा हाथ
आश्वस्त होकर
कही अपने मन की बात
ख्वाब को कर दिया बयां
पिताजी,
मैं भी जाऊंगी स्कूल।
तैर गई
एक हल्की मुस्कान
मेरे चेहरे पर
हौले से थपकी दी मैंने
और तुम समझ गईं
अगली भोर में
इक नयी सुबह
इक नया सूरज आएगा।
- लोकेन्द्र सिंह
- लोकेन्द्र सिंह
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