यह बहुत ही दुखद है कि स्वतंत्रता के 68 साल बाद भी देश को आजाद कराने के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों के लिए आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि भगत सिंह को फांसी पर लटकाने वाले अंग्रेजों ने भी अपने फैसले में उन्हें सच्चा क्रांतिकारी बताया है। भगत सिंह के लिए उन्होंने भी आतंकी या आतंकवादी जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया था। लेकिन, इसी देश की माटी में जन्मे इतिहासकार विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में बलिदानियों के लिए आतंकवादी जैसे घृणित और घोर आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग कर रहे हैं। यह दुर्भाग्य इसलिए है क्योंकि इन इतिहासकारों का पोषण करने वाली विचारधारा वामपंथी है।
वामपंथी इतिहासकार बिपिन चंद्रा, मृदुला मुखर्जी, केएन पनिक्कर, आदित्य मुखर्जी और सुचेता महाजन द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई पुस्तक 'स्वतंत्रता के लिए भारत का संघर्ष (इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडीपेंडेंस)' के 20वें अध्याय में भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, सूर्य सेन और अन्य क्रांतिकारियों को आतंकवादी बताया गया है। हैरानी की बात यह है कि वामपंथी इतिहासकारों ने इस अध्याय का शीर्षक ही 'भगत सिंह, सूर्य सेन और क्रांतिकारी आतंकवादी' रखा है। इस पुस्तक में चटगांव आंदोलन को भी आतंकी कृत्य करार दिया गया है। सैंडर्स की हत्या को आतंकी कार्रवाई कहा गया है। यह इस बात का भी सबूत है कि इन इतिहासकारों ने अपनी विचारधारा को पुष्ट करने के लिए भारतीय इतिहास लेखन में जमकर घालमेल किया है।
अब जैसे ही उनके लिखे 'कुपाठों' को ठीक करने का प्रयास किया जाएगा, सब सियारों की तरह ऊपर को मुँह करके चिल्लाएंगे कि शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहा है। यदि इस तरह का कचरा साफ करना भगवाकरण है तब यह किया जाना जरूरी हो जाता है। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने संसद में इस मसले को उठाया। संसद के जरिए अनुराग ठाकुर देश के संज्ञान में इस मामले को लाए कि दिल्ली विश्वविद्यालय में देश के महान क्रांतिकारियों को आतंकवादी पढ़ाया जा रहा है। वहीं, इसी पुस्तक में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी को करिश्माई नेता बताया गया है। यह किस तरह का इतिहास लेखन है? भगत सिंह आतंकवादी और राहुल गाँधी करिश्माई नेता!
भगत सिंह के साथ यह अन्याय पहली बार नहीं है। उन्हें और दूसरे क्रांतिकारियों को पहले भी आतंकवादी या उग्रवादी लिखा जाता रहा है। बीते दिनों में कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने भी देशद्रोह के आरोपी कन्हैया कुमार की तुलना भगत सिंह से करके शहीद हुतात्मा का अपमान किया था। सांसद ठाकुर का कहना अधिक उचित प्रतीत होता है कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल के दौरान देश की शिक्षा को खत्म करने और इतिहास को तोडऩे-मरोडऩे का प्रयास किया है। कांग्रेस पर यह आरोप पहले भी लगते रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के समय 'टाइम कैप्सूल' का मामला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हाल के दिनों में चले अम्बेडकर विमर्श में भी यह सच सामने आया कि पिछले 67 सालों में एक विशेष परिवार के बरक्स दूसरे राष्ट्रनायकों को इतिहास लेखन में उचित स्थान नहीं दिया गया। यह किस रणनीति के तहत किया गया, इसका जवाब लम्बे समय तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस ही दे सकती है। फिलहाल तो वर्तमान सरकार को शिक्षा संस्थानों से इस तरह के कचरे को साफ करना चाहिए।
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