शुक्रवार, 16 मई 2014

साठ महीने दिए, अब अच्छे दिन दो

 न तीजे साफ हैं। एकदम खुला खेल फर्रुखाबादी टाइप। नरेन्द्र मोदी सरकार बनाएंगे। जनता ने उन्हें पूर्ण बहुमत दिया है। जनता ने मोदी के लिए अपना दिल खोलकर रख दिया है। भाजपा सरकार बनाएगी, यह जानबूझकर नहीं लिखा है क्योंकि सारा कमाल मोदी ब्रांड का है। नरेन्द्र मोदी की रणनीति काबिलेतारीफ है। मोदी ने एक राज्य से निकलकर दिल्ली तक का रास्ता बेहद करीने से साफ किया। जबकि रास्ते में कांटे ही कांटे थे। बहुत-से नुकीले कांटे तो उनके अपनों ने ही बिखराए थे। लेकिन, शतरंज के सबसे चतुर खिलाड़ी की तरह नरेन्द्र मोदी ने सूझबूझ से राजनीति की बिसात पर अपनी चालें चलीं। अथक मेहनत के बाद खेल को अपने पाले में कर लिया।
सबसे लम्बा चलने वाला 2014 का आम चुनाव कई तरह से अनोखा था और उसके परिणाम भी। केन्द्र की सत्ता में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार थी। विपक्षी पार्टियों को यूपीए के खिलाफ चुनाव लडऩा था लेकिन चुनाव लड़ा गया नरेन्द्र मोदी के खिलाफ। कांग्रेस सहित तमाम छोटी-बड़ी पार्टियां मोदी की घेराबंदी करने में लगी रहीं। अन्ना आंदोलन के गर्भ से जन्मी और खुद को भ्रष्टाचार के खिलाफ बताने वाली आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस के भ्रष्टाचार से लड़ रहे नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मैदान में थी। भारतीय राजनीति के इतिहास में यह विरली घटना हमेशा याद रखी जाएगी। चुनाव परिणामों के संदर्भ में यह भी सच है कि भारत के इतिहास में नरेन्द्र मोदी जैसे लोकप्रिय नेता कभी-कभी ही आते हैं और लोकप्रियता के रथ पर सवार ऐसे नेता को मंजिल पर पहुंचने से पहले कोई रोक नहीं सकता। यूं तो नरेन्द्र मोदी की सभाओं में उमडऩे वाला जनसैलाब ही उनकी जीत सुनिश्चित कर चुका था। लेकिन, मोदी ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए और भाजपा को केन्द्र में लाने के लिए जान लड़ा दी। कई किलोमीटर की यात्राएं की। एक दिन में आठ-आठ सभाएं की। लक्ष्य को हर हाल में पाने के लिए चौबीस में से महज तीन घंटे की ही नींद ली। बहरहाल, मोदी के उम्दा प्रबंधन, शानदार संगठन क्षमता और राजनीतिक बुद्धि कौशल का ही नतीजा है कि भारतीय जनता पार्टी अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन कर सकी है। 2009 के आम चुनाव में 116 सीट पाने वाली भाजपा ने मोदी के नेतृत्व में कमाल कर दिया है, 282 सीट उसकी झोली में आई हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हुए 1999 के आम चुनाव में भाजपा की सर्वाधिक 182 सीटें आईं थीं। जबकि वाजपेयी साहब सबको स्वीकार थे, मोदी से तो कई लोगों को परहेज था। खैर, अपने बलबूते पर भाजपा ने बहुमत हासिल कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। 16वीं लोकसभा के नतीजों ने सभी राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। यह सब मानकर चल रहे थे कि भाजपा केन्द्र में सरकार बनाएगी लेकिन कोई नहीं सोच रहा था कि भाजपा अकेले 272 के पार जा सकेगी। मोदी के नेतृत्व में यह कमाल हो गया है। भाजपा के लिए सबसे सुखद बात यह है कि मोदी की मेहनत ने सिर्फ हिन्दी बेल्ट में ही भाजपा को मजबूत नहीं किया बल्कि कन्याकुमारी से लेकर जम्मू-कश्मीर तक और गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक कमल ही कमल खिला दिए हैं। भाजपा का कमल पहली बार ऐसी जगह पर भी खिला, जहां अब तक उसका कोई नामलेवा नहीं था। कुछ जगह भाजपा ने जीत भले ही हासिल न की हो लेकिन अपनी मौजूदगी तो दर्ज करा ही दी है। पश्चिम बंगाल हो, ओडीसा, केरल, तमिलनाडु हो या फिर पूर्वोत्तर के राज्य, सब जगह कमल की सुगंध बिखरी है। संभावना हैं कि मोदी की प्राथमिकता होगी, इन राज्यों में अब भाजपा को मजबूत किया जाए। भाजपा का संगठन खड़ा किया जाए। ताकि भाजपा के संबंध में अब कोई ये न कह सके कि यह उत्तर भारत की पार्टी है। पूरे देश में भाजपा का वजूद नहीं है। मोदी को लक्ष्य लेना होगा कि अब भाजपा केवल शहरों की पार्टी, अगड़ी जातियों की पार्टी और उत्तर भारत की पार्टी नहीं होगी। भाजपा सबकी पार्टी होगी और सब जगह होगी। हालांकि इस चुनाव में भाजपा को सबका साथ मिला है। तभी भाजपा अपने दम पर बहुमत पा सकी है। यह बात चुनाव विश्लेषकों को मान लेनी चाहिए कि कुछ पार्टियां भले ही भाजपा पर धर्म-जाति-वर्ग विशेष की पार्टी होने का आरोप लगाएं लेकिन जनता यह नहीं मानती। जनता ने भाजपा को लेकर अपनी सोच साफ तौर पर नतीजों में बता दी है। 
वर्ष 1984 के बाद यह पहली बार है जब देश में किसी एक पार्टी को बहुमत मिला है। यह भारतीय राजनीति के लिए शुभ संकेत है। जनता इसके लिए बधाई की पात्र है। 1984 के बाद से इस देश में गठबंधन की सरकारें चल रही थीं। गठबंधन के अपने नुकसान हैं। सरकार खुलकर फैसले नहीं ले सकती। सहयोगी पार्टियां अपने स्वार्थों के चलते अडग़ें लगाती हैं और बखेड़े भी खड़े करती हैं। जनता ने सरकार के साथ मोल-भाव करने वाली तमाम क्षेत्रीय पार्टियों को सबक सिखाया है। देश में बड़ा जनाधार रखने वाली राष्ट्रीय पार्टी बसपा का सूपड़ा साफ हो गया है। उसके खाते में एक भी सीट नहीं आ सकी है। समाजवादी पार्टी मुलायम परिवार की पार्टी बनकर रह गई। उसे महज पांच सीट मिली हैं। लालू यादव की लालटेन में लौ धीमी ही रह गई। शरद यादव की जदयू को नीतिश कुमार की जिद और प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब ने कहीं का नहीं छोड़ा। भारत में अपनी मौजूदगी को बचाए रखने की जद्दोजहद कर रहे वाम दलों की हालत नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रवादी सोच ने और पतली कर दी। देश को वैकल्पिक राजनीति देने का दावा करने वाली नई नवेली आम आदमी पार्टी को दिल्ली ने निराश किया है। हालांकि पंजाब में उन्हें आशा के प्रतिकूल परिणाम मिले हैं। लेकिन, देश के बाकि राज्यों में आआपा को जनता ने भाव नहीं दिए। कुमार विश्वास, शाजिया इल्मी, आशुतोष गुप्ता और योगेन्द्र यादव को करारी हार का सामना करना पड़ा है। अब कांग्रेस की पराजय को देखें तो यह कांग्रेस की ऐतिहासिक पराजय है। इससे पहले कांग्रेस की इतनी बुरी हालत कभी नहीं हुई। आपातकाल के बाद जनता में जो आक्रोश था, वह भी कांग्रेस को इतना नहीं झुलसा सका था, जितना मोदी लहर ने नुकसान किया है। कांग्रेस की सीटें महज दो अंकों में सिमट कर रह गईं। वह अर्धशतक भी पूरा नहीं कर सकी है। 2009 के चुनाव में 206 सीट जीतने वाली कांग्रेस महज 44 सीटें ही जीत सकी है। यही हाल कांग्रेसनीत गठबंधन यूपीए का रहा। यूपीए-1 और यूपीए-2 में मंत्री रहे कई दिग्गज बुरी तरह हारे हैं। चुनाव की शुरुआत में ही देखने में आया था कि कांग्रेस के कई बड़े खिलाड़ी पराजय के डर से मैदान में ही नहीं उतरे थे। कांग्रेस को पता था कि उसकी हार सुनिश्चित है लेकिन हाल ऐसा होगा, यह नहीं सोचा था। कांग्रेस को फिर से खड़ा होना है तो उसे राहुल गांधी के नेतृत्व पर फिर से विचार करना चाहिए। विधानसभा के चुनावों की बात करें या आम चुनाव की राहुल गांधी अब तक कोई चमत्कार नहीं दिखा सके हैं।
           भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाने वाले नरेन्द्र मोदी के खाते में भी एक शानदार रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। वडोदरा की जनता ने उन्हें 5 लाख 70 हजार 128 मतों से जिताया है। भारत के आम चुनाव में अब तक की यह सबसे बड़ी जीत है। इतने अधिक अंतर से अब तक किसी को जीत हासिल नहीं हुई है। 'एक देश श्रेष्ठ भारत' के नारे को ध्यान में रखकर देश को सशक्त सरकार देने के लिए विवेकशील जनता ने अपने मताधिकार का उपयोग बड़ी चतुराई से किया। जनता ने 60 साल के बदले 60 महीने मांग रहे नरेन्द्र मोदी का दिल रख दिया है। अब बारी नरेन्द्र मोदी की है कि वे लोकप्रिय नारे 'अच्छे दिन आने वाले हैं, हम मोदी जी को लाने वाले हैं' को सार्थक करके दिखाएं और जनता का मन रखें। जनता की उम्मीदों को पूरा करें। अभूतपूर्व जीत मिलने से प्रसन्न नजर आ रहे नरेन्द्र मोदी और भाजपा को चाहिए कि जिस विनम्रता से वे गुजरात में तीन बार से सरकार चला रहे हैं, उसी विनम्रता के साथ देश भी संभालें। 

3 टिप्‍पणियां:

  1. जनता ने तो अपना काम कर दिया। अब देखना है कि मोदी की सरकार जनता के इस विस्वास पर कितना खरी उतरती है।

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  2. अब बारी मोदी सरकार की है ... जनता ने भरोसा दिया है पूरा भरोसा ...

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