मेरा भारत है साक्षात कृष्ण स्वरूप।
देखो उसके आभा-मंडल से झलकता है अलौकिक तेज।
छेड़कर मुरली की मधुर तान
चर-अचर समूचे जग को आनंदित करता है।
पल प्रतिपल सौम्य वातावरण निर्मित करता है।
अखिल ब्रह्मांड का पोषण करने
डाल अंगोछा कांधे, चरवाहा बनता है मेरा मोहन।।
मेरा भारत है साक्षात राजा राम स्वरूप।
देखो उसके ललाट पर दमकता है अनोखा ओज।
पुरुखों की रीति-परम्परा
जग कल्याण हित अग्रेषित वह करता है।
सत्य, सत की रक्षा हेतु
वन में रहकर विध्वंसक का वध करता है।
स्वर्णमयी लंका तज करके
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी कहता है मेरा पुरुषोत्तम।।
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- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)
भारत की महिमा का गुणगान बेहतर शब्दों से किया है ...!
जवाब देंहटाएंमोहन केशव सा लगे, बड़ा सुदर्शन चित्र |
जवाब देंहटाएंटोपी मामा ने पिन्हा, दिया छिड़क के इत्र |
दिया छिड़क के इत्र, मित्र यह प्यार मुबारक |
बना देश का यही, समझिये सच्चा तारक |
विजयादशमी मने, जलेंगे दुष्टों के शव |
लगा रखो उम्मीद, करेंगे मोहन केशव ||
अनुपम भावों से सजी उत्कृष्ट प्रस्तुति ... बहुत ही प्यारा चित्र
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सदा जी
हटाएंअति सुंदर भाव..... कृष्णा भी बहुत प्यारा है.....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया डॉक्टर साहिब
हटाएंबड़ा प्यारा कृष्णा लगे,सुंदर देय संदेश,
जवाब देंहटाएंदेशो में अच्छा लगे ,अपना भारत देश,,,,,,
लोकेन्द्र जी पोस्ट पर आइये,,,,,स्वागत है,,,,
RECENT POST:..........सागर
बहुत बहुत धन्यवाद धीरेन्द्र जी
हटाएंलोकेन्द्र जी,,मै बहुत पहले से आपका फालोवर हूँ हमेशा आपके पोस्ट पर आता हूँ,,,यदि मेरा ब्लॉग आपको पसंद आया हो,मेरे भी फालोवर बने,मुझे हार्दिक खुशी होगी,,,,आभार,,,,
हटाएंRECENT POST LINK:..........सागर
मुझसे लगातार जुड़े रहने के लिए शुक्रिया धीरेन्द्र जी...
हटाएंमैं पहले से ही आपका फोलोवर हूँ....
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रवि जी
जवाब देंहटाएंजहाँ एक ओर भारत की राजनीति की वजह से किरकिरी हुई पड़ी है ...वही आपने भारत का गुणगान करके लिखा ......अच्छा लगा :)))
जवाब देंहटाएंअंजू जी क्या किया जाये कुछ टुच्चे लोगों ने देश का नाम ख़राब कर रखा है वरना तो देश प्रतिभाओं की खान है... अमेरिका ने फिर से चुने गए राष्ट्रपति तक भारतीय प्रतिभाओं से डरे हुए हैं...
हटाएंभारत सदैव महान और शांतिदूत रहा है. जयतु भारत
जय भारत।
जवाब देंहटाएंbahut sundar.
जवाब देंहटाएंअपने देश के लिये गौरवमय भाव रखना प्रशंसनीय ही नही अत्यावश्यक है क्योंकि राष्ट्रीयता व देशभक्ति का सच्चा भाव हमें अपने कर्त्तव्य के प्रति ईमानदार बनाता है ।
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