महाराजबाड़ा स्थित ऎतिहासिक इमारत में संचालित विक्टोरिया मार्केट शनिवार तड़के लगी भीषण आग से जलकर खाक हो गया। इसमें सवा सौ दुकानों में रखा माल जलकर स्वाहा हो गया। आग बुझाने में 320 वाहन पानी लगा। इस कोशिश में दो सैनिक समेत 4 लोग घायल हो गए। लगभग दस करोड़ रूपए के नुकसान की खबर है।
मैं अधिक कुछ तो नहीं लिख सकता इस मामले पर... बस उस दर्दनाक मंजर को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे। कुछ तस्वीरें हैं मेरे पास जिन्हें मैं पोस्ट कर रहा हूं...... वे उस वीभत्स अग्निकांड का चित्र आपके दिमाग में उपस्थित कर देंगी। बस इतना कहूंगा कि इस इमारत में लगने वाले किताबों के बाजार से किताबें खरीदकर ही मैंने स्कूली और महाविद्यालयीन शिक्षा प्राप्त की। दोस्तों के साथ आते थे किताब खरीदते और बाहर बनी दुकान पर छोले भटूरा खाते थे। वैसे अपना आग से सीधा-सीधा बैर है इसने अपना प्रेरणा स्त्रोत छीना था।
महारानी लक्ष्मीबाई मार्केट (विक्टोरिया मार्केट ) आग की लपटों में |
सब कुछ उजाड़ गया... अब क्या करेंगे |
सुबह तक उठती रहीं आग की लपटें |
महराज बाड़े का वैभव ख़ाक |
उमड़ा जनसैलाब |
ऐतिहासिक महत्व रखने वाली और 150 से अधिक व्यापारियों का घर चलाने वाली विक्टोरिया मार्केट एक चिनगारी से जलकर राख हो गई। यहां अधिकांश दुकानें किताबों और स्टेशनरी के व्यापारियों की थीं।
25-3० - करोड़ तक का नुकसान
1904-05 - में बनी थी विक्टोरिया मार्केट
02 - बजे के लगभग लगी थी आग
रात 10 - बजे तक भी नहीं बुझ पाई आग
352 - गाड़ी पानी फेंका गया
100 - के करीब दुकानें जलकर खाक हुईं
106 साल पुराना निर्माण
- विक्टोरिया मार्केट का निर्माण 1904 में ग्वालियर के महाराज माधवराव प्रथम ने कराया था।
- 1905 में महारानी विक्टोरिया के भारत आगमन के उपलक्ष्य में इसका नामकरण विक्टोरिया मेमोरियल किया गया।
- सन् 1905 में ग्वालियर का पहला मेला भी इसी मार्केट में लगा।
- विक्टोरिया मार्केट, टाउनहॉल, रीजनल प्रेस, निगम मुख्यालय, पोस्ट ऑफिस बिल्डिंग के आर्किटेक्ट बलवंत भैया थे
- सन् 1911 में संपूर्ण महाराजबाड़े का सौंदर्यीकरण पूर्ण किया जा सका।
- इसके बाद जीवाजी राव की प्रतिमा स्थापित की गई।
- विक्टोरिया मार्केट की स्थापत्य कला इंडो-ब्रिटिश श्ौली की थी।
बहुत अफसोस हुआ जानकर... फोटो जो आप लगाए हैं उसको देखिए के अंदाजा लगता है कि केतना भीसन आग होगा...
जवाब देंहटाएंबहुत दर्दनाक। आपने लिखा भी है, बहुत अच्छा लेकिन जो तस्वीरें लगाई हैं। खुद व खुद बता रही हैं कि क्या हुआ होगा। पीडि़तों को मेरी संवेदना।
जवाब देंहटाएंhttp://udbhavna.blogspot.com/
ठीक कहा पंचू भाई, आग से जलने की पीड़ा आग से जला व्यक्ति ही जान सकता है। कुछ वर्षों पहले मेरे गांव में आग लगी थी। आग लगी और बुझ गई लेकिन उसके निशान आज भी हैं, वह आग जैसे लोगों के मन से प्रेम सद्भाव को जलाकर वैमनस्य की राख छोड़ गई। खैर आग का स्वाभाव है जलाना राख करना, कभी लगता है कि उसे शान्ति और प्रशन्नता रुचती नहीं। लेकिन उसे बाड़े की सौन्दर्य से रश्क रहा होगा। तभी तो उसने उसे दागदार कर दिया। अब शायद ही हम उसी तरह विक्टोरिया मार्केट को बनाकर बाड़े की सुंदरता को बहाल कर पायें। लेकिन यदि शासन ऐसा करता है, तो लोगों को खुशी ही होगी। यही नहीं अब मार्केट को बनाने के बाद उसे पर्यटन के लिए डेवलप करना चाहिए, यह ग्वालियर के अतीत की शान है और लोगों की इच्छा फिर से इसकी बुलंदी देखने की है। इसके जलने से हुए लोगों के नुकसान को भी नहीं भुलना चाहिए, शासन उनकी मदद करे। यह ग्वालियर की इच्छा है। वैसे हमारे जिस अतीत, विरासत, इतिहास और यादों को आग ने दफ्र करने की कोशिश की है, यह लांछित आग भी हमारी यादों में दफ्र हो गई है।
जवाब देंहटाएंवीभत्स .... दिल दहला देने वाले चित्र ....
जवाब देंहटाएंतस्वीरे सारी दास्तान को बया कर रही है और शब्द तो आंसू बन कर बह रही है। मंजर बहुत दर्दनाक है
जवाब देंहटाएंwwwkufraraja.blogspot.com
दर्दनाक मंजर है।
जवाब देंहटाएं--------
भविष्य बताने वाली घोड़ी।
खेतों में लहराएँगी ब्लॉग की फसलें।