शनिवार, 23 जनवरी 2016

अब पूरे सच का इंतजार


 प्र धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उनसे जुड़ी 100 फाइलों को सार्वजनिक कर दिया है। इन फाइलों को पोर्टल 'netajipapers.gov.in' पर डिजीटल रूप में उपलब्ध कराया गया है। साथ ही कहा गया है कि नेताजी से जुड़ी और फाइलों को 25-25 की संख्या में प्रतिमाह सार्वजनिक किया जाएगा। फिलहाल तो इन फाइलों से नेताजी की मृत्यु के रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है। हालांकि कुछ चौंकाने वाले तथ्य जरूर सामने आए हैं। फाइलों से सामने आई जानकारी के मुताबिक महात्मा गांधी का मानना था बोस जिंदा थे, प्लेन क्रेश में उनकी मौत नहीं हुई थी। 23 सितंबर 1945 को कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना आजाद ने मृत्यु की पुष्टि न होने के कारण बोस को श्रद्धांजलि नहीं दी। स्वयं जवाहर लाल नेहरू ने नेताजी के भाई सुरेश बोस को पत्र में लिखा था कि नेताजी की मृत्यु के ठोस सबूत नहीं दे सकते। संभावना है कि वे जीवित हों और गुप्त रूप से रह रहे हों। बहरहाल, जैसे-जैसे फाइलों का गंभीरता से अध्ययन होता जाएगा और नए-नए सच सामने आते जाएंगे।
        प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने देश के हीरो से जुड़ी फाइलों को आम कर दिया है। उन्होंने चुनाव पूर्व जनता से वादा किया था कि सरकार में आए तो नेताजी से जुड़ी फाइलों को जनता के सामने लाएंगे। उन्होंने अपना वादा पूरा कर दिया है। गौरतलब है कि नेताजी के परिवार और देश की जनता के आग्रह के बाद भी कांग्रेस पिछले 60-65 साल से इन फाइलों को सार्वजनिक नहीं कर रही थी। इसके पीछे क्या कारण थे, यह भी समय के साथ सामने आ ही जाएगा। कांग्रेस इन फाइलों को दबाने के पीछे कोई ठोस कारण आज तक नहीं बता सकी है। फिलहाल तो पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली को लिखे गए कथित पत्र पर सियासी हंगामा मचा हुआ है। कांग्रेस का कहना है कि नेहरूजी ने ऐसा कोई पत्र कभी नहीं लिखा है। यह पत्र फर्जी है। नेहरूजी ने नेताजी को कभी वार क्रिमिनल नहीं बताया था। नेहरूजी की छवि खराब करने का भाजपा का षड्यंत्र है। जबकि भारतीय जनता पार्टी की ओर से दलील दी जा रही है कि इसके पीछ भाजपा की कोई मंशा नहीं है। बल्कि एटली को लिखा यह पत्र उन्हीं फाइलों में है जो आम की गई हैं। गौरतलब है कि जिस फाइल में इस पत्र का जिक्र है वह कांग्रेस की सरकार के वक्त तैयार की गईं थीं। 
       कांग्रेस की प्रतिक्रिया पर बोस के बड़े भाई संजयचन्द्र बोस के पोते सुभाष ने कहा है कि कांग्रेस ओवर रिएक्ट कर रही है। दरअसल, कांग्रेस की तिलमिलाहट इसलिए भी है क्योंकि उसने जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस के नेता तक सीमित कर दिया था। उन्हें सबका नेता कभी नहीं बनने दिया। जब कभी किसी और दल या विचारधारा ने नेहरू की अच्छाईयों प्रशंसा की तब कांग्रेस को उसमें 'नेहरू को हथियाने' का षड्यंत्र दिखाई दिया। यदि इस कथित पत्र का नेहरू की जगह अन्य किसी नेता से संबंध होता तो कांग्रेस इतनी परेशान नहीं दिखती। सुभाषचन्द्र बोस को कांग्रेस अपनी विरासत से बाहर मानती थी, संभवत: यही कारण रहा होगा कि कांग्रेस ने कभी भी इन फाइलों को जनता के सामने लाने में रुचि नहीं दिखाई। 
        बहरहाल, इस सियासत के बीच जनता को नेताजी की मृत्यु का सच जानने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। वहीं, नेताजी के पड़पोते चंद्र कुमार बोस ने आशंका जताई है कि सच दबाने के लिए कांग्रेस के शासनकाल में कुछ फाइलें नष्ट कर दी गईं। उन्होंने कहा है कि इस दावे की पुष्टि के लिए उनके पास दस्तावेज हैं। सच सामने लाने के लिए बोस के परिजनों ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि रूस, जर्मनी, ब्रिटेन और अमरीका को नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए राजी किया जाना चाहिए। ये फाइलें सामने आएंगी तभी वास्तविक सच सामने आ सकता है। यह सुखद है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। मोदी ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन से नेताजी से जुड़ी फाइलों की मांग की है। 

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