सोमवार, 8 जनवरी 2024

भारत ने मालदीव को दिखाया आईना

भारत के खूबसूरत पर्यटन स्थल लक्षद्वीप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोई भी कदम बहुत सोच-विचारकर उठाते हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी लक्षद्वीप में समुद्री किनारों पर यूँ ही टहलने नहीं गए थे। जो लोग उस समय समुद्र किनारे प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरों को देखकर हँसी-ठिठोली कर रहे थे, उन्हें अब जाकर यह समझ आया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इन तस्वीरों के माध्यम से मालदीव को आईना दिखाने का काम किया है। लक्षद्वीप के समुद्री तट पर प्रधानमंत्री मोदी का चहलकदमी करना मालदीप के कुछ नेताओं को इतना अधिक चुभ गया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और भारत के संदर्भ में अशोभनीय टिप्पणी कर दीं। भारत के नागरिकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने देश और प्रधानमंत्री के अपमान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। मालदीव तक उसकी धमक सुनायी पड़ी। परिणामस्वरूप, ओछी टिप्पणी करनेवाली मालदीव की महिला मंत्री मरियम शिउना को कैबिनेट से निलंबित कर दिया गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, शिउना के अलावा दो और मंत्रियों माल्शा शरीफ और अब्दुल्ला महजूम माजिद को भी निलंबित कर दिया गया। वहीं, मालदीव सरकार के प्रवक्ता इब्राहिम खलील को सफाई देनी पड़ गई। उनकी ओर से कहा गया है कि भारत के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट्स के हवाले से जो कुछ चल रहा है, उसके बारे में हमारी सरकार अपना रुख साफ कर चुकी है। विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी किया है। भारत के बारे में टिप्पणी करने वाले सभी सरकारी अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जा रहा है।

मालदीप समुद्र में एक छोटे से टापू पर बसा देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन है। मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था मछली पालन और पर्यटन पर निर्भर है। भारत से सबसे ज्यादा पर्यटक मालदीव जाते हैं। ट्रैवेल ट्रेड मालदीव की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में मालदीव पहुँचनेवाले पर्यटकों में भारतीय सबसे अधिक थे। यहां 2 लाख 40 हजार भारतीय पर्यटक पहुंचे, जिनका मार्केट शेयर 14 प्रतिशत रहा। 2023 में भी भारतीय पर्यटक सबसे ज्यादा पहुंचे। कहना होगा कि मालदीव के समुद्री तटों पर समय बिताने एवं प्रकृति को निहारने के लिए भारत से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुँचते हैं। भारतीय फिल्मों का फिल्मांकन भी वहाँ बहुत होता है। इसके बावजूद मालदीव का नया निजाम भारत को आँखें दिखाकर चीन की गोदी में बैठना चाह रहा है। यह भारत की कूटनीतिक सफलता है कि उसने मालदीव को सीधे तौर पर कुछ न कहकर भी बहुत बड़ा संदेश दे दिया है। लक्षद्वीप पहुँचकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के पर्यटन को विश्वपटल पर उभारने के साथ ही मालदीव को भी अप्रत्यक्ष रूप से संकेत कर दिया है कि भारत के साथ संबंध बिगाड़ने से उसका ही घाटा है। 

भारतीय सिनेमा जगत के प्रमुख कलाकार भी प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा की सराहना करते हुए मालदीव को आईना दिखा रहे हैं। फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, सलमान खान, जॉन अब्राहिम, रणदीप हुड्डा, आर. माधवन, कार्तिक आर्यन, रणवीर सिंह, वरुण धवन, कैलाश खेर, एकता कपूर, शिल्पा शेट्टी, कंगना रनौत, भूमि पेडनेकर, उर्वशी रौतेला और श्रद्धा कपूर सहित कई कलाकार स्पष्ट रूप से लिख रहे हैं कि मालदीव जाने की अपेक्षा हमें भारतीय समुद्री तटों पर ही जाना चाहिए। भारतीय खिलाड़ियों ने भी प्रधानमंत्री मोदी की भाँति आग्रह किया है कि हमें विदेश में जाने की अपेक्षा भारतीय समुद्री तटों एवं द्वीपों का भ्रमण करना चाहिए। घरेलू पर्यटन को प्राथमकिता देने की प्रधानमंत्री मोदी की इस मुहिम के समर्थन में सचिन तेंदुलकर, वीरेन्द्र सहवाग, सुरेश रैना, वेंकटेश प्रसाद, हार्दिक पंड्या और पीवी सिंधु सहित कई खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। लक्षद्वीप सहित भारत में ऐसे अनेक स्थान हैं, जहाँ खूबसूरत और साफ-सुथरे समुद्री तट हैं। नि:संदेह, अपने पर्यटन स्थलों को हमें प्राथमिकता देना चाहिए।

मालदीव के मंत्रियों की भारत विरोधी टिप्पणियों का उत्तर देते हुए भारत के प्रभावशाली लोगों ने ‘मालदीव के बहिष्कार का अभियान’ ही शुरु कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप हजारों की संख्या में लोगों ने मालदीव की अपनी यात्रा को रद्द कर दिया। भारतीय पर्यटकों की कमी का यह झटका मालदीव को जोर से लगेगा। 

उल्लेखनीय है कि भारत और मालदीव के रिश्ते वर्षों से अच्छे रहे हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के समय जब दुनिया हाहाकार कर रही थी, तब भी भारत ने मालदीव की आगे बढ़कर सहायता की। मालदीव में अधोसंरचना के विकास में भी भारत की अग्रणी भूमिका रहती है। लेकिन मालदीव की नयी शासन व्यवस्था का झुकाव अचानक से चीन की ओर अधिक हो गया है। चीन को खुश करने के चक्कर में मालदीव ने बहुत हद तक भारत विरोधी रुख भी अपना लिया है। दरअसल, मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू को चीन सरकार का समर्थन प्राप्त है। वह हमेशा से ही चीन के पक्ष में और भारत विरोधी रुख अपनाते रहे हैं। राष्ट्रपति बनते ही चीन के इशारे पर मालदीव में तैनात भारतीय सेना को वापस भारत भेजने की बात पहले ही कह चुके हैं। मालदीव में दशकों से यह परंपरा रही है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपने पहले विदेश दौरे में भारत की यात्रा करता है। लेकिन मुइज्जू ने इस परंपरा को तोड़ते हुए चीन जाने का फैसला किया। यह सब घटनाक्रम बताता है कि मालदीव के भारत विरोध रुख के पीछे दरअसल क्या कारण है? 

चीन की गोद में बैठने को आतुर मालदीव को उन सब देशों का हाल भी देख लेना चाहिए, जिन्होंने चीन से नजदीकी बढ़ाई और अब वे पछता रहे हैं। यह बात स्थापित सत्य है कि भारत से अच्छी मित्रता कोई ओर नहीं दे सकता। बहरहाल, यह मालदीव का अंदरुनी मामला है कि वह किसके साथ नजदीकी बढ़ाता है। लेकिन एक बात मालदीव को भली प्रकार समझ लेना चाहिए कि उसे भारत का विरोध का अधिकार नहीं है। यदि भारत की प्रतिष्ठा को चुनौती दी जाएगी तो उसका सब प्रकार से उत्तर देना हमें आता है। भारत तो मित्रता का हामी है।

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