रविवार, 27 नवंबर 2022

संविधान के प्रति आरएसएस का दृष्टिकोण

आरएसएस और संविधान



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का प्रभावशाली सांस्कृतिक संगठन है। उसके विचार एवं गतिविधियों से समाज का मानस बनता और बदलता है। इसलिए अकसर विभिन्न विषयों को लेकर चर्चा चलती है कि उन विषयों पर संघ का विचार क्या है? कई बार ऐसा भी होता है कि भारतीयता विरोधी और विदेशी विचार से अनुप्राणित समूह भी राष्ट्रीय प्रतीक और संघ के संदर्भ में मिथ्याप्रचार कर देते हैं। दोनों ही कारणों से बौद्धिक जगत से लेकर आम समाज में भी संघ के दृष्टिकोण को जानने की उत्सुकता रहती है। भारतीय संविधान भी ऐसा ही विषय है, जिस पर संघ के विचार सब जानना चाहते हैं। दरअसल, भारत विरोधी ताकतों ने अपने समय में यह मिथ्याप्रचार जमकर किया है कि आरएसएस संविधान विरोधी है? वह वर्तमान संविधान को खत्म करके नया संविधान लागू करना चाहता है। मजेदार बात यह है कि गोएबल्स की अवधारणा में विश्वास रखनेवाले गिरोहों ने इस तरह के झूठ की बाकायदा एक पुस्तिका भी तैयार करा ली, जिस पर वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का चित्र एवं नाम प्रकाशित किया गया और लिखा गया था- नया भारतीय संविधान। संघ की ओर से इस दुष्प्रचार के विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई, उसके बाद से यह मिथ्याप्रचार काफी हद तक रुक गया। और भी अनेक प्रकार के भ्रम खड़े करने के प्रयास संघ विरोधी एवं भारत विरोधी ताकतों की ओर से किए गए हैं लेकिन बिना पैर के झूठ संघ की प्रामाणिक एवं देशभक्त छवि के कारण समाज में टिकते ही नहीं हैं।

बुधवार, 23 नवंबर 2022

समाज के लिए घातक है मूल्यविहीन पत्रकारिता

"जिस तरह मनुष्य के जीवन को सार्थकता प्रदान करने के लिए जीवन मूल्य आवश्यक हैं, उसी तरह मीडिया को भी दिशा देने और उसको लोकहितैषी बनाने के लिए मूल्यों की आवश्यकता रहती है"।

मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मूल्यों की आवश्यकता है। मूल्यों का प्रकाश हमें प्रत्येक क्षेत्र में राह दिखता है। मूल्यों के अभाव में हमारे जीवन की यात्रा अँधेरी सुरंग से गुजरने जैसी होगी, जिसमें हम दीवारों से तो कभी राह में आई बाधाओं से टकराते हुए आगे बढ़ते हैं। जीवन मूल्य हमें बताते हैं कि समाज जीवन कैसा होना चाहिए, परिवार एवं समाज में अन्य व्यक्तियों के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए, करणीय क्या है और अकरणीय क्या है? मूल्यों के अनुरूप आचरण करनेवाले व्यक्ति सज्जन पुरुषों की श्रेणी में आते हैं। वहीं, जो लोग मूल्यों की परवाह नहीं करते, उनका जीवन व्यर्थ हो जाता है, ऐसे कई लोग समाजकंटक के रूप में सबके लिए परेशानी का कारण बन जाते हैं। अर्थात मूल्यों के अभाव में मानव समाज स्वाभाविक रूप से गतिशील नहीं हो सकता। मूल्यों के अभाव में सकारात्मकता का लोप होकर नकारात्मकता हावी हो जाती है।

मंगलवार, 15 नवंबर 2022

मित्रता की सुगंध

पिछले दिनों भोपाल में मित्र गोपाल जी से लगभग 20 वर्ष बाद भेंट हुई है। भेल के अतिथि गृह की कैंटीन में इस दिन चाय का स्वाद कुछ अलग ही था। संभवतः पुराने दोस्तों की उपस्थिति से चाय भी प्रसन्न थी। गोपाल जी, शासकीय कार्य से आधिकारिक यात्रा पर भोपाल आए थे।

गोपाल मूलतः चंद्रपुर, महाराष्ट्र से हैं। हम 2000–01 में सूर्या फाउंडेशन के व्यक्तित्व विकास शिविर में मिले थे। इन शिविरों में व्यक्तित्व विकास कितना हुआ, इसकी अनुभूति तो समाज के बंधु करते ही होंगे किन्तु अपने लिए सबसे आनंद की बात यह है कि यहाँ से बहुत सारे अनमोल दोस्त मिले थे। देश के लगभग हर प्रांत में कोई न कोई अपना बन गया। 

जब हमारी दोस्ती हुई थी तब मोबाइल फोन नहीं थे और न ही फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच। इसलिए आजकल की तरह दोस्तों की रोजाना की खबर नहीं रहती थी। देशभर में फैले हम सब दोस्त आपस में संवाद करने के लिए खूब चिट्ठियां लिखा करते थे।