आरएसएस और संविधान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का प्रभावशाली सांस्कृतिक संगठन है। उसके विचार एवं गतिविधियों से समाज का मानस बनता और बदलता है। इसलिए अकसर विभिन्न विषयों को लेकर चर्चा चलती है कि उन विषयों पर संघ का विचार क्या है? कई बार ऐसा भी होता है कि भारतीयता विरोधी और विदेशी विचार से अनुप्राणित समूह भी राष्ट्रीय प्रतीक और संघ के संदर्भ में मिथ्याप्रचार कर देते हैं। दोनों ही कारणों से बौद्धिक जगत से लेकर आम समाज में भी संघ के दृष्टिकोण को जानने की उत्सुकता रहती है। भारतीय संविधान भी ऐसा ही विषय है, जिस पर संघ के विचार सब जानना चाहते हैं। दरअसल, भारत विरोधी ताकतों ने अपने समय में यह मिथ्याप्रचार जमकर किया है कि आरएसएस संविधान विरोधी है? वह वर्तमान संविधान को खत्म करके नया संविधान लागू करना चाहता है। मजेदार बात यह है कि गोएबल्स की अवधारणा में विश्वास रखनेवाले गिरोहों ने इस तरह के झूठ की बाकायदा एक पुस्तिका भी तैयार करा ली, जिस पर वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का चित्र एवं नाम प्रकाशित किया गया और लिखा गया था- नया भारतीय संविधान। संघ की ओर से इस दुष्प्रचार के विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई, उसके बाद से यह मिथ्याप्रचार काफी हद तक रुक गया। और भी अनेक प्रकार के भ्रम खड़े करने के प्रयास संघ विरोधी एवं भारत विरोधी ताकतों की ओर से किए गए हैं लेकिन बिना पैर के झूठ संघ की प्रामाणिक एवं देशभक्त छवि के कारण समाज में टिकते ही नहीं हैं।