यह कितनी शर्मनाक बात है कि भारत के ही बुद्धिजीवी चंद रुपयों के लालच में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि को नुकसान पहुँचाने के पाकिस्तानी षड्यंत्र में शामिल हैं। कोरोना महामारी के इस कठिन समय में जब भारत अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रशंसा प्राप्त कर रहा है, तब भी कुछ लोगों ने अचानक से वैश्विक मीडिया में भारत की नकारात्मक छवि बनाने वाला लेखन प्रारंभ किया है। उनका लेखन पहले भी संदेह के घेरे में था, अब तो यह संदेह और गहरा गया है। ‘ग्रीन बुक’ में ऐसे अनेक हथकंडों का जिक्र है, जिनका उपयोग भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार करने के लिए किया जाने वाला है। जम्मू-कश्मीर पर भारत को घेरने के लिए पाकिस्तान इंटरनेट पर (फर्जी) वीडियो अपलोड करने जैसी रणनीति भी अपना सकता है, जिनके माध्यम से यह स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा कि भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर के नागरिकों पर अत्याचार करती है। इसके पीछे जम्मू-कश्मीर में नये सिरे से विद्रोह पैदा करने की साजिश है। हमें जरा पीछे झांकना चाहिए और देखना चाहिए कि भारत में वे कौन-से बुद्धिजीवी हैं, जिन्होंने सदैव ही जम्मू-कश्मीर के मामले में ऐसे बयान/लेखन जारी किए हैं, जो पाकिस्तान की इसी रणनीति के दायरे में आता है। कश्मीर के आम लोगों को भड़काने और अलगाववादियों के समर्थन में भारत के बुद्धिजीवियों का एक वर्ग क्यों खड़ा रहा, अब यह स्पष्ट है।
पाकिस्तानी सेना के रणनीतिक एवं गोपनीय प्रकाशन Green Book-2020 के खुलासे और भारत के बुद्धिजीवियों की भूमिका का विश्लेषणhttps://t.co/qkmYD57R72— Lokendra Singh (@lokendra_777) April 30, 2020
लगभग 200 पृष्ठ के इस दस्तावेज में झूठ प्रचार करने की रणनीति पर काम करने का सुझाव दिया गया है। जैसे- भारत की सेना और परमाणु हथियारों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पकड़ है। अमेरिका से न्यूक्लियर डील होने के बाद भारत के पास सामूहिक विनाश के हथियार आ गए हैं और भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने सीपेक (चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर) को नुकसान पहुंचाने के लिए 50 करोड़ डॉलर से एक स्पेशल सेल बनाई है। यह भी सोचने वाली बात है कि पाकिस्तान हो या फिर भारत के संदिग्ध बुद्धिजीवी गिरोह, दोनों के निशाने पर अनिवार्य रूप से आरएसएस रहता है। दरअसल, आरएसएस उन सब ताकतों के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है, जो भारत के टुकड़े-टुकड़े करने का स्वप्न देखती हैं। यह वर्ग चीन के समर्थन में भी रहता है। कोरोना वायरस के विश्व में प्रसारण के लिए जब चीन की भूमिका को संदेह से देखा जा रहा था, तब यही वर्ग चीन के बचाव में भी उतरा आया है। अंदेशा है कि इनका चीन से भी ऐसा ही षड्यंत्रकारी संबंध है। पुन: भारत सरकार से आग्रह है कि उसे ऐसे सभी लेखकों/बुद्धिजीवियों, सिनेमा कलाकारों एवं अन्य की जाँच करनी चाहिए, जिन पर भारत विरोधी षड्यंत्र में शामिल होने का संदेह है।
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