रविवार, 17 मार्च 2019

मेरे मित्र


जीवन की राह,
बड़ी मुश्किल होती है।
मंजिल तक पहुंचना,
कठिन तपस्या होती है।
अगर मिल जाए,
तुम जैसा साथी कोई।
तो ये पंक्तियां भी,
व्यर्थ साबित होती हैं।
और यहीं आकर बस
मेरी हसरत भी पूरी होती है।
यह कविता मेरी, 
तुमसे शुरू होकर।
खत्म तुम पर ही होती है।
- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)

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