रविवार, 3 मार्च 2019

विजय ही विजय : जयतु भारत

- लोकेंद्र सिंह -
भारत के लिए पिछले तीन-चार दिन बहुत महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। एक के बाद एक तीन विजयश्री भारत के खाते में आई हैं। सबसे पहले भारत ने सीमा पार जाकर आतंकी ठिकानों को नष्ट कर अपने शौर्य का परिचय दिया। उसके बाद आतंकियों को खुश करने की खातिर किए गए पाकिस्तान के हमले को नाकाम कर भारत ने सीमा सुरक्षा पर अपनी मजबूती प्रदर्शित की। भारत के शूरवीर पायलट अभिनंदन ने पाकिस्तान के लड़ाकू विमान एफ-16 को मार कर आकाश में विजयी पताका फहराई। उसके बाद जब समूचा देश अपने लड़ाके अभिनंदन के लिए चिंतित हो रहा था, तब भारत सरकार ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक विजय प्राप्त की। भारत सरकार ने पाकिस्तान पर इतना अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया कि उसे मात्र दो दिन में ही भारतीय पायलट अभिनंदन को छोडऩा पड़ा। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार के संबंधों और कूटनीति की बड़ी जीत है कि अभिनंदन अल्प समय में ही सकुशल घर लौट आए हैं।
          भारत ने प्रत्येक मोर्चे पर विजयश्री का वरण किया है। किंतु, दु:ख की बात यह है कि घर में ही कुछ अपने दुश्मनों की भाषा बोल रहे हैं। वह अपने देश भारत के सामर्थ्य पर विश्वास नहीं कर रहे। वह भारत की कूटनीतिक जीत को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की 'दरियादिली' बता रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की प्रशंसा में बिछे जा रहे हैं। सब जानते हैं यह लोग कौन हैं और ऐसा क्यों कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल इनका कोई इलाज दिखता नहीं है। भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी राष्ट्रतत्व के विचार से यह वर्ग असहमति ही नहीं रखता, बल्कि नफरत करता है। सब यह भी जानते हैं कि जब भी देश के समक्ष चुनौती या संकट आसन्न होता है, तब यह लोग कहाँ खड़े नजर आते हैं? आजादी के समय अंग्रेजों के लिए जासूसी कर रहे थे। बाद में भारत के बँटवारे में जिन्ना के साथ खड़े हो गए। 1962 की वह तस्वीरें कौन भूल सकता है, जब चीन ने भारत पर युद्ध थोपा था और कम्युनिस्ट/माओवादी चीन का झंडा उठाकर सड़कों पर उतर आए थे। अपने वैचारिक आका के समर्थन में युद्ध के लिए भारत को ही दोष दिया जा रहा था। इन्हें से-नो-टू-वार और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की दरियादिली का प्रोपोगंडा फैलाते देख कर मन बहुत खिन्न है। जब समूचा देश अपनी छाती चौड़ी करके तिरंगा उठाए घूम रहा है, तब यह वर्ग पाकिस्तान का झंडाबरदार बना दिख रहा है। 
          यह विडंबना है कि तथाकथित प्रगतिशील विचारधारा के बुद्धिजीवी एवं पत्रकार पाकिस्तान के उस प्रधानमंत्री की प्रशंसा कर रहे हैं, जिसने आतंकियों के समर्थन में भारत पर पलटवार किया। जो शांति का प्रस्ताव रखते समय अप्रत्यक्ष रूप से भारत को परमाणु हमले की धमकी देता है। वहीं, अपने ही उस प्रधानमंत्री को अंधविरोध में बुरा-भला तक कहते हैं जो बिना थके, बिना रुके, बिना सोये, देशहित में समर्पित है। जिस दिन भारतीय वायुसेना ने जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर हमला बोला था, उस दिन वह तब तक सोने नहीं गए जब तक भारतीय विमान एवं पायलट सुरक्षित नहीं लौट आए। इस विषम परिस्थिति में भी उन्होंने तनाव में होने का संदेश दुश्मनों को नहीं दिया। वह दूसरे दिन सुबह से शाम तक निर्धारित कार्यक्रमों में शामिल हुए। विपक्षी राजनीतिक दल के नेता से लेकर मोदी अंधविरोध से पीडि़त प्रगतिशील बुद्धिजीवी तक प्रधानमंत्री मोदी की निंदा सिर्फ इसलिए कर रहे हैं कि जब पायलट अभिनंदन पाकिस्तान की गिरफ्त में थे, तब वह भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे थे। जबकि इस बात के लिए प्रधानमंत्री की सराहना करनी चाहिए और उनके साथ मजबूती से खड़े होना चाहिए कि उन्होंने अपने शत्रु को किंचित भी मनोवैज्ञानिक जीत का अवसर नहीं दिया। उन्होंने पाकिस्तान के सामने देश को झुकने नहीं दिया। एक ओर वह निश्ंिचत होकर अपने निर्धारित कार्यक्रम पूरे कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर शूरवीर पायलट अभिनंदन की मुक्ति के लिए कूटनीतिक प्रयत्न कर रहे थे। परिणाम हमारे सामने है। इसके बाद भी मोदी अंधविरोध से पीडि़त बुद्धिजीवी अपने देश के प्रधानमंत्री को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। 
          प्रगतिशील बुद्धिजीवियों को भारत की तीनों सेनाओं के प्रमुखों की प्रेसवार्ता को सुनना चाहिए। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सभी झूठों की कलई खोल कर रख दी है। जिसे हमारे दोगले बुद्धिजीवी इमरान खान की दरियादिली, शांति की पहल और सद्भाव का संदेश बता रहे हैं, उसे भारतीय सेना ने पाकिस्तान की मजबूरी बताया है। भारतीय वायुसेना ने स्पष्ट कहा है कि पाकिस्तान ने हमारे पायलट को मुक्त कर कोई सद्भाव का संदेश नहीं दिया है, जिनीवा संधि की शर्तों के कारण उसे ऐसा करना ही था। वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत की जिस प्रकार की धाक है, उसके कारण पाकिस्तान के सामने कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था। भारत के दबाव के कारण ही पाकिस्तान को मात्र दो दिन में अभिनंदन को मुक्त करना पड़ा है। यदि पाकिस्तान भारतीय पायलट को मुक्त नहीं करता, तब उसे इसका बहुत भयानंक परिणाम भुगतना पड़ता। इसलिए इसे भारत की बहुत बड़ी जीत के तौर पर देखा जाना चाहिए। भारत सदैव इसी तरह जीतता रहे। जयतु भारत।

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