शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

हिन्दू सम्मलेन का सन्देश

 मध्यप्रदेश  के वनवासी समाज बाहुल्य जिले बैतूल में संपन्न हिन्दू सम्मलेन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संगठित हिन्दू से समर्थ भारत का सन्देश दिया है। अर्थात भारत के विकास और उसे विश्वगुरु बनाने के लिए उन्होंने हिन्दू समाज में समरसता एवं एकता को आवश्यक बताया। उनका मानना है कि दुनिया जब विविध प्रकार के संघर्षों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है और भारत को विश्वगुरु की भूमिका में भी देख रही है, तब भारत को विश्वगुरु बनाने की जिम्मेदारी इस देश हिन्दू समाज की ही है। यह सही भी है इस देश की संतति ही संगठित नहीं होगी तो देश कैसे विश्व मंच पर ताकत के साथ खड़ा होगा।
         हालांकि उन्होंने अपनी हिन्दू की परिभाषा में इस देश में रहने वाले सभी लोगों को सम्मलित किया है। उनका मानना है कि जब जापान में रहने वाला जापानी, अमेरिका का निवासी अमेरिकन और जर्मनी का नागरिक जर्मन कहलाता है, इसी प्रकार हिंदुस्थान में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिंदू है। लोगों के पंथ-मत और पूजा पद्धति अलग-अलग हो सकती है, लेकिन हिंदुस्थान में रहने के कारण सबकी राष्ट्रीयता एक ही है- हिंदू। इसलिए भारत के मुसलमानों की राष्ट्रीयता भी हिंदू है। भारत माता के प्रति आस्था रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिंदू है। मत-पंथ अलग होने के बाद भी हम एक हैं, इसलिए हमको मिलकर रहना चाहिए। 
          यहाँ ध्यान देने की आवश्यकता है कि संघ हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात कर रहा है। जो लोग संघ के सम्बन्ध में यह अफवाह फ़ैलाने का प्रयास करते हैं कि आरएसएस की विचारधारा मुसलमानों के लिए खिलाफ है, उनको जरूर सरसंघचालक के इस वक्तव्य को ध्यान से सुनना चाहिए। हालाँकि संघ पहले भी कहता रहा है कि वह किसी भी मत-पंथ का विरोधी नहीं है, वह तो बस हिन्दू समाज का संगठन कर रहा है। हिन्दू सम्मलेन के आयोजन को भी इसी दृष्टि से देखना होगा। हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रकटीकरण भी इस सम्मलेन से हुआ है। मुस्लिम युवक हिन्दू सम्मलेन के आयोजन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हुए दिखाई दिए। हिन्दू सम्मलेन के तहत निकाली गयीं शोभायात्राओं का जगह-जगह पर स्वागत भी मुस्लिम समाज के बंधुओं ने किया। 
         हिन्दू सम्मलेन को लेकर भारत विरोधी ताकतों ने वनवासी समाज में भ्रम उत्पन्न करने की कोशिश की थी। शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं से वंचित जनजातीय समाज के लोगों को मतांतरित करके में लिप्त सांप्रदायिक ताकतों और हिन्दू समाज को तोड़ने के षड़यंत्र करने वाली विचारधाराओं ने वनवासी बंधुओं को भड़काने और हिन्दू सम्मलेन में शामिल होने से रोकने के लिए कहा था कि आदिवासी हिन्दू नहीं होते। आरएसएस हिन्दू सम्मलेन के माध्यम से आदिवासियों को हिन्दू बनाना चाहता है। इन कुटिल लोगों के इस प्रकार के प्रचार से ही साबित होता है कि यह लोग देश के लिए कितने खतरनाक हैं। 
        देश को तोड़ने में लगी इन ताकतों को तगड़ा जवाब मिलना चाहिए था। हिन्दू सम्मलेन के सफल आयोजन से उन्हें जवाब मिला है और यह जवाब वनवासी समाज ने ही दिया है। बैतूल में आयोजित सम्मलेन में शामिल होने के लिए जिले की प्रत्येक सीमा से हिन्दू बंधू आये। विदेशी धन से पोषित इन दुष्ट बुद्धि के लोगों से हिन्दू समाज को बचाने की आवश्यकता को भी डॉ. मोहन भागवत ने रेखांकित किया। इसके लिए उन्होंने बैतूल जिले के 1470 गाँव से आये एक लाख से अधिक हिन्दू बंधुओं को संकल्प दिलाया कि हमें एक होकर अपने समाज की सेवा करनी होगी। समाज के जो बंधु कमजोर हैं, पिछड़ गए हैं, हमारा दायित्व है कि उन्हें सबल और समर्थ बनाएं। हमें एक बार फिर से देने वाला समाज खड़ा करना है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि हिन्दू सम्मलेन ने देश हित में अनेक सकारात्मक सन्देश दिए हैं। 

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