मध्यप्रदेश के मुध्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार ने नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। यह शुभ संकल्प है। मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक को प्रार्थना करनी चाहिए कि मुख्यमंत्री का यह संकल्प पूरा हो, बल्कि उचित होगा कि अधिक से अधिक नागरिक इस संकल्प की पूर्ति में अपना योगदान दें। क्योंकि नर्मदा नदी प्रदेश की जीवनरेखा है। यह प्रदेश को आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न बना रही है। यह पेयजल, सिंचाई और बिजली देती है। वृक्षों के कटने और प्रदूषण से नर्मदा के जलप्रवाह पर प्रभाव हुआ है। इसलिए समय की आवश्यकता है कि नर्मदा नदी को प्रदूषण से मुक्त किया जाए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संवेदनशीलता है कि उन्होंने इस संबंध में 'नमामि देवी नर्मदे' यात्रा जैसा महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। अपने कार्यकाल के 11 साल पूरे होने पर उन्होंने इस यात्रा की घोषणा करते हुए कहा था कि वे नर्मदा की गोदी में पले-बढ़े हैं। यह यात्रा माँ नर्मदा का कर्ज उतारने का प्रयास है। हालाँकि, किसी सरकार और एक मुख्यमंत्री के बूते नर्मदा को प्रदूषण मुक्त बनाना संभव नहीं है। हाँ, यह सुखद और सकारात्मक है कि सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस कार्य के लिए आगे आए हैं। हम सब मध्यप्रदेश के निवासी भी आगे आएं और इस अभियान की सफलता सुनिश्चित करें, क्योंकि नर्मदा का जितना कर्ज मुख्यमंत्री पर है, उतना ही हम सब लोगों पर भी है। इस ऋण से उऋण होना संभव नहीं, लेकिन कुछ लौटाने का प्रयास तो करना ही चाहिए।
जन जागरण और जन सहयोग ही इस प्रकार के अभियानों की सफलता सुनिश्चित करता है। इसीलिए स्वयं मुख्यमंत्री भी इस यात्रा को जनांदोलन बनाना चाहते हैं। उन्होंने नमादि देवी नर्मदे सेवा यात्रा का शुभारम्भ करते हुए कहा भी कि नर्मदा किसी एक राजनीतिक दल की नहीं है, बल्कि वह पूरे समाज की है। इस अभियान की सार्थकता इसी में है कि यह वास्तविक रूप से अराजनीतिक और जन अभियान बने। इस सेवा यात्रा को जन अभियान बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से समूचे समाज से आह्वान किया है कि वह यात्रा से जुड़े और अपना योगदान दे। उन्होंने समाज के सामान्य नागरिकों, साधु-संतों, राजनेताओं और प्रबुद्ध वर्ग को आमंत्रित किया है। आम समाज को यात्रा से जोडऩे के लिए सरकार ने यात्रा को काफी बड़ा स्वरूप दिया है। 11 दिसंबर से शुरू हुई 'नमामि देवी नर्मदे' सेवा यात्रा 118 दिन बाद 11 मई, 2017 को पूरी होगी। 3350 किमी की यात्रा इस अवधि में 16 जिलों के तकरीबन 1100 गाँवों और कस्बों से होकर गुजरेगी। यात्रा के दौरान नर्मदा को प्रदूषण मुक्त बनाने और उसके प्रवाह को गतिमान बनाए रखने के लिए नर्मदा के किनारे प्रतिदिन पौधरोपण भी किया जाएगा।
उल्लेखनीय होगा कि सिंहस्थ कुंभ के दौरान निनौरा में हुए अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ में प्रदेश सरकार ने नर्मदा किनारे बड़े स्तर पर पौधरोपण का निर्णय किया था। सरकार ने उस शिप्रा को भी प्रदूषण मुक्त बनाने का संकल्प लिया था। नर्मदा सहित प्रदेश की प्रत्येक नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सबसे पहले नदियों में मिलने वाले नालों और कारखानों के दूषित जल को अलग करने की आवश्यकता है। यह अभियान का हिस्सा भी है। इसलिए इस संबंध में प्रभावी कदम उठाना जरूरी होगा। नर्मदा किनारे के सभी गाँवों को खुले में शौच से मुक्त करने की योजना भी है। बहरहाल, 'नमामि देवी नर्मदे' सेवा यात्रा सही समय पर उठाया गया एक सार्थक कदम है। इस प्रयास के लिए सरकार की सराहना की जानी चाहिए।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-12-2016) को "जीने का नजरिया" (चर्चा अंक-2559) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'